जिला सत्र न्यायाधीश अशोक गुप्ता ने षडयंत्र के सही पाए जाने पर तत्कालीन तहसीलदार अशोक गोबाडिया, रीडर रामशरण यादव, बेटे राय सिंह कुशवाहा, बहू गुड्डी कुशवाहा, समधी गंगा सिंह को दोषी ठहराया.
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प्रदीप शर्मा/भिंडः मध्य प्रदेश के भिंड में एक कलयुगी बेटे ने अपने जिंदा पिता को मृत बताकर फर्जी वसीयत तैयार कराई और पूरी संपत्ति अपने नाम करा ली. हालांकि बेटे-बहू की यह चालाकी कामयाब नहीं हो पाई और बुजुर्ग पिता की शिकायत पर कोर्ट में केस चला. जहां कोर्ट ने आरोपियों को 3-3 साल की जेल और 3-3 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.
क्या है पूरा मामला
घटना भिंड के मेहगांव इलाके की है. जहां रहने वाले राय सिंह कुशवाहा ने तत्कालीन तहसीलदार अशोक गोबाडिया के कार्यालय में राजस्व अधिकारियों की मदद से अपने जिंदा पिता को मृत बताकर उनके फौती दस्तावेज तैयार करा लिए. इन फौती दस्तावेजों के आधार पर उसने मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार कराया और उसके आधार पर अपने भाई की संपत्ति हड़पने के लिए फर्जी वसीयतनामा बनवाया. वसीयतनामे के लिए राय सिंह कुशवाहा ने अपने पत्नी गुड्डी कुशवाहा और समधी गंगा सिंह को गवाह बनाकर पेश किया.
हालांकि समय रहते इसकी भनक राय सिंह के पिता छोटे लाल कुशवाहा को लग गई. जिस पर उन्होंने इसकी शिकायत दर्ज कराई. शिकायत के बाद न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए 5 लोगों के खिलाफ साल 2016 में मेहगांव थाने में मामला दर्ज करने के निर्देश दिए थे. 6 साल तक यह मामला कोर्ट में चला और सभी पक्षों को सुनने के बाद जिला सत्र न्यायाधीश अशोक गुप्ता ने षडयंत्र के सही पाए जाने पर तत्कालीन तहसीलदार अशोक गोबाडिया, रीडर रामशरण यादव, बेटे राय सिंह कुशवाहा, बहू गुड्डी कुशवाहा, समधी गंगा सिंह को दोषी ठहराया. जिस पर कोर्ट ने दोषियों को 3-3 साल की जेल और 3-3 हजार रुपए का जुर्माने का फैसला सुनाया.
इस मामले की पैरवी लोक अभियोजक एडवोकेट देवेश शुक्ला ने की थी. बता दें कि इस मामले में दोषी ठहराए गए तहसीलदार अशोक गोबाडिया और रीडर राम शरण यादव कुछ साल पहले ही रिटायर हो चुके हैं.