हर रंग में रंग जाते हैं ''मामा'' शिवराज, BJP में बतौर CM सबसे लंबी पारी खेलने का बना चुके हैं रिकॉर्ड
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हर रंग में रंग जाते हैं ''मामा'' शिवराज, BJP में बतौर CM सबसे लंबी पारी खेलने का बना चुके हैं रिकॉर्ड

EMERGING MADHYA PRADESH: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता के बीच ''मामा'' के नाम से प्रसिद्ध हैं. उनकी छवि एक ऐसे नेता की है जो हर वक्त जनता के बीच में होते हैं. चाहे सुख हो या दुख सीएम शिवराज जनता के बीच सबसे पहले पहुंचते हैं.

हर रंग में रंग जाते हैं ''मामा'' शिवराज, BJP में बतौर CM सबसे लंबी पारी खेलने का बना चुके हैं रिकॉर्ड

EMERGING MADHYA PRADESH: मध्य प्रदेश नहीं नहीं बल्कि पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बना चुके प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जनता ''मामा'' के नाम से बुलाती है. खास बात यह है कि मामा सबके प्रिय होते हैं. शायद यही वजह है कि मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के छोटे से गांव जैत के रहने वाले शिवराज सिंह चौहान का का सफर गांव में नमक के दो बोरों पर चढ़कर भाषण देने से आज लाखों की भीड़ को संबोधित करने तक जा पहुंचा है. उनकी लोकप्रियता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह BJP में बतौर मुख्यमंत्री सबसे लंबी पारी खेलने का रिकॉर्ड बना चुके हैं. क्योंकि उनके पास प्रदेश के विकास के लिए विजन है. Zee mpcg के खास कार्यक्रम  EMERGING MADHYA PRADESH में सीएम शिवराज कई मुद्दों पर अपनी राय रखेंगे. 

बीजेपी में सबसे ज्यादा वक्त तक मुख्यमंत्री रहने का बनाया रिकॉर्ड 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बीजेपी की तरफ से किसी राज्य का बतौर सीएम रहने का सबसे लंबा रिकॉर्ड बना चुके हैं. उन से पहले यह रिकॉर्ड छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के नाम था, उन्होंने 15 साल 10 दिन तक बतौर मुख्यमंत्री काम किया था. जबकि शिवराज सिंह चौहान ने बतौर मुख्यमंत्री 15 साल 11 दिन पूरे करते ही यह रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया था, शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं. 

''मैं तो जनता की सेवा में लगा हूं''
खास बात यह है कि केवल बीजेपी में ही नहीं बल्कि शिवराज सिंह चौहान ने  मध्य प्रदेश में भी सबसे ज्यादा वक्त तक सीएम रहने का रिकॉर्ड है. वह 15 साल से एमपी के मुख्यमंत्री है. उनके पहले तक यह रिकॉर्ड पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नाम था. लेकिन सीएम शिवराज ने अपनी तीसरी पारी में उनका यह रिकॉर्ड तोड़ दिया था. एक बार जब उनसे सबसे ज्यादा वक्त तक बीजेपी का सीएम रहने का रिकॉर्ड बनाने पर सवाल किया तो उन्होंने बड़ी ही सहजता से कहा था कि ''मुझे तो पता ही नहीं था. जनता के आशीर्वाद सेवा में लगे है. समय कैसे गुजर गया पता ही नहीं चला. अपना तो भगवान जनता है.''

2005 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे शिवराज सिंह चौहान 
शिवराज सिंह चौहान 2005 में पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. 29 नवंबर 2005 को बाबूलाल गौर की जगह मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान ने सीएम की शपथ ली थी, तब उनके बारे में  किसी ने नहीं सोचा होगा कि शिवराज मुख्यमंत्री के रूप में मध्य प्रदेश में सबसे लंबी पारी खेलने वाले हैं, लेकिन शिवराज ने तमाम चुनौतियों को पार कर ऐसा करके दिखाया. लेकिन यह सब उनके लिए इतना आसान नहीं था. लेकिन जनता के बीच अपनी सुशासन नीति, तत्काल समस्या का समाधान और हर वर्ग के लिए काम करने की सीएम शिवराज की संकल्पता ने यह काम करके दिखाया. 

मध्य प्रदेश के ''मामा'' हैं सीएम शिवराज 
शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता और संगठन में ऐसा समन्वयय किया कि उनके नाम का सिक्का पूरे मध्य प्रदेश में चल निकला. मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत कर प्रदेश में खुद को 'मामा' के तौर पेश किया, एक ऐसा नेता जो जनता के बीच बिल्कुल जनता की तरह ही पहुंचता. न लंबा काफिला न सियासी ठाठबाठ, शिवराज बिल्कुल सरल, सहज अंदाज में लोगों के बीच पहुंचते हैं उनकी परेशानी सुनते और तत्काल उसके समाधान का आदेश देते. जो उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा उदाहरण है. यही वजह है कि उनकी छवि दूसरे नेताओं से बिल्कुल अलग है. 

हर मामले में फिट हैं सीएम शिवराज 
सियासी हलकों में यह चर्चा खूब होती है कि शिवराज सिंह चौहान हर मामले में कैसे फिट हो जाते हैं. दरअसल, सत्ता और संगठन का तालमेल बनाना शिवराज बखूबी जानते हैं, वे भले ही 63 साल के हो गए हैं. लेकिन आज भी एक युवा नेता की तरह जोशीले हैं. घंटों सभाएं करते हैं तो मीलों पैदल भी चल लेते हैं. किसी काम से पीछे नहीं हटते. यही वजह है कि वह 63 साल की उम्र में भी अपनी सियासी पारी को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं. जिसके चलते वह हर मामले में फिट हैं. 

हर रंग में रंग जाते हैं ''मामा''शिवराज 
शिवराज सिंह चौहान फिलवक्त प्रदेश के ऐसे नेता है जो हर रंग में रंगे नजर आते हैं, दीपावली हो या होली का त्यौहार, फिर चाहे आदिवासी महोत्सव या खेल का मैदान, वे होली की हुड़दंग में शामिल हो जाते हैं, तो दिवाली अनाथ बच्चों के साथ मनाते हैं. खेल के मैदान पर पहुंचकर अपना जौहर दिखाते हैं तो आदिवासियों के साथ उनके रंग में रह जाते हैं. उनका यही देशी अंदाज उन्हें दूसरे नेताओं से खास बना देता है.

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