Shraddh Puja Vidhi: गरुड़ पुराण और अन्य प्राचीन ग्रंथों में पितरों के महत्व पर विस्तार से चर्चा की गई है. ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष के 15-16 दिनों में श्राद्ध करने से पितरों को प्रसन्न करके जीवन में शांति, समृद्धि और खुशियां लाई जा सकती हैं. अगर आपको अपने पूर्वजों का मृत्यु तिथि याद नहीं है तो आप एक दिन में ही सभी पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं. वाराणसी के पं. सच्चिदानंद त्रिपाठी ने इस सवाल का समाधान किया है.
कई बार लोग जिंदगी की भागदोड़ या लंबे समय से श्राद्ध कर्म से दूर रहने की वजह से पितरों की श्राद्ध तिथि भूल जाते हैं. इसके बाद जब मन में श्राद्ध करने का ख्याल आता है तो श्राद्ध का दिन पता नहीं होता है.
अगर आप पितृ पक्ष के दौरान अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहते हैं और पितरों की पुण्य तिथि भूल गए हैं तो चिंता करने की जरूरत नहीं है. क्योंकि शास्त्रों ने इस समस्या का समाधान किया गया है.
श्राद्ध कर्म के जरिए पितृलोक में पहुंचे पितरों को आगे की यात्रा के लिए गति प्रदान करने में सहायता की जाती है. यह भी कहा जाता है कि पितृ पक्ष के 15 दिनों में पूर्व धरती पर भ्रमण के लिए आते हैं. इस दिन उनकी तृप्ति के लिए उनका श्राद्ध किया जाता है.
श्राद्ध के दौरान पितरों की तृप्ति के लिए पकवान बनाकर गाय, कुत्ते और कौए जैसे पुश पक्षियों को भोग लगाया जाता है. माना जाता है कि जीवों को भोजन कराने से यह सीधे पितरों तक पहुंच जाता है.
पितृ पक्ष में दान का महत्व सबसे ज्यादा बताया गया है. कहा जाता है कि इन दिनों बुजुर्गों को जरूरत का सामान दार करने से पितरों को शांति मिलती है और हमारे घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है.
पंडित सच्चिदानंद त्रिपाठी बताते हैं कि अगर आप अपने पितरों की तिथि भूल गए हैं तो सिर्फ एक ही दिन में सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जा सकता है. इससे सभी पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है.
पंडित त्रिपाठी बताते हैं कि पित्र पक्ष की अवधी पूरे 15 दिन तक होती है, जो पूर्णिमा से शुरू होती है और अमावस्या तक रहती है. पितृ पक्ष में अमावस्या का काफी महत्व है. हम इस दिन अपने भूले हुए पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं.
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