साल 1993, जब राजधानी दिल्ली को 37 साल बाद अपना नया मुख्यमंत्री; तब तक किसने किया राज?
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साल 1993, जब राजधानी दिल्ली को 37 साल बाद अपना नया मुख्यमंत्री; तब तक किसने किया राज?

Zee News Time Machine: टाइम मशीन में आज बात साल 1993 की. NSG कमांडोज के ऑपरेशन अश्वमेघ के जरिए 12 सेकेंड में हाईजैकर हुआ ढेर और एडवोकेट हरिशंकर जैन बने हिंदुत्व का मुकदमा लड़ने वाले वकील. तो चलिए आपको बताते हैं साल 1993 की 10 दिलचस्प कहानियां.

साल 1993, जब राजधानी दिल्ली को 37 साल बाद अपना नया मुख्यमंत्री; तब तक किसने किया राज?

Time Machine Zee News: जी न्यूज के स्पेशल शो टाइम मशीन में आज बात साल 1993 की. वो साल जब बॉलीवुड में हाहाकार मच गया था. एक्टर संजय दत्त पर टाडा एक्ट लगाया गया था. 19 साल की उम्र में एक्टर दिव्य भारती की मौत हुई. मुंबई दंगों में क्रिकेटर सुनील गवास्कर ने एक परिवार की जान बचाई. दिल्ली को 37 साल बाद अपना मुख्यमंत्री मिला. NSG कमांडोज के ऑपरेशन अश्वमेघ के जरिए 12 सेकेंड में हाईजैकर हुआ ढेर और एडवोकेट हरिशंकर जैन बने हिंदुत्व का मुकदमा लड़ने वाले वकील. तो चलिए आपको बताते हैं साल 1993 की 10 दिलचस्प कहानियां.

सुनील गावस्कर ने दंगो में बचाई परिवार की जान

छोटे कद के गावस्कर क्रिकेट जगत का बड़ा नाम थे. जब तक खेले तब तक विश्व क्रिकेट के लगभग सभी बड़े रिकॉर्ड अपने बल्ले के नाम कर चुके थे लेकिन क्या आप जानते है कि 1993 में हुए मुंबई दंगों में पूर्व क्रिकेटर सुनील गवास्कर ने एक परिवार की जान बचाई थी. जब मुंबई 1993 दंगों में दहल रहा था. उस वक्त सुनील गवास्कर अपनी छत पर खड़े हुए थे तभी अचानक दंगाईयों की भीड़ एक परिवार की तरफ बड़ी. ये भीड़ उस परिवार को नुकसान पहुंचाने के लिए जैसे ही आगे बढ़ी तैसे ही सुनील गावस्कर उनका इरादा भांप गए और अपनी छत से तेजी से नीचे आकर उस भीड़ से भिड़ गए, गावस्कर ने भीड़ से कहा, इस परिवार के साथ जो करना है करो, लेकिन पहले मेरे साथ भी वैसा ही करना होगा. सुनील गावस्कर की ये बात सुनकर दंगाइयों की भीड़ कुछ देर वहां खड़ी रही. लेकिन जब उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि गावस्कर इस भीड़ को छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले तो भीड़ वहीं से चली गई और इस तरह उस परिवार की जान बची.

संजय दत्त पर लगा TADA

मां सुपरस्टार, पिता सुपरस्टार और बेटा भी लगभग सुपरस्टार बन चुका था. ये कहानी है संजय दत्त की. जो साल 1993 में ऐसे फंसे कि बॉलीवुड के साथ-साथ पूरा देश हैरान रह गया. दरअसल साल 1993 में संजय दत्त टाडा में फंस गए. इसी साल मुंबई में लगातार धमाके हुए. इन धमाको में बताया जाता है कि करीब ढाई सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई और करीब 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इसके बाद संजय दत्त का नाम सामने आया तो हर कोई हैरान रह गया और संजय को 19 अप्रैल 1993 को मुंबई पुलिस ने संजय दत्त को मुंबई धमाकों के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. संजय दत्त पर हथियार रखने का आरोप लगा. बताया गया जिस राइफल के आरोप में संजय फसे उसका कनेक्शन मुंबई में हुए धमाको से था. संजय दत्त को अबू सलेम और रियाज सिद्दीकी से अवैध बंदूकों की डिलीवरी लेने-देने और उन्हें खत्म करने का दोषी माना गया. हालांकि संजय ने कहा कि उन्होंने हथियार अपने परिवार की सुरक्षा के लिए रखे.

बाद में संजय की गिरफ्तारी हुई और वो 18 दिन जेल में रहे. लेकिन उन्हें 5 मई को जमानत मिल गई. लेकिन इसके बाद मुंबई बम धमाकों के मामले में संजय पर विशेष टाडा केस चला. इस मामले में संजय दत्त की 18 मई 2007 को इस मामले की सुनवाई खत्म हुई थी, इस केस में संजय दत्त टाडा के आरोपों से तो बरी हो गए, लेकिन उन्हें आर्म्स एक्ट के तहत 6 साल की सजा सुनाई गई थी.

