धार्मिक नगरी व श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली कही जाने वाली अवंतिका नगरी के इतिहास में 13 जुलाई गुरु पूर्णिमा पर्व से श्री कृष्ण गमन पथ की खोज के रूप में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है. इस पर शोध संस्कृति विभाग के निर्देशन में होगी.
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राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: बाबा महाकाल की नगरी अवंतिका को श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली भी कहा जाता है. जहां श्री कृष्ण ने संदीपनी आश्रम में गुरु संदीपनी से शिक्षा ग्रहण की और उन्होंने आश्रम में रहकर 64 दिन में 64 विद्या, 16 कलाओं का ज्ञान लिया. अब इसी अवंतिका नगरी में 13 जुलाई 2022 गुरु पूर्णिमा पर्व से श्री कृष्ण गमन पथ की खोज के रूप में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है.
श्री कृष्ण गमन पथ का शोध प्रदेश संस्कृति विभाग के निर्देशन में भोपाल की स्वराज संस्था, उज्जैन की शासकीय विक्रम विश्वविद्यालय की पुरातत्व व इतिहासकारों का दल संयुक्त रूप से गुरु पूजन कर शुरू करेगा. शोध सदस्य व पुराविद रमण सोलंकी बताते हैं, कि इस शोध के बाद ये पता लगाया जा सकेगा की श्रीमद्भागवत पुराण, स्कंदपुराण के अवंतीखण्ड में वर्णित धार्मिक प्रसंगों के आधार पर भगवान श्री कृष्ण के मथुरा से उज्जैन आने वाले स्थान कौन कौन से हैं. जहां उन्होंने भ्रमण किया था. ऐसे सभी स्थानों की खोज की जाएगी और श्री कृष्ण गमन पथ का नक्शा तैयार कर तीर्थाटन के रूप में विकसित किये जाने की योजना पर कार्य किया जाएगा.
महाकाल की नगरी में श्री कृष्ण ने किया था भ्रमण
दरअसल पुराविद रमण सोलांकि बताते है कि साहित्यिक प्रमाणों में यह भी उल्लेख है कि सांदीपनि आश्रम में रहते हुए श्री कृष्ण ने बाबा महाकाल के दर्शन किये. गुरु माता की आज्ञा से सुदामा के साथ उन्होंने जंगल में लकड़ियां बिनी, उज्जैन से 30 किलोमीटर की दूरी पर गांव नारायणा वे गए. इससे जुड़े कई ऐसे प्रसंग हैं जिनमें भगवान के संपूर्ण महाकाल वन में भ्रमण का उल्लेख मिलता है. धर्म ग्रंथ व किंवदन्तियों के आधार पर संपूर्ण मार्ग का ब्यौरा एकत्रित कर धार्मिक यात्रा पथ के रूप में विकसित करने की योजना है.
एक से अधिक बार उज्जैन आए श्री कृष्ण
पूरा विद रमण सोलंकी के अनुसार मित्रविंदा उज्जैन की राजकुमारी से विवाह के लिए उनका आना हुआ था रुकमणी विवाह के बाद भी भगवान के उज्जैन आने की कथा सामने आती है. भगवान परशुराम के जन्म स्थान स्थान पर भी श्री कृष्ण गए थे. भगवान परशुराम के पिता जमदग्नि का आश्रम कहां पर है भगवान को वहीं भेट स्वरूप सुदर्शन चक्र प्राप्त हुआ था. ऐसे कई बार वे नगरी में आये और उन्हीं मार्गों का शोध किया जाएगा. इसके लिए शोध टीम में पुराविद डॉ रमण सोलंकी, डॉ प्रीति पांडेय, डॉ अजय शर्मा, डॉ अनिमेष नागर, डॉ मंजू यादव, डॉ सुदामा सखवार शामिल रहेंगे.
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