Sarva Pitru Amavasya 2024: साल में एक बार पड़ने वाली सर्व पितृ अमावस्या का सनातन धर्म में बहुत महत्व है. इस दिन विधि-विधान से पितरों की पूजा और तर्पण करने से पितृ का आशीर्वाद मिलता है. ऐस्ट्रोलॉजर डॉ. रुचिका अरोड़ा से जानते हैं कि इस साल सर्व पितृ अमावस्या कब है. साथ ही पितरों के श्राद्ध का समय और महत्व क्या है.
Sarva Pitru Amavasya 2024 Date: सनातन धर्म में पितरों का तर्पण और विधि-विधान से उनकी पूजा का खास महत्व है. पितृ के आशीर्वाद से जीवन में खुशहाली बनी रहती है. ऐसे में उनका आशीर्वाद पाने के लिए सर्व पितृ अमावस्या पर विशेष रूप से विधिवत पितपों की पूजा की जाती है. ऐस्ट्रोलॉजर डॉ. रुचिका अरोड़ा से सर्व पितृ अमावस्या की तारीख, श्राद्ध का समय और महत्व जानते हैं.
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को ही सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है. इस दिन पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल सर्व पितृ अमावस्या का आरंभ 1 अक्टूबर को रात में 9.40 बजे से होगा और समापन 2 अक्टूबर की रात 2.19 बजे होगा. ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूबर को रेहगी.
इस साल सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण पर भी पड़ रहा है. सूर्य ग्रहण का आरंभ 1 अक्टूबर की रात 9.40 बजे होगा और मध्य रात्रि 3.17 बजे समाप्त हो जाएगा. हालांकि, ये सूर्य ग्रहण भारत में अदृश्य रहने वाला है. इस कारण इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा.
श्राद्ध के लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त अच्छे माने जाते हैं. कुतुप मूहूर्त 2 अक्टूबर को सुबह 11:46 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक रहेगा. इसके अलावा रौहिण मूहूर्त दोपहर 12:34 से दोपहर 01:21 बजे तक रहेगा.
सर्वपितृ अमावस्या के दिन आखिरी श्राद्ध किया जाता है. इस दिन उन सभी पितरों के नाम से श्राद्ध कर्म के कार्य किए जा सकते हैं, जिनके श्राद्ध की तिथि पता नहीं होती है. सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि के कार्य करने से पितरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
इस दान पिंडदान किया जाता है. साथ ही श्राद्ध में अपने पूर्वजों के नाम पर भोजन बनाकर ब्राह्मणों को दान किया जाता है. इस दिन दान करना बहुत शुभ माना गया है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले धार्मिक क्षेत्र के जानकार की सलाह जरूर लें.
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