Ratlam Lok Sabha Seat 2024: 'भूरिया' ने 12 बार जीते हैं चुनाव, समझें रतलाम-झाबुआ सीट का समीकरण
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Ratlam Lok Sabha Seat 2024: 'भूरिया' ने 12 बार जीते हैं चुनाव, समझें रतलाम-झाबुआ सीट का समीकरण

Ratlam Lok Sabha Constituency: आगामी लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की रतलाम-झाबुआ सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों की कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है. ऐतिहासिक रूप से इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. वहीं, बीजेपी को यहां हाल ही में जीत मिली है. जिससे कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी.

 

MP Lok Sabha Elections 2024

MP Lok Sabha Elections 2024: देश में कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी पूरी तैयारी में जुटी हुई है. मध्य प्रदेश की रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट की बात करें तो यहां आगामी 2024 के चुनाव में कड़ी टक्कर होगी. ऐतिहासिक रूप से इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा है. जिसमें उसने यहां हुए 18 चुनावों में से 14 में जीत हासिल की है. हालांकि, भाजपा ने हाल के वर्षों में जीत हासिल की है. 2019 और 2014 के चुनाव में बीजेपी को जीत मिली.

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बता दें कि यहां सत्रह लोकसभा और एक उपचुनाव हो चुके हैं. जहां ज्यादातर चुनाव कांग्रेस ने जीते हैं. इसलिए पिछले चुनाव में हार के बावजूद यह सीट कांग्रेस का मजबूत किला है. जहां बीजेपी अपनी जमीन तलाश रही है. कांग्रेस के अलावा कोई गैर-कांग्रेसी नेता यहां सिर्फ चार बार ही जीता है. अब तक हुए चुनावों में इस सीट से सात लोग सांसद बनकर संसद पहुंचे. जिसमें 'भूरिया' उपनाम ने कई बार बाजी मारी. भूरिया उपनाम वाले तीन उम्मीदवार 12 बार चुनाव जीते हैं.

सीट की सबसे बड़ी और छोटी जीत
इस सीट के जीत और हार दोनों के रिकॉर्ड की बात करें तो कांग्रेस को 1962 के चुनावों में सबसे कम अंतर से जीत मिली थी. जहां जमुना देवी ने चुनाव जीता था. इसके विपरीत, शानदार जीत का अंतर 1999 में आया था. जहां कांतिलाल भूरिया ने बीजेपी प्रतिद्वंद्वी को 1.5 लाख वोटों से हराया था.

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रतलाम लोकसभा सीट की विधानसभा सीटें

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वर्तमान में, रतलाम लोकसभा सीट में आठ विधानसभा सीट शामिल हैं. जोबट (एसटी), झाबुआ (एसटी) और थांदला (एसटी) से क्रमश: कांग्रेस के महेश पटेल, डॉ. विक्रांत भूरिया और वीरसिंह भूरिया विधायक हैं. वहीं, अलीराजपुर (एसटी), पेटलावद (एसटी), रतलाम ग्रामीण (एसटी) और रतलाम शहर पर बीजेपी का कब्जा है. यहां से क्रमश: चौहान नागर सिंह, निर्मला भूरिया, मथुरालाल डामर और चेतन्य कश्यप विधायक हैं. इसके अलावा सैलाना (एसटी) से बीएपी से कमलेश्वर डोडियार मौजूदा विधायक हैं.

सीट का नाम सदस्य पार्टी
आलीराजपुर चौहान नागर सिंह BJP
जोबट सेना महेश पटेल कांग्रेस
झाबुआ डॉ. विक्रांत भूरिया कांग्रेस
थांदला वीरसिंह भूरिया कांग्रेस
पेटलावद निर्मला भूरिया BJP
रतलाम ग्रामीण मथुरालाल डामर BJP
रतलाम शहर चेतन्य काश्यप BJP
सैलाना कमलेश्वर डोडियार BAP

 

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रतलाम लोकसभा सीट का समीकरण
26,08,726 की आबादी वाले रतलाम लोकसभा सीट पर मुख्य रूप से ग्रामीण निवासी रहते हैं, जो कुल आबादी का 82.63% है. जबकि, शहरी निवासी 17.37% हैं. मतदाताओं की संख्या 18,36,838 है, जिसमें 9,22,862 पुरुष मतदाता और 9,13,947 महिला मतदाता हैं. ऐतिहासिक रूप से, केवल दो भिलाला इस सीट से सांसद बने हैं. अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित, इस सीट में मुख्य रूप से लगभग 55% भील, 25% भिलाला, 10-12% पटेलिया और शेष 20% अन्य हैं. इनमें भील, भिलाला और पटेलिया अनुसूचित जनजाति वर्ग में आते हैं. जबकि, भील बहुसंख्यक होने के कारण अक्सर भील उम्मीदवारों से जीत सुनिश्चित करने की उम्मीद की जाती है. यह उल्लेखनीय है कि भिलाला उम्मीदवार भी अतीत में जीत हासिल कर चुके हैं. बता दें कि अलीराजपुर के भागीरथ भंवर और जमुनादेवी ने यहां से चुनाव जीता है. 

