आंखें नहीं हुई तो क्या हुआ, अपनी आवाज से लोगों को राह दिखाती है यह बच्ची, जानिए कहानी
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आंखें नहीं हुई तो क्या हुआ, अपनी आवाज से लोगों को राह दिखाती है यह बच्ची, जानिए कहानी

छत्तीसगढ़ के छोटे से गांव में रहने वाली महज 7वीं क्लास में पढ़ने वाली नेत्रहीन बच्ची क्रांति बैगा का गाया राजकीय गीत आज कल सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. बच्ची की आवाज को सुनकर स्कूल के शिक्षक भी कायल हो गए है.

दिव्यांग छात्रा क्रांति बैगा

दुर्गेश बिसेन/पेंड्रा:  कहते हैं कि जब भगवान जब कुछ छीन लेता है तो कोई खूबी भी प्रदान करता है. ऐसा ही कुछ हुआ है गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के दूरस्थ वनांचल ग्राम साल्हेघोरी की इस बैगा बच्ची के साथ, जो आंखों से दिव्यांग है लेकिन उसके कंठ में सरस्वती का वास है. बेहद पिछड़े इलाके में रहकर शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला साल्हेघोरी में कक्षा 7वीं में पढ़ने वाली क्रांति बैगा का छत्तीसगढ़ के राजकीयगीत "अरपा पैरी के धार" गीत काफी वायरल हो रहा है.

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दरअसल इन दिनों जिले के स्थानीय सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक स्कूली छात्रा का छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत अरपा पैरी के धार गीत गाते वीडियो जमकर वायरल हो रहा है और हर कोई इस स्कूली छात्रा के मधुर आवाज की जमकर तारीफ कर रहा है. क्रांति बैगा बहुल्य गांव साल्हेघोरी के ऊपरपारा मिडिल स्कूल की 7वीं कक्षा में पढ़ाई करती है, और ये वीडियो स्कूल में उसके शिक्षक के द्वारा बनाया गया है.

शिक्षक भी हुए आवाज के कायल
वीडियो बनाने वाले शिक्षक ने बताया कि क्रांति देख जरूर नहीं सकती पर अन्य बच्चों के साथ वह रोज स्कूल आती है एवं शिक्षक द्वारा पढ़ाए जा रहे पाठ को बड़े ध्यान लगाकर सुनती है. वह सुनकर ही उसे याद कर लेती है. क्रांति बचपन से ही नेत्रहीन है, दिव्यांग होने के कारण उसे कुछ भी दिखाई नहीं देता, लेकिन क्रांति की मधुर आवाज और गाने में विशेष रुचि है. क्रांति की मधुर आवाज जो कोई भी सुन रहा है वो उसके आवाज़ का कायल हो गया. इन दिनों इस आंख से दिव्यांग क्रांति की चर्चा हर किसी की जुबां पर है और हर कोई इसके आवाज़ की तारीफ कर रहा है.

पिता करते हैं दिहाड़ी मजदूरी
क्रांति ने कभी गाना गाने के लिए कोई रियाज़ नहीं किया है ना ही कहीं से सीखा है, लेकिन उसके गले में बैठी सरस्वती अब क्रांति के पहचान इस अत्यंत पिछड़े वनग्राम से बाहर करा रही है. क्रांति के पिता ज्ञानचंद बैगा पेशे से मजदूर हैं और रोजी दिहाड़ी करके जीवन यापन कर रहे हैं. 

अभी तक नहीं मिली किसी की मदद
जब हमने इसके शिक्षक से बात की तो उन्होंने बताया कि आज तक क्रांति की आंख का इलाज कराने किसी ने पहल नहीं की एक बार जब बिलासपुर दिखाने ले गए तो उन्होंने चेक करके दिव्यांग होने का प्रमाण पत्र जारी कर दिया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो वायरल होने के बाद शायद सरकार या कोई एनजीओ इनकी मदद कर दें तो शायद क्रांति के जिंदगी में भी उजाला आ सके.

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