Jaipur News: 900 करोड़ की लूट का आरोप फिर भी, आखिर कौन है जीजा-साले पर मेहरबान, बैक डेट में आदेश निकाल भुगतान
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Jaipur News: 900 करोड़ की लूट का आरोप फिर भी, आखिर कौन है जीजा-साले पर मेहरबान, बैक डेट में आदेश निकाल भुगतान

कहते हैं कि सिस्टम को भ्रष्टाचार दीमक की तरह खा रहा है. भ्रष्टाचार पर प्रहार के बड़े बड़े दावे भी होते हैं. अगर ऐसा होता तो राजस्थान की दो ट्यूबवेल फर्म का भुगतान करने के लिए बैक डेट में ऑर्डर नहीं जारी होता. लेकिन जयपुर की दो फर्मों के फेवर में फैसला लेने का आरोप लगा है.

Jaipur News: 900 करोड़ की लूट का आरोप फिर भी, आखिर कौन है जीजा-साले पर मेहरबान, बैक डेट में आदेश निकाल भुगतान

Rajasthan Corruption News: 900 करोड़ की भ्रष्टाचारी फर्म (श्री श्याम और गणपति ट्यूबवेल ) के काम और भुगतान पर लगी रोक के आदेश को जलदाय विभाग ने वापस ले लिया है. बताया जा रहा है कि उस फर्म को भुगतान करने का आदेश बैक डेट में जारी किया गया है.  बैक डेट में आर्डर निकलने के बाद एक बार फिर जलदाय विभाग सुर्खियों में है. 900 करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोप बाद इस फर्म को ना सिर्फ भुगतान करने का आदेश हुआ. बल्कि फर्म ने काम भी करना शुरू दिया. ऐसे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं जैसे भले ही अफसर बदल जाएं,सरकार बदल जाए लेकिन सिस्टम अपने हिसाब से ही काम करता रहता है. यानी कि सिस्टम जस का तस अपनी चाल से चलता रहेगा. 

900 करोड़ लूट,फिर भी..!

श्री श्याम और गणपति ट्यूबवेल फर्म. इन दोनों फर्मों के मालिकों का आपसी रिश्ता जीजा और साले का है. केंद्र सरकार की उपक्रम कंपनी इरकॉन के नाम पर जमकर लूट मचाने का आरोप है. ये दोनों वहीं फर्में है जिन्होंने जल जीवन मिशन में फर्जी प्रमाण पत्रों के 900 करोड़ के टैंडर हासिल किए.ये वही फर्में है जो ईडी-एसीबी के जांच के दायरे में हैं. लेकिन इन सबके बावजूद दोनों फर्मों के भुगतान और कार्यों के रोक का आदेश वापस ले लिया गया. बताया जा रहा है कि यह विड्रा का आदेश भी बैक डेट में निकाला गया है. खास बात ये है इन दोनों फर्मों की जांच लगातार जारी है. इसके बावजूद जलदाय विभाग की मेहरबानी के चलते भुगतान और काम दोनों फर्मों का शुरू हो गया है.

जीजा-साले पर कौन-कौन मेहरबान?

आरोप है कि श्री श्याम फर्म के मालिक पदमचंद जैन और गणपति श्याम फर्म का मालिक महेश मित्तल ने इंजीनियर्स से मिलीभगत कर जल जीवन मिशन और शहरी योजना में भ्रष्टाचार किया था. 5 फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर टेंडर हासिल किए थे.इस पूरे मामले में ईडी ने दो बार पीएचईडी अफसरों और इंजीनियर्स के यहां छापे मारे थे. अब एक आदेश के बाद फिर से दोनों फर्मों का रूतबा दिखाई दे रहा है.ऐसे में क्या अब यही माना जाए कि दोनों भ्रष्टाचारी फर्मों ने नई सरकार में भी पैठ बना ली है?

ब्लैक लिस्टेड हो चुकी फर्में

कोर्ट के आदेश के बाद दोनों फर्मों को भुगतान और कार्यों के आदेश विड्रॉ लिए.लेकिन जलदाय विभाग ने दोनों फर्मों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया,यानि अब दोनों को विभाग में कोई काम नहीं मिलेगा.हालांकि ये आदेश मौजूदा कार्यों पर प्रभावी नहीं होता.लेकिन जिन फर्मों की जांच चल रही है क्या उन फर्मों पर जलदाय विभाग की इतनी मेहरबानी क्यों दिखाई दे रही है.

(आशीष चौहान की रिपोर्ट)

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