MP Lok Sabha Elections 2024: कभी वाजपेयी हारे तो कभी सिंधिया ने छोड़ा रण! दिलचस्प हैं ग्वालियर लोकसभा सीट के आंकड़े
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MP Lok Sabha Elections 2024: कभी वाजपेयी हारे तो कभी सिंधिया ने छोड़ा रण! दिलचस्प हैं ग्वालियर लोकसभा सीट के आंकड़े

MP Lok Sabha Elections 2024: ग्वालियर लोकसभा सीट पर ज्यादातर वक्त सिंधिया परिवार का कब्जा रहा, लेकिन अब इस सीट पर 2007 से लगातार भाजपा जीत रही है. इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और माधवराव सिंधिया भी चुनाव जीत चुके हैं. 

 

MP Lok Sabha Elections 2024: कभी वाजपेयी हारे तो कभी सिंधिया ने छोड़ा रण! दिलचस्प हैं ग्वालियर लोकसभा सीट के आंकड़े

Gwalior Lok Sabha Seat: देश में लोकसभा चुनाव का ऐलान होने में कुछ समय का वक्त बचा है. भाजपा के साथ-साथ मुख्य विपक्षी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है. ऐसे में ग्वालियर लोकसभा सीट की बात की जाए तो यह मध्य प्रदेश की चुनिंदा महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में गिनी जाती है. इस सीट पर 17 साल से भाजपा का कब्जा है. साल 2000 से पहले यह सीट कांग्रेस के प्रभाव वाली मानी जाती थी. आइए जानते हैं ग्वालियर लोकसभा सीट के राजनीतिक इतिहास और सियासी समीकरण के बारे में...

ग्वालियर लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए थे. तब यहां हिंदू महासभा ने जीत दर्ज की थी. इस सीट पर ज्यादातर समय सिंधिया राजघराने का ही कब्जा रहा है. 1962 में राज माता विजया राजे सिंधिया, 1984 से लेकर 1998 तक बेटे माधवराव सिंधिया और 2007 और 2009 में यशोधरा राजे सिंधिया चुनाव जीत चुकी हैं. हालांकि, विजयाराजे और उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस के लिए ग्वालियर सीट जीती तो वहीं बेटी यशोधरा राजे ने भाजपा के लिए जीत दर्ज की. 

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लोकसभा सीट का इतिहास

साल विजेता पार्टी
1952 वीजी देशपांडे हिंदू महासभा
1952(उपचुनाव) नारायण भास्कर खरे हिंदू महासभा
1957 सूरज प्रसाद कांग्रेस
1962 विजयाराजे सिंधिया कांग्रेस
1967 राम अवतार शर्मा भारतीय जनसंघ
1971 अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ
1977 नारायण शेजवलकर जनता पार्टी
1980  नारायण शेजवलकर जनता पार्टी
1984  माधवराव सिंधिया  कांग्रेस
1989 माधवराव सिंधिया कांग्रेस
1991 माधवराव सिंधिया कांग्रेस
1996 माधवराव सिंधिया  कांग्रेस
1998 माधवराव सिंधिया  कांग्रेस
1999 जयभान सिंह पवैया भाजपा
2004 रामसेवक सिंह कांग्रेस
2007(उपचुनाव) यशोधरा राजे सिंधिया भाजपा
2009 यशोधरा राजे सिंधिया भाजपा
2014 नरेंद्र सिंह तोमर भाजपा
2019 विवेक शेजवलकर भाजपा

 

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विधानसभा समीकरण
ग्वालियर लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें ग्वालियर की 6 और शिवपुरी जिले की 2 विधानसभा सीट हैं. 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर मुख्य प्रतिद्वंद्वी दल भाजपा और कांग्रेस में बराबर का मुकाबला रहा. 8 में से 4 सीटों पर कांग्रेस और 4 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. बहरहाल लोकसभा चुनाव देश के मुद्दों पर लड़ा जाएगा, ऐसे में स्थानीय मुद्दे और सियासी समीकरण कितना असर डालेंगे यह देखना दिलचस्प होगा. 

ग्वालियर लोकसभा सभा में आने वाली विधानसभा सीटें

विधानसभा सीट                  विधायक                        पार्टी
ग्वालियर ग्रामीण                साहब सिंह गुर्जर              कांग्रेस
ग्वालियर                         प्रद्युम्न सिंह तोमर            भाजपा
ग्वालियर पूर्व                    सतीश सिकरवार             कांग्रेस
ग्वालियर दक्षिण               नारायण सिंह कुशवाहा      भाजपा
भितरवार                      मोहन सिंह राठौर              भाजपा
डबरा                                सुरेश राजे                         कांग्रेस
करेरा                             रमेश खटीक                       भाजपा
पोहरी                             कैलाश कुशवाह                 कांग्रेस

 

जातिगत समीकरण
ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण की बात करें तो क्षत्रिय, गुर्जर, यादव, रावत, मराठा, अल्पसंख्यक, ब्राह्मण, अनुसूचित जाति, बघेल और आदिवासी वोटर्स निर्णायक स्थिति में रहते हैं. हालांकि, ग्वालियर शहर में जाति को एक मुद्दे के रूप में कभी नहीं देखा गया. यहां हर बार जनता ने प्रधानमंत्री के फेस और विकास के मुद्दे पर ही वोट दिया है.

2019 के चुनाव परिणाम
2019 में हुए लोकसभा चुनाव ग्वालियर की जनता 2014 की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वोट किया. इस चुनाव में विवेक नारायण शेजवलकर की जीत हुई. कांग्रेस के अशोक सिंह चौथी बार लोकसभा चुनाव हारे. इससे पहले अशोक सिंह को 2014 में नरेंद्र सिंह तोमर ने करीब 29 हजार वोट से हराया था. 

दिलचस्प किस्से
ग्वालियर लोकसभा सभा सीट कई बार चर्चाओं में रही. यहां से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी 1971 में जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. लेकिन जब 1984 में अटल बिहारी ने ग्वालियर से एक बार फिर पर्चा दाखिल किया तो कांग्रेस ने माधवराव सिंधिया को मैदान में उतार दिया. इस बार वाजपेयी करीब पौने दो लाख वोटों से हार गए. आगे चलकर लगातार 5 चुनाव जीत चुके माधवराव सिंधिया को भी सीट छोड़नी पड़ी . दरअसल 1998 में हुए चुनाव में जब सिंधिया को भाजपा के जयभान सिंह पवैया से कड़ी टक्कर मिली तो 1999 में भाजपा की लहर को देखते हुए सिंधिया गुना चले गए.  

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