Jaishankar on QUAD: मजबूत होते क्वाड से कसमसाएगा चीन, जयशंकर ने साफ किया- कोई मुगालता न पाले ड्रैगन!
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Jaishankar on QUAD: मजबूत होते क्वाड से कसमसाएगा चीन, जयशंकर ने साफ किया- कोई मुगालता न पाले ड्रैगन!

Donald Trump and quad: ट्रंप के आने से अब क्वाड का क्या होगा? अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद से क्वाड के भविष्य पर उठने वाले तमाम अटकलों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को विराम लगा दिया.

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Jaishankar News: अगले साल भारत ‘QUAD’ की मेजबानी करने जा रहा है. भारत को ये मेजबानी ऐसे वक्त मिली है जब अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हो रहा. ट्रंप फिर से अमेरिका की बागडोर अपने हाथों में लेंगे. ऐसे में क्वाड के चार सदस्यों वाले इस ग्रुप का भविष्य क्या होगा, इस पर तमाम अटकलें लगाई जा रही थीं. अब विदेश मंत्री ने साफ कहा कि क्वाड और मजबूती से अपने उद्देश्यों की ओर आगे बढ़ेगा, जिसमें ट्रंप का भी भरपूर समर्थन रहेगा. 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि ‘QUAD’ आगे बढ़ रहा है. इसका एजेंडा इसे सबसे व्यापक अंतर-सरकारी ढांचे में से एक बनाता है. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आने वाली सरकार के ‘क्वाड’ के लिए समर्थन कम करने की संभावना नहीं है. भारत-जापान फोरम में यहां एक संवाद सत्र में जयशंकर ने बताया कि कैसे अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान ‘क्वाड’ को आगे बढ़ाने में सहयोग दिया गया था.

चार देशों के समूह ‘क्वाड’ में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं. भारत के लिहाज से देखें तो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन बीते कुछ वर्षों में ज्यादा आक्रामक बर्ताव कर रहा है. ऐसे में क्वाड इलाके में शांति, स्थिरता पर जोर दे रहा है. जयशंकर ने कहा कि 2017 में ट्रंप प्रशासन का पहला वर्ष था जब इसकी (क्वाड) उप-मंत्री स्तर पर बातचीत की शुरुआत हुई. फिर 2019 में ट्रंप प्रशासन के दौरान उप-मंत्री स्तर से आगे बढ़ते हुए विदेश मंत्री स्तर की बातचीत हुई. 

उन्होंने कहा कि हमारे पास यह उम्मीद करने के लिए हर कारण है कि वे कहेंगे कि इसने अच्छी तरह काम किया है, इसलिए, हमें इसे जारी रखना चाहिए. भारत 2025 में ‘क्वाड’ के अगले शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है. जयशंकर ने कहा कि ‘क्वाड’ आगे बढ़ रहा है और इसका एजेंडा इसे आज के समय में सबसे व्यापक अंतर-सरकारी समन्वय में से एक बनाता है. 

पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद चीन के साथ भारत के संबंधों पर जयशंकर ने सैनिकों को पीछे हटाने के हालिया समझौते का जिक्र कते हुए कहा कि एलएसी पर तनाव कम करने के संबंध में चुनौतियां बनी हुई हैं. इसे और कम करने के प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने कहा  कि चीन के साथ हमारा पूरा संबंध इस तथ्य पर आधारित था कि सीमा क्षेत्र शांतिपूर्ण और स्थिर रहेंगे और हमने यह सुनिश्चित करने के लिए समझौते किए थे. 2020 में चीन ने सीमा पर बहुत अधिक सैनिक तैनात कर दिए, जिसका भारत ने माकूल जवाब दिया. 

सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इसमें करीब साढ़े चार साल लग गए. उन्होंने कहा कि हमारे सामने अब भी चुनौतियां बाकी हैं. हमें अभी भी तनाव कम करना है, क्योंकि हमने नजदीकी इलाकों से सेनाओं को हटाया है. जयशंकर ने कहा कि अब ध्यान तनाव कम करने पर होगा क्योंकि उस इलाके में अब भी बहुत बड़ी संख्या में सैनिक तैनात हैं. 

उन्होंने कहा कि अब हमें चीन के साथ बैठकर चर्चा करनी होगी कि हम अपने संबंधों को कैसे फिर से आगे बढ़ा सकते हैं. यह एक ऐसी कवायद है जिसे अभी शुरू किया जाना है. भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उस वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प के परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया. (भाषा इनपुट के साथ)

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