आज उनकी पूजा हिंदू बड़ी धूमधाम से करत है. गणेशजी की साधना में उनकी दूर्वा अवश्य चढ़ानी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि ये बहुत फलदायी होता है. तो चलिए जानते हैं- दूर्वा चढ़ाने के पवित्र नियम...
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नई दिल्ली: आज 31 अगस्त, बुधवार को भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है. इसे गणेश चतुर्थी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था. सालों बाद गणेश चतुर्थी पर कई शुभ योग बन रहे हैं. इस कारण यह गणेश चतुर्थी बेहद खास हो गई है. आज शुभ मुहूर्त में की गई गणेश पूजा और उपाय बेहद शुभ फल देंगे. आज बुधवार भी है, जो भगवान गणेश को ही समर्पित है. आज उनकी पूजा हिंदू बड़ी धूमधाम से करत है. गणेशजी की साधना में उनकी दूर्वा अवश्य चढ़ानी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि ये बहुत फलदायी होता है. तो चलिए जानते हैं- दूर्वा चढ़ाने के पवित्र नियम...
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आपको बता दें कि गणेशजी को तुलसी छोड़कर सभी पत्र-पुष्प पसंद हैं. गणेश जी को दूर्वा अधिक पसंद है. अत: सफेद या हरी दूर्वा चढ़ानी चाहिए. दूर्वा वो चीज है जो गणेश के दूरस्थ पवित्रकों को पास लाती है.
कोमल दूर्वा होनी चाहिए
सबसे महत्वपूर्ण बात गणपति जी को अर्पित की जाने वाली दूर्वा कोमल होनी चाहिए. ऐसी दूर्वा को बालतृणम् कहते हैं, जो सूख जाने पर घास जैसी हो जाती है. गणेश जी को दूर्वा की पत्तियां विषम संख्या में (जैसे 3, 5, 7) अर्पित करनी चाहिए. गणेश जी को सबसे ज्यादा गुड़हल लाल फूल विशेष रूप से प्रिय है.
पानी में भिगोकर चढ़ाए
दूर्वा को ज्यादा समय ताजा रखने के लिए पानी में भिगोकर चढ़ाते हैं. इन दोनों कारणों से गणपति के पवित्रक बहुत समय तक मूर्ति में रहते हैं.
तुलसी से पूजा नहीं करना चाहिए
गणेशजी की पूजा करते टाइम सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाली बात ये है कि उन्हें तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए. कार्तिक माहात्म्य में भी कहा गया है कि 'गणेश तुलसी पत्र दुर्गा नैव तु दूर्वाया' अर्थात गणेशजी की तुलसी पत्र और दुर्गाजी की दूर्वा से पूजा नहीं करनी चाहिए.