हिंदुत्व का मुकदमा लड़ने वाले एडवोकेट हरिशंकर जैन

लखनऊ हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन हिंदुत्व का मुकदमा लड़ने के लिए जाने जाते हैं, जिसकी शुरुआत राम मंदिर से हुई. साल 1989 में बाबरी मस्जिद को लेकर हरिशंकर जैन ने मुकदमा डाला और 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा टूटने के बाद रामलाल के दर्शन और पूजा की याचिका हरिशंकर ने डाली. जिसपर एक जनवरी 1993 को हाई कोर्ट ने पूजा के अधिकार पर मुहर लगा दी. इसके बाद हरिशंकर जैन ने यूपी से लेकर मध्य प्रदेश और दिल्ली तक विभिन्न प्राचीन इमारतों और स्थलों की ऐतिहासिकता, उसके धार्मिक स्वरूप को लेकर कानूनी लड़ाई छेड़ दी. 1993 में हरिशंकर जैन ने ज्ञानवापी, कुतुबमीनार, ताजमहल जैसी जगहों पर हिंदू मंदिरों का दावा किया और साथ ही कृष्ण जन्मभूमि को लेकर भी याचिका दायर की. हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने मिलकर हमेशा हिंदू पक्ष को मजबूत करने का काम किया है और आज भी हिंदुत्व का मुकदमा लड़ने के लिए सदैव आगे रहते हैं.

NSG कमांडोज का 'ऑपरेशन अश्वमेघ'

साल 1993 में 24 और 25 अप्रैल की तारीख बेहद खास है. क्योंकि इसी दिन NSG Commandos की बहादुरी से महज 5 मिनिट में हाईजैकर्स के चंगुल से एक प्लेन को आजाद करा लिया गया.
दरअसल 1993 में इंडियन एयरलाइंस के प्लेन बोइंग 737 को हाईजैक कर लिया गया था. अमृतसर एयरपोर्ट पर हाईजैक किए गए इस विमान में करीब 141 यात्री मौजूद थे. हाईजैकर्स ने प्लेन को हाईजैक किया तो देशभर में अफरा तफरी मच गई. इसके बाद NSG कमांडोज की एक स्पेशल टीम तैयार हुई. उधर पुलिस अधिकारी, भी तैनात हो चुके थे. तो इधर एनसजी की टीम ने ऑपरेशन अश्वमेघ चलाया. ऑपरेशन के दौरान दो हाइजैकर्स, जिसमें उनका सरगना मोहम्मद यूसुफ शाह भी शामिल था, वो भी मारे गए. इस दौरान प्लेन में बैठे किसी भी शख्स को कोई चोट नहीं आई और सभी को सुरक्षित निकाला गया.

एनएसजी कमांडोज ने प्लेन के अंदर जाकर महज 12 सेकेंड्स में साइलेंसर पिस्तौल के जरिए हाईजैकर्स पर अटैक किया और उन्हें कब्जे में ले लिया. ये पूरा ऑपरेशन 5 मिनट में ही पूरा कर लिया गया. इस तरह, बोइंग 737 में 6 क्रू मेंबरों समेत कुल 141 लोगों को सुरक्षित निकाला गया.

37 साल बाद दिल्ली को मिला मुख्यमंत्री

साल 1993 वो साल था जब देश का राजधानी दिल्ली को 37 साल बाद अपने मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना के रूप में मिले. दरअसल 1956 में दिल्ली विधानसभा को भंग करके इसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया. जिस वजह से उस वक्त दिल्ली की सारी पॉवर वहां के उपराज्यपाल के पास होती थी. लेकिन 1991 में 69वें संविधान संशोधन अधिनियम के बाद केंद्र शासित दिल्ली को औपचारिक रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की पहचान दी और विधानसभा एवं मंत्री-परिषद से संबंधित संवैधानिक प्रावधान निर्धारित किए.

फिर 1993 में 41 साल बाद 70 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए. जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने 49 सीटों पर चुनाव जीतकर सत्ता हासिल की और बीजेपी के मदन लाल खुराना को मुख्यमंत्री बनाया गया.

