Indian Railway: भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 3 फरवरी, 1925 को बॉम्बे वीटी (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, मुंबई) और कुर्ला हार्बर के बीच चली थी. ट्रेन को 1500 वोल्ट डीसी (डायरेक्ट करंट) पर इलेक्ट्रिफाई किया गया था. देश आजाद होने से पहले भारत में 388 किलोमीटर डीसी इलेक्ट्रिफिकेशन था.
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North East Railway: कई सदियों के लंबे इंतजार के बाद मेघालय को अब जाकर पहली बार इलेक्ट्रिक ट्रेन मिली है. रेलवे ने अभयपुरी-पंचरत्न के बीच इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा कर लिया है. अब पूर्वोत्तर भारत में ट्रेनों की रफ्तार में सुधार की उम्मीद है. भारतीय रेलवे ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने दुधनाई-मेंदीपाथर (22.823 ट्रैक किलोमीटर) सिंगल लाइन सेक्शन और अभयपुरी-पंचरत्न (34.59 ट्रैक) चालू करके एक और उपलब्धि हासिल की है. जानकारी के अनुसार डबल लाइन सेक्शन 15 मार्च को शुरू हुई. रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए केंद्रीय संगठन (कोर) ने इन खंडों में इलेक्ट्रिफिकेशन का काम किया है.
रफ्तार में होगा इजाफा
मेंदीपाथर उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय का एकलौता रेलवे स्टेशन है जो प्रधानमंत्री मोदी के उद्घाटन किए जाने के बाद 2014 से एक्टिव है. इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन चालू होने के बाद, इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव से खींची जाने वाली ट्रेनें अब मेघालय के मेंदीपाथर से सीधे ऑपरेट हो सकेंगी, जिससे पूर्वोत्तर की औसत गति में इजाफा होगा. साथ ही इससे और अधिक यात्री व माल ढुलाई वाली ट्रेनें इन खंडों के जरिए पूर्ण अनुभागीय गति से चल सकेंगी. रेलवे के अनुसार अब दूसरे राज्यों से इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव से खींची जाने वाली पार्सल और माल ढुलाई वाली ट्रेनें सीधे मेघालय पहुंच सकेंगी.
रेलवे के अनुसार इलेक्ट्रिफिकेशन से पूर्वोत्तर भारत में ट्रेनों की रफ्तारों में काफी सुधार होगा. जीवाश्म ईंधन से बिजली की ओर जाने से होने वाले प्रदूषण में कमी के अलावा, इस क्षेत्र में रेलवे प्रणाली की काबिलियत में भी सुधार होगा. इससे बिना रुके यातायात की सुविधा होगी और कीमती विदेशी मुद्रा की बचत के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों से आने-जाने वाली ट्रेनों के समय की भी बचत होगी. गौरतलब है कि रेल मंत्रालय ने 2030 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने के साथ अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने का लक्ष्य रखा है.
1925 में चली थी पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन
बता दें भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 3 फरवरी, 1925 को बॉम्बे वीटी (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, मुंबई) और कुर्ला हार्बर के बीच चली थी. ट्रेन को 1500 वोल्ट डीसी (डायरेक्ट करंट) पर इलेक्ट्रिफाई किया गया था. देश आजाद होने से पहले भारत में 388 किलोमीटर डीसी इलेक्ट्रिफिकेशन था. इसके बाद मार्च, 2022 तक भारतीय रेलवे ने कुल ब्रॉड-गेज नेटवर्क (65,141 आरकेएम,) का लगभग 45,881(80.20 प्रतिशत) रूट किलोमीटर (आरकेएम) इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा कर लिया था.
(इनपुट-IANS)
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