mp news-मध्यप्रदेश अपनी ऐतिहासिक और प्राचीन विरासतों के लिए देशभर में जाना जाता है. मध्यप्रदेश की भूमि कई ऋषि और मुनियों की तपोभूमि रही है, ऐसा ही स्थान खरगोन जिले में स्थित है. जहां भगवान शिव का लगभग 3 हजार साल से भी ज्यादा पुराना शिवलिंग स्थित है, कहा जाता है कि यह जगह ऋषि मार्कण्डेय की तपोभूमि है. ऋषि मार्कण्डेय ने यहां भगवान शिव की अराधना की थी.
भारत हमेशा से ही संतो और ऋषि मुनियों की तपोभूमि माना जाता है. यहां अनेक ऋषि-महात्माओं सहित देवी-देवताओं ने तप किया है. नर्मदा नदी किनारे कई हजार शिवालय मौजूद हैं, ऐसा ही एक स्थल एमपी के खरगोन जिले में स्थित है. कहा जाता है यहां मौजूद मंदिर में भगवान शिव का करीब 3 हजार साल पुराना शिवलिंग मौजूद है.
यह शिवालय खरगोन जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर कसरावद में नर्मदा नदी के किनारे है. यह प्राचीन मंदिर श्री वेदवेदेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, नर्मदा किनारे स्थित इस शिवालय को सारस्वत तीर्थ स्थान माना जाता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि स्वंय भगवान शिव यहां शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं.
शिवालय का उल्लेख नर्मदा पुराण और नर्मदा प्रदक्षिणा नामक पुस्तक में भी मिलता है. कहा जाता है कि यहां कई संतों ने तप किया है, मंदिर के गर्भगृह में संस्कृत भाषा में लिखी एक शिला पर मंदिर के जीर्णोद्वार से जुड़ा लेख मिलता है.
पुरातत्व विभाग की मानें तो मंदिर में मौजूद शिवलिग करीब 3 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है. प्राचीन शिवलिंग होने और धार्मिक मान्यताओं के चलते यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है. बड़ी संख्या में लोग यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
पुराणों के अनुसार, यह स्थान महान ऋषि मार्कण्डेय की तपोभूमि है. वहीं मंदिर से जुड़ी दूसरी कहानी मणकंदक नामक ऋषि से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि ऋषि की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने ऋषि को दर्शन दिए थे.
वहीं मंदिर से थोड़ी दूरी पर मर्कटी संगम है. इसको लेकर भी एक कहानी है यहां मर्कटी नाम के राजा हुआ करते थे. राजा की पत्नी श्राप के कारण बंदरिया बन गई थी. कुंड में नहाने के बाद रानी वापस इंसानी रूप में वापस आई.
मंदिर पूरी तरह से पत्थरों से निर्मित है, मंदिर के मंडप में बड़ी बड़ी पीतल की घंटियां और घंटे लगे हुए हैं. प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे इस मंदिर में अलौकिक अनुभूति होती है, यहां पहुंचने पर मन को शांति मिलती है.
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