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में मिला शिवलिंग

1993 में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में अचानक लोग एक 4 फीट के पत्थर को शिवलिंग समझ कर पूजने लगे. जबकि असल में इस पत्थर का इस्तेमाल ट्रैफिक बैरिकेड के रूप में होता था. लेकिन बाद में जरूरत न पड़ने पर उस पत्थर को एक क्रेन ऑपरेटर ने उठाकर एक पार्क में रख दिया. जिसके बाद एक हिन्दू व्यक्ति की नजर उस पत्थर पर पड़ी. आस्था के अनुरूप उस शख्स ने उसकी पूजा करनी शुरू कर दी. इसके बाद तो उस पत्थर को पूजने के लिए लोगों का तांता लग गया. धीरे-धीरे दूर-दराज इलाकों से लोग यहां पूजा करने के लिए आने लगे. ज्यादातर श्रद्धालु सोमवार को आते थे, पूजा करते थे और 'शिवलिंग' पर दूध, शहद, फूल चढ़ाते थे. लोग इस पत्थर के सामने ध्यान लगाते, योगा करते, बांसुरी बजाते और मंत्रोच्चारण करते थे.

अधिकारी सार्वजनिक संपत्ति पर मंदिर नहीं बनाना चाहते थे. कई प्रयासों के बाद अधिकारी पार्क से इसे हटाने में कामयाब हुए और इसे सनसेट जिले के एक स्टूडियो में रख दिया गया.

भारत की पहली इलेक्ट्रिक कार 'Love Birds'

भारत में आज इलेक्ट्रिक कारें सड़कों पर दौड़ती हुई आपको नजर आ जाएंगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इलेक्ट्रिक कार की शुरूआत भारत में काफी साल पहले ही हो गई थी और वो साल था 1993. दरअसल साल 1993 में इलेक्ट्रिक कार की शुरूआत हुई थी. Eddy Electric सीरीज ने Lovebird के साथ अपनी इस कार को दिल्ली में ऑटो एक्सपो में प्रदर्शन के साथ लॉन्च किया था. भारत सरकार ने इस कार को ग्रीन सिग्नल दिया. हालांकि भारत में इस कार के लॉन्च होने के बाद इस कार की बिक्री कम हुई और इसी वजह से इस कार को बंद कर दिया.

'जुरासिक पार्क' को श्रीदेवी की ना!

90 के दशक में बॉलीवुड में अगर कोई एक्ट्रेस सुपरस्टार थीं तो वो थीं श्रीदेवी. चांदनी की चमक के आगे अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर जैसे स्टार्स भी फीके पड़ जाते थे. शायद यही वजह है कि श्रीदेवी के स्टारडम की वजह से उनहें साल 1993 में जुरासिक पार्क में काम करने का ऑफर मिला था. पर अफसोस श्रीदेवी ने इस ऑफर को ठुकरा दिया था. हॉलीवुड डायरेक्टर स्टीवन स्पीलबर्ग ने उन्हें जुरासिक पार्क के लिए रोल ऑफर किया था. लेकिन श्रीदेवी ने इस फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया. बताया जाता है कि श्रीदेवी को लगा कि उनके हिसाब से फिल्म में उनका रोल ज्यादा बड़ा नहीं है और उनके रोल के पास ज्यादा कुछ करने को फिल्म में है नही और इसीलिए श्रीदेवी ने जुरासिक पार्क जैसी बड़ी फिल्म का ये ऑफर ठुकरा दिया था.

19 साल में हुई दिव्या भारती की मौत

1990 के दशक में बॉलीवुड में अपनी एक्टिंग और मासूम चेहरे के दम पर दिव्या ने दर्शकों को दीवाना बना दिया था. कम उम्र थी, इसलिए बॉलीवुड की गुड़िया भी उन्हें कहा गया. 25 फरवरी 1974 को जन्मीं दिव्या भारती की मौत 5 अप्रैल 1993 को संदिग्ध हालात में हुई थी. दिव्या भारती, मौत के वक्त महज 19 साल साल की थीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिव्या की मौत अपार्टमेंट की खिड़की से गिरकर हुई थी. बताया जाता है कि उस रात दिव्या अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर रही थीं. पार्टी से ब्रेक लेकर वो लिविंग रूम की खिड़की पर आकर बैठीं और वहां से नीचे गिर गईं. दिव्या पांचवी मंजिल से ग्राउंड फ्लोर पर गिरी थीं. इसके बाद वहां पर मौजूद लोग उन्हें गंभीर हालत में जैसे-तैसे अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी. मुंबई पुलिस ने दिव्या की मौत को एक्सिडेंट बताया था.

जब छाया पंजाबी पॉप कल्चर

पंजाबी भांगड़ा गायक मलकीत सिंह की आवाज का जादू 1993 में कुछ ऐसा छाया कि उस साल Malkit Sing की एलबम तुतक तुतक तुतिया के 25 लाख कैसेट एक साथ बिक गए. इस गाने को सिर्फ पंजाब में नहीं बल्कि पूरे भारत और विदेशों में भी खूब प्यार मिला. इस गाने ने Singer Malkit Sing को तो पॉपूलर किया ही साथ ही इसी गाने की वजह से देश में पंजाबी पॉप कल्चर की शुरुआत भी हुई.

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