Kisan Andolan: 7 दिन में 1000 करोड़ का नुकसान, किसान आंदोलन-सीलबंदी का इकोनॉमी पर चला चाबुक
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Kisan Andolan: 7 दिन में 1000 करोड़ का नुकसान, किसान आंदोलन-सीलबंदी का इकोनॉमी पर चला चाबुक

Farmers Protest: व्यापारियों की संस्था CAIT हो या फिर कुंडली में उद्योगपतियों की संस्था कुंडली इंडस्ट्री एसोसिएशन, हर कोई देश की इकोनॉमी और उद्योग की इकोनॉमी को हो रहे नुकसान के बारे में बता रहा है, चर्चा कर रहा है, परेशान हो रहा है और सरकार से उपाय करने की मांग करते हुए 1 लेन खोलने की मांग कर रहा है, जिससे सुरक्षा भी हो जाए और इकोनॉमी भी चलती रहे.

Kisan Andolan: 7 दिन में 1000 करोड़ का नुकसान, किसान आंदोलन-सीलबंदी का इकोनॉमी पर चला चाबुक

Ground Zero Report Shambhu Border: पिछले 1 हफ्ते से पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पर पंजाब के किसान MSP गारंटी की मांग को लेकर डेरा जमाए बैठे हैं, जिसमें अब तक केंद्र सरकार और किसानों की 4 दौर की बातचीत पूरी हो चुकी है और रविवार आधी रात तक चली बातचीत में केंद्र सरकार किसानों को दाल समेत कुल 5 फसलों पर 5 साल के लिए कानूनन MSP देने के लिए तैयार है. 

सरकार ने प्रदर्शनकारी पंजाब के किसानों के साथ बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार उड़द, मसूर, मक्का, कपास और अरहर दाल पर कानूनन MSP देने को तैयार है और इसके लिए किसानों को NCCF, NAFED और CCI से पांच साल का करार करना होगा.केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव के जवाब में शंभू बॉर्डर पर डेरा जमाए किसान संगठनों ने आपस में बातचीत करके फैसला लेने के लिए 2 दिन का समय लेने की बात कही है.

देश की इकोनॉमी को हो रहा भारी नुकसान

लेकिन बीते 1 हफ्ते से बंधक बने नेशनल हाईवे की वजह से देश की इकोनॉमी को भारी नुकसान हो रहा है और इस नुकसान के जिम्मेदार प्रदर्शनकारी किसान संगठन भी हैं, जिन्होंने शंभू बॉर्डर को बंधक बना रखा है और दिल्ली पुलिस भी जिसने सुरक्षा के नाम पर दिल्ली की तीन सीमाओं को सील कर दिया है.

भारत में व्यापारियों की सबसे बड़ी संस्था Confederation of All India Traders (CAIT) ने बयान जारी करके बताया कि दिल्ली सीमाएं सील होने की वजह से व्यापारियों की तरफ से देश की इकोनॉमी को 3 दिनों में 300 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है. यानी हर दिन देश की इकोनॉमी को 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान सीमाओं के बंधक और सील होने की वजह से हो रहा है.

हर रोज 55 करोड़ का घाटा

इसी तरह किसानों के दिल्ली मार्च के आह्वान की वजह से सुरक्षा के लिहाज से पूरी तरह सील किए सिंधु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर बसे हुए कुंडली इंडस्ट्रियल एरिया और  बहादुरगढ़ इंडस्ट्रियल एरिया को कुल मिलाकर हर रोज 55 करोड़ से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ रहा है.

यानी कुल मिलाकर देखें तो देश की इकोनॉमी को अब तक 7 दिनों में 1 हजार करोड़ से ज्यादा की चपत लग चुकी है और बॉर्डर पर बंद पर पड़ी दुकानें, ताले जड़ी दुकानों और फैक्ट्रियों की तस्वीर जमकर वायरल हो रही हैं. अब जानिए कि ग्राउंड जीरो पर हालात कैसे हैं और कैसे किसान आंदोलन 2.0 और दिल्ली पुलिस की सीलबंदी वाली सुरक्षा ने देश की इकोनॉमी को संकट में डाल दिया है.

पुलिस ने कर दी बाड़ेबंदी

देश की राजधानी दिल्ली को हरियाणा के सोनीपत इंडस्ट्रियल एरिया से जोड़ता है सिंघु बॉर्डर. किसानों ने दिल्ली चलो का ऐलान किया था लेकिन बीते 7 दिनों से किसान पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पार नहीं कर पाए हैं और सिंघु बॉर्डर से 200 किलोमीटर दूर शंभू बॉर्डर पर बैठे हुए हैं. लेकिन इसके बाद भी दिल्ली पुलिस ने बीते 1 हफ्ते ना सिर्फ सिंघु बॉर्डर को अभेद किला बना दिया है बल्कि आज भी इसकी और बाड़ेबंदी की जा रही है.

