India Nepal Kalapani dispute: भारत और नेपाल के बीच लंबे समय से चले आ रहे कालापानी विवाद को कोई कुछ दशक पुराना मानता है तो कोई इसे 200 साल पुराना बताता है. कभी अखंड भारत का हिस्सा रहे नेपाल के भारत से युगों पुराने ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि ये विवाद जल्द ही सुलझ जाएगा.
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Prachanda India Visit India Nepal border dispute: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड (Prachand) 31 मई से तीन जून तक का भारत दौरा संपन्न हो गया. इस दौरान दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की बात की गई तो दोनों देशों के बीच कुछ विवाद सुलझने की उम्मीद भी बढ़ गई है. दरअसल जब और जहां कहीं किसी नेता का विदेश दौरा होता है तो उस अधिकारिक यात्रा का सार यानी टेक अवे क्या रहा? उस पर सबसे ज्यादा चर्चा होती है. ऐसे में यहां बात भारत-नेपाल के बीच लंबे समय से चल रहे कालापानी सीमा विवाद (Kalapani border dispute) की जिसके अब जल्द सुलझने की उम्मीद बढ़ गई है.
भारत-नेपाल संबंध एक नए चरण में प्रवेश कर चुके हैं: प्रचंड
प्रचंड की इस 4 दिन की इस यात्रा में बहुत कुछ हुआ. दोनों देशों ने 7 समझौतों पर हस्ताक्षर किए तो नई रेल सेवाओं समेत 6 प्रोजेक्ट की शुरुआत की. त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद प्रचंड ने कहा, ‘अपने भारतीय समकक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) से मुलाकात उनके चार दिवसीय भारत दौरे का ‘सबसे महत्वपूर्ण पहलू’ है. हमने आने वाले दिनों में नेपाल और भारत के बीच सदियों पुराने घनिष्ठ संबंधों को और गहरा करने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की क्योंकि दोनों देