Narmada Jayanti 2024: नर्मदा जयंती आज, जानें शुभ मुहुर्त, महत्व और पूजा की विधि
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh2112961

Narmada Jayanti 2024: नर्मदा जयंती आज, जानें शुभ मुहुर्त, महत्व और पूजा की विधि

Narmada Jayanti 2024: सनातन धर्म में मां नर्मदा को भी मां गंगा की तरह ही पूजनीय माना गया है. आज 16 फरवरी 2024 को नर्मदा जयंती मनाई जा रही है. जानिए मां नर्मदा की पूजा का शुभ मुहूर्त और उनकी पूजा विधि. 

Narmada Jayanti 2024: नर्मदा जयंती आज, जानें शुभ मुहुर्त, महत्व और पूजा की विधि

Narmada Jayanti 2024: सनातन धर्म में मां नर्मदा की पूजा का खास महत्व है. हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती मनाई जाती है. इस साल नर्मदा जयंती आज यानी 16 फरवरी को मनाई जा रही है. इस दिन मां नर्मदा प्रकट हुई थीं. मां नर्मदा का उद्गम मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के अमरकंटक से हुआ है.  आइए जानते हैं नर्मदा जयंती के दिन स्नान का शुभ मुहूर्त और पूजा की सही विधि और इस दिन का महत्व- 

नर्मदा जयंती का शुभ मुहूर्त
मां नर्मदा माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को प्रकट हुई थीं. पंचांग के अनुसार इस साल सप्तमी तिथि 16 फरवरी को है. इस दिन  सूर्योदय से पहले नर्मदा में स्नान करना शुभ माना गया है. यदि इस मुहूर्त में स्नान करना संभव न हो तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्नान किया जा सकता है. क्योंकि धर्म ग्रंथों के अनुसार नर्मदा नदी अभिजीत मुहूर्त में प्रकट हुई थी और इस मुहूर्त में नर्मदा नदी में स्नान व पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है. 

नर्मदा जयंती का महत्व 
मान्यता के अनुसार नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी की विधि-विधान पूजा करना बेहद शुभ होता है. इस दिन नर्मदा नदी में दीपदान, स्नान करने से व्यक्ति के जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. 

नर्मदा जयंती पूजन विधि 
- नर्मदा जयंती के दिन सूर्योदय से सूयस्ति तक नर्मदा नदी में स्नान करने की परंपरा है.
- इस दिन नर्मदा नदी में स्नान करने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनें और फिर मां नर्मदा नदी की  पूजा करें.
- पूजा में अक्षत, हल्दी, धूप, फूल, कुमकुम, दीप इत्यादि अवश्य शामिल करें.
- इसके बाद नर्मदा नदी में 11 आटे के दीपक जलाएं.
- गुड़ से बने हलवे का भोग लगाएं. 

कैसे हुआ मां नर्मदा का जन्म
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के पसीने से मां नर्मदा का जन्म हुआ था. इसे लेकर एक कथा भी प्रचलित है. कहा जाता है कि  भगवान शिव मैखल पर्वत पर तपस्या में लीन थे. तब उनके पसीने की जो बूंदे गिरी थी, उससे ही मां नर्मदा का जन्म हुआ था, इसलिए प्रचलित मान्यता के हिसाब से मां नर्मदा को भगवान शंकर की पुत्री भी कहा जाता है. माना जाता है कि भगवान शिव के आदेश से ही मां नर्मदा धरती पर आई थी, जिन्हें अविनाशी होने का वरदान भी शंकर जी ने ही दिया था. 

डिसक्लेमर- यह जानकारी किसी भी तरह की सटीकता का दावा नहीं करती है. हिंदू धर्म के जानकारों,  प्रवचनों, प्राचीन मान्यताओं और धर्मग्रंथों में मां नर्मदा को लेकर जो कहानियां संग्रहित हैं, उन्हीं के माध्यम से यह जानकारी दी गई है. यह केवल एक तरह की सामान्य जानकारी है, जो मां नर्मदा को लेकर आम लोगों में प्रचलित हैं. इसलिए ज्यादा जानकारी और सटीक प्रमाणिकता के लिए धर्म के जानकारों से संपर्क किया जा सकता है.

Trending news