दिल्ली पुलिस की सिंघु बॉर्डर पर बाड़बंदी की वजह से ना ही कोई गाड़ी दिल्ली से हरियाणा जा सकती है और ना ही हरियाणा से दिल्ली और डेढ़ किलोमीटर लंबे अभेद किले में पड़ने वाली सैकड़ों दुकानें और फैक्ट्रियां बंद हैं और जहां हर रोज कामकाज होता था, खरीद और बिक्री होती थी वहां ताले लगे पड़े हैं.

आम जनता का छलका दर्द

सिंघु बॉर्डर पर दुकान चलाने वाले विनोद अपनी कहानी बताते हैं. दुकान का किराया 50 हजार महीने है. लेकिन आज हालत यह है कि दुकान बंद पड़ी है, ताला लगा पड़ा है और कैसे दुकान का किराया देंगे, कैसे घर चलेगा, कुछ नहीं पता.

वहीं टेकचंद चाय की छोटी सी दुकान चलाते हैं. लेकिन कोई चाय पीने वाला नहीं है. पहले रोजाना 500–600 की कमाई होती थी, अब 10–20 रुपए की. अब आते हैं दिल्ली हरियाणा सिंघु बॉर्डर पर मौजूद हरियाणा के कुंडली इंडस्ट्रियल एरिया पर, जहां कुंडली में कुल 1300 फैक्ट्रियां हैं. लेकिन आज हालत यह है कि या तो फैक्ट्रियों पर ताला लगा हुआ है या फिर फैक्ट्री के बाहर ना सामान जा पा रहा है और ना ही कच्चा माल फैक्ट्री में आ पा रहा है.

फैक्ट्रियों में पड़ा हुआ है माल

नरेश मित्तल की कुंडली में एक स्टील मैन्युफैक्चरिंग की फैक्ट्री है. लेकिन आज फैक्ट्री की हालत यह है कि माल फैक्ट्री में ही पड़ा हुआ है क्योंकि दिल्ली पुलिस ने बॉर्डर की सीलबंदी कर रखी है और गांव के रास्तों में गड्ढे खोद दिए हैं, जिससे सामान फैक्ट्री में आना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो रहा है और जाने वाला सामान सिर्फ 20 फीसदी ही जा पा रहा है, जिससे आखिर में सरकार का ही GST कलेक्शन कम हो रहा है.

कुंडली में कुल 1300 फैक्ट्रियों में एक फैक्ट्री है निमिष की, जिसका नाम है विजया मैन्युफैक्चर. निमिष की माने तो दिल्ली पुलिस की सुरक्षा की दृष्टि से लगाई गई बैरिकेडिंग और किसान और सरकार के बीच का गतिरोध अगर खत्म नहीं हुआ और कुछ हफ्ते और चला तो मजबूरी में उन्हें अपने वर्कर्स की छंटनी करनी पड़ेगी.

कुंडली इंडस्ट्रियल एरिया के मजदूर हों या मालिक, हर कोई सीलबंद बॉर्डर और किसान-सरकार के गतिरोध से परेशान है और वित्तीय नुकसान की दुहाई दे रहा है, जहां मजदूरों और कर्मचारियों की लेट पहुंचने से सैलरी कट रही है तो मालिकों की समान से लदी गाड़ियां डिलीवरी के लिए जा नहीं पा रही हैं.

व्यापारियों ने सरकार से की ये मांग

व्यापारियों की संस्था CAIT हो या फिर कुंडली में उद्योगपतियों की संस्था कुंडली इंडस्ट्री एसोसिएशन, हर कोई देश की इकोनॉमी और उद्योग की इकोनॉमी को हो रहे नुकसान के बारे में बता रहा है, चर्चा कर रहा है, परेशान हो रहा है और सरकार से उपाय करने की मांग करते हुए 1 लेन खोलने की मांग कर रहा है, जिससे सुरक्षा भी हो जाए और इकोनॉमी भी चलती रहे.

वैसे ये पहली बार नहीं है जब सड़कों को बंधक बनाने वाले किसान आंदोलन और सुरक्षा की दृष्टि से सीलबंदी करने वाली दिल्ली पुलिस की बैरिकेडिंग से देश की इकोनॉमी को चपत लगी हो. इससे पहले भी 13 महीने तक चले किसान आंदोलन 1.0 में हर रोज देश को 3500 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ था और 150 फैक्ट्रियां बंद हुई थीं, जिसमें हजारों कर्मचारियों की नौकरी गई थी. ऐसे में हमारी सरकार और किसानों से यही अपील है कि वो जल्द से जल्द गतिरोध खत्म करें और सीमाओं को आजाद करें जिससे आम जनजीवन भी चल सके और देश की इकोनॉमी की रफ्तार भी.

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