Sharad Pawar News: एनसीपी चीफ ने भारत- मालदीव विवाद में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दूसरे देश के लोग हमारे पीएम के बारे में कुछ कहें तो यह स्वीकार नहीं किया जा सकता.
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Sharad Pawar on India Alliance: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने इस बात से इनकार किया कि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन से नाराज है. उन्होंने कहा, ‘जहां तक मैं जानता हूं नीतीश कुमार बिल्कुल नाराज नहीं है, उन्हें जो लगता है वह बिल्कुल साफ-साफ कहते हैं इसीलिए कई बार मीडिया में गलतफमी हो जाती है.
बता दें आज शाम चार बजे दिल्ली में महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी की बैठक होनी है. मीटिंग से पहले पवार का यह बयान काफी अहम माना जा रहा है.
भारत-मालदीव विवाद पर दी प्रतिक्रिया
एनसीपी चीफ ने भारत- मालदीव विवाद पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, ‘नरेंद्र मोदी की सरकार और उनकी पॉलिटिकल अप्रोच को लेकर हमारे मन में कई बातें हैं. लेकिन देश के प्रधानमंत्री के बारे में किसी अन्य देश के लोग कुछ कहें यह हम स्वीकार नहीं कर सकते. देश के बाहर वे हमारे प्रधानमंत्री हैं, प्रधानमंत्री के पद कि गरिमा है और हम उसकी इज्जत करते हैं.’
बिलकीस बानो केस पर कही ये बात
शरद पवार ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार से अपील की कि वह बिलकीस बानो के मामले को गंभीरता से ले और इस बात को ध्यान में रखे कि उच्चतम न्यायालय ने इस ‘जघन्य अपराध’ के बारे में क्या कहा है.
पवार ने कहा, ‘महिला पर जो कुछ गुजरा है और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या की गई है... उसे देखते हुए मुझे लगता है कि महाराष्ट्र सरकार इस मामले को गंभीरता से लेगी.' उन्होंने कहा, ‘मेरा अनुरोध है कि इस मामले को गंभीरता से लें और इस बात को ध्यान में रखें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस जघन्य अपराध में शामिल लोगों के बारे में क्या कहा है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए.'
एनसीपी चीफ ने कहा कि सरकार को ऐसा निर्णय लेना चाहिए जिससे यह संदेश जाए कि समाज में ऐसे अपराधों को स्वीकार नहीं किया जा सकता.
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात सरकार पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए 2002 के दंगों के दौरान बिलकीस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया और दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल भेजने का निर्देश दिया.
गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को सजा में छूट दे दी थी और उन्हें रिहा कर दिया था.