Heavy Snowfall in Kashmir: कश्मीर बर्फ की चादर से लिपटा है. कहीं पीने के पानी की पाइप लाइन जम गई तो कहीं सड़क से लेकर खिड़की-दरवाजे तक बर्फ से सफेद हो गए. कड़ाके की सर्दी और बर्फबारी से सैलानियों के चेहरे खिल गए हैं. इस बीच मौसम विभाग (IMD) ने अप्रत्याशित ठंड का कारण बताते हुए बड़ी चेतावनी जारी की है.
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Weather Update Heavy Snowfall: जम्मू-कश्मीर के मौसम (Mausam) में भारी बदलाव देखने को मिल रहा है. इस बीच मौसम विभाग ने (IMD) ने आने वाले दिनों में पूरे जम्मू-कश्मीर में हाड़ कंपाने वाली ठंड पड़ने का पूर्वानुमान लगाया है. आईएमडी ने कुछ इलाकों के लिए गंभीर चेतावनी जारी की है. कश्मीर घाटी के मौसम केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक पंजाब और दिल्ली के मैदानी इलाकों सहित उत्तर भारत में ला नीना प्रभाव (La Nina effect) की भविष्यवाणी की है. जिसका मतलब ये है कि मध्य और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान औसत से कम रहेगा. मौसम में आया बदलाव हवा के बहने के पैटर्न को प्रभावित करता है, जिससे अधिक बारिश और बर्फबारी होती है.
डरावनी भविष्यवाणी
ला नीना प्रभाव तापमान को प्रभावित करेगा और इसका मतलब है कि कश्मीर घाटी और हिमालय पर्वतमाला की सभी पहाड़ियों और उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में अधिक बर्फबारी और बारिश होगी. आईएमडी की भविष्यवाणी के मुताबिक इस बार सर्दी का सीजन लंबा चलेगा और तापमान के साथ-साथ बारिश और भयानक ठंड पड़ने के साथ-साथ भारी बर्फबारी होती रहेगी.
चिल्लई कलां में कैसी होगी हालत?
जैसे-जैसे कश्मीर 'चिल्लई कलां' की ओर बढ़ रहा है, वैसे वैसे ठंड का ट्रेलर दिख रहा है. चिल्लई कलां के दौरान प्रचंड ठंड की शुरुआत 21 दिसंबर से होगी और अगले 40 दिनों तक इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिलेगा. ला नीना प्रभाव इस बार घाटी में ठंड और वर्षा के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देगा.
आईएमडी कश्मीर के वैज्ञानिक मुख्तार अहमद ने कहा, 'पिछली सर्दियों में हमने अल नीनो प्रभाव के कारण जम्मू-कश्मीर में अपेक्षाकृत गर्म और शुष्क मौसम का अनुभव किया था. लेकिन इस बार वैश्विक एजेंसियों ने प्रशांत महासागर पर ला नीना प्रभाव की भविष्यवाणी की है, जब भी हम पर इसका प्रभाव पड़ता है, तो हमें तापमान गिरने की वजह से भयानक सर्दी का सामना करना पड़ता है. हमारे यहां बहुत अधिक बर्फबारी होती है. इस साल पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र पर इसका अधिक प्रभाव पड़ेगा. वैश्विक मौसम एजेंसियों ने भी ला नीना के बारे में चेताया है, हम अपने पिछले अनुभवों के हिसाब से कह सकते हैं कि इस बार अभूतपूर्व ठंड पड़ेगी.'
मौसम का पैटर्न समझिए
बीते कुछ सालों की बात करें तो जम्मू-कश्मीर में अल नीनो प्रभाव के कारण बहुत कम बारिश और बर्फबारी हुई है. जिसका असर कश्मीर घाटी सहित पूरे क्षेत्र में मौसम की स्थिति पर पड़ा. आईएमडी विभाग ने कहा था कि जल निकाय और ग्लेशियर पिघल रहे थे. कश्मीर के ऊंचे इलाकों और मैदानी इलाकों में बारिश और बर्फबारी में काफी कमी आई थी. अल नीनो से ला नीना का परिवर्तन, अप्रत्याशित मौसमी स्थितियों को पैदा करता है. आईएमडी के मुताबिक इन वजहों से मौसम का पूर्वानुमान लगाने में भी मुश्किल आएगी वहीं मौसम की अनिश्चितता भी बढ़ जाएगी.
आईएमडी कश्मीर के वैज्ञानिक मुख्तार अहमद ने कहा, "तापमान परिवर्तन का असर सर्दी, गर्मी और बारिश के सीजन में भी साफ दिखता है.
लोग हैं तैयार
कश्मीर घाटी के लोग भयानक ठंड सर्दियों के लिए तैयार हैं. प्रशासनिक अफसरों से लेकर आम लोग तक अभूतपूर्व सर्दी से निपटने की तैयारी कर रहे हैं. प्रशासन ने आने वाले दिनों में किसी भी मौसम परिवर्तन के लिए लोगों और पूरी मशीनरी को अलर्ट पर रखा है.