Railway Rules: ट्रेनों और प्लेटफॉर्म्स पर भीख मांगने पर रोक है या नहीं? क्या कहते हैं रेलवे के नियम
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Railway Rules: ट्रेनों और प्लेटफॉर्म्स पर भीख मांगने पर रोक है या नहीं? क्या कहते हैं रेलवे के नियम

Begging in Railway: मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि ट्रेन में भीख मांगना अपराध मुक्त हो सकता है. ऐसी रेलवे की प्रस्तावित योजना है. इसमें रेलवे परिसरों, ट्रेन और प्लेटफॉर्म्स पर भीख मांगने को अपराध मुक्त करने का प्रस्ताव है.रिपोर्ट में कहा गया था कि आम जनता से रेलवे ने इसे लेकर सुझाव मांगे हैं. आइए आपको बताते हैं कि सच्चाई क्या है.

Railway Rules: ट्रेनों और प्लेटफॉर्म्स पर भीख मांगने पर रोक है या नहीं? क्या कहते हैं रेलवे के नियम

Indian Railway Rules for Begging: ट्रेन में आपने लोगों को भीख मांगते जरूर देखा होगा. ट्रेन के जनरल डिब्बों में यात्रियों के पास आकर छोटे बच्चे भी भीख मांगते नजर आ जाते हैं. यात्रियों को कई बार इससे असुविधा भी होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ट्रेन में भीख मांगना अपराध है या नहीं.

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि ट्रेन में भीख मांगना अपराध मुक्त हो सकता है. ऐसी रेलवे की प्रस्तावित योजना है. इसमें रेलवे परिसरों, ट्रेन और प्लेटफॉर्म्स पर भीख मांगने को अपराध मुक्त करने का प्रस्ताव है.रिपोर्ट में कहा गया था कि आम जनता से रेलवे ने इसे लेकर सुझाव मांगे हैं. आइए आपको बताते हैं कि सच्चाई क्या है.

दरअसल, रेलवे एक्ट 1989 के सेक्शन 144 के तहत, रेलवे परिसर, रेलवे प्लेटफॉर्म और ट्रेनों में भीख मांगना क्राइम है. ऐसा करते पाए जाने पर जुर्माना, कैद या दोनों हो सकते हैं. एक्ट के मुताबिक, अधिकतम एक साल की जेल और 2000 रुपये जुर्माना दोनों लगाए जा सकते हैं. इस बारे में रेलवे की ओर से भी स्पष्टीकरण दिया गया था. इसमें रेलवे ने कहा था कि ट्रेनों और स्टेशनों पर भीख मांगने की इजाजत देने जैसा कोई प्रस्ताव नहीं है. 

दूसरी ओर रूस-भारतीय कंसोर्टियम- ट्रांसमाशहोल्डिंग (टीएमएच) और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने 200 वंदे भारत ट्रेनें बनाने के लिए सबसे कम बोली लगाई है. रूस से और ट्रेन के पहिए भारत में आने की उम्मीद है. 16 कोच वाली वंदे भारत ट्रेन 64 पहियों पर चलती है और 200 ट्रेनों के लिए पहियों की कुल संख्या 12,800 होगी. टीएमएच-आरवीएनएल कंसोर्टियम 200 वंदे भारत ट्रेनों को 120 करोड़ रुपये प्रति ट्रेन बनाने के लिए सबसे कम बोली लगाने वाला था. कुल रकम 24,000 करोड़ रुपये है.

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के रिटायर्ड जनरल मैनेजर सुधांशु मणि ने बताया था कि वंदे भारत में लगभग 15 प्रतिशत आयात सामग्री है. आयातित वस्तुओं में से एक पहिया है जिस पर ट्रेन चलती है. उन्होंने कहा था कि रोलिंग आउट व्हील्स में क्षमता की कमी के कारण इसका आयात किया जा रहा है.

आईसीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, वंदे भारत के लिए पहिए पहले यूक्रेन से आयात किए जाते थे. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पहिए चीन, रूस और अन्य देशों से आयात किए जाते हैं. मणि के मुताबिक, भारतीय रेलवे की तरफ से पर्याप्त मांग है और व्हील मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी बढ़ाई जा सकती है. उन्होंने कहा था कि ट्रेन के पहिए चीन, यूक्रेन, चेकिया, रूस से आयात किए जा रहे हैं. भारत सरकार ने पहले 400 वंदे भारत ट्रेनें बनाने के फैसले का ऐलान किया था.

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