 

विशेषता आंकड़े
जनसंख्या 26,08,726
ग्रामीण जनसंख्या 82.63%
शहरी जनसंख्या  17.37%
मतदाता 18,36,838
पुरुष 9,22,862
महिला 9,13,947
हिन्दू 87 प्रतिशत
मुस्लिम 10 प्रतिशत

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सीट का इतिहास
इस सीट की स्थापना 1952 में हुई थी. पहले दो चुनाव 1952 और 1957 में यहां पर कांग्रेस की जीत हुई. कांग्रेस उम्मीदवार अमर सिंह डामर ने लगातार 2 बार कामयाबी हासिल की थी. रतलाम-झाबुआ सीट को पहली महिला सांसद 1962 में मिलीं. इस चुनाव में कांग्रेस ने जमुना देवी को मैदान में उतारा था. जहां जमुना देवी ने शानदार जीत हासिल की. जमुना देवी ने अपने राजनीतिक करियर में देश और राज्य में एक मुकाम हासिल किया. जमुना देवी मध्य प्रदेश की कई बार विधायक रहीं. वह मध्य प्रदेश की उप मुख्यमंत्री का पद भी संभाल चुकी हैं. साथ ही वह एमपी की पहली और एकमात्र महिला आपोजिशन लीडर थीं. वह 1962 से 1967 तक झाबुआ लोक सभा सीट से सांसद रहीं. 1978 से 1981 तक राज्यसभा भी सदस्य रहीं. 1998 में वह मध्य प्रदेश की पहली महिला उपमुख्यमंत्री बनीं.

इसके बाद चौथे इलेक्शन में सूर सिंह भूरिया ने कामयाबी हासिल की. भागीरथ भंवर ने दो अलग-अलग पार्टियों से लगातार इस सीट पर कामयाबी हासिल की. उनकी संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और जनता पार्टी से चुनाव लड़ते हुए जीत हुई. उन्होंने 5वीं और 6वीं लोकसभा चुनाव जीता. कांग्रेस इमरजेंसी से पहले और बाद के दोनों चुनावों में हार गई थी.

कांग्रेस की हुई वापसी
1980 और 1990 के दशक में इस सीट पर कांग्रेस की गिरफ्त मजबूत हुई. जिसमें, दिलीप सिंह भूरिया ने यहां पर अपना कब्जा जमाया. 1980, 1984, 1989, 1991 और 1996 के चुनावों में भूरिया ने लगातार जीत हासिल की. बता दें कि दिलीप सिंह भूरिया कद्दावर आदिवासी नेता थे. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत कांग्रेस से की थी.  जैसा कि हमने आपको बताया कि उन्होंने कई चुनाव जीते. 

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हालांकि, आदिवासी सीएम के मुद्दे पर एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह से मतभेद के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए. वो वाजपेयी सरकार के दौरान राष्ट्रीय एससी/एसटी आयोग के अध्यक्ष भी थे. छह बार सांसद रहने के अलावा दिलीप सिंह भूरिया को एक और वजह से याद किया जाता था. बता दें कि जिस काम की वजह से उनको न सिर्फ आदिवासी बल्कि पूरा देश जानता है वह "पेसा कानून" है. बता दें कि उन्होंने "पेसा कानून" के लिए जमीन तैयार की. 

कांतिलाल भूरिया का युग
कांतिलाल भूरिया इस सीट पर कांग्रेस के लिए पर्याय बनकर उभरे हैं. कांतिलाल भूरिया कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं. वह 5 बार सांसद और 5 बार विधायक बने. उन्होंने 1998 में कांग्रेस ने पहली बार इस सीट से उन्हें सांसद का टिकट दिया. इसके बाद उन्होंने लगातार कई चुनावों में जीत हासिल की. 1998 के बाद उन्होंने 1999, 2004 और 2009 में लोकसभा चुनाव जीता.

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भाजपा की पहली जीत 
आपको बता दें कि रतलाम-झाबुआ के चुनावी इतिहास में बीजेपी को 2014 में पहली कामयाबी मिली थी. पार्टी ने अपनी पहली जीत पूर्व कांग्रेस नेता दिलीप सिंह भूरिया के कंधों पर सवार होकर हासिल की थी. हालांकि, उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने वापसी की. उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया ने दिलीप सिंह भूरिया की बेटी निर्मला भूरिया को हराया था.

2019 में फिर हुई बीजेपी की जीत
2019 के लोकसभा चुनाव में, भाजपा के गुमानसिंह डामोर ने कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया को हराया था. कुल 1,400,509 वोटों में डामोर को 696,103 वोट मिले, जबकि भूरिया को 605,467 वोट मिले. चुनाव में बीजेपी की अंतर 90,636 वोट था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी झाबुआ में चुनावी रैली की थी. 

सीट के पिछले कुछ चुनाव के नतीजे

2014 लोकसभा चुनाव रिजल्ट

पार्टी उम्मीदवार वोट वोट%
BJP दिलीप सिंह भूरिया 5,45,980 50.41
कांग्रेस कांतिलाल भूरिया 4,37,523 40.39
बसपा बाबू सिंह 18,485 1.71

2015 उप -चुनाव रिजल्ट

पार्टी उम्मीदवार वोट वोट%
कांग्रेस कांतिलाल भूरिया 5,36,743 50.19
BJP निर्मला भूरिया 4,47,911 41.88
जद(यू) विजय हरि 21,572 2.02

2019 लोकसभा चुनाव रिजल्ट

पार्टी उम्मीदवार वोट वोट%
BJP गुमान सिंह डामोर 696,103 49.70
कांग्रेस कांतिलाल भूरिया 6,05,467 43.23
NOTA            - 30,364 2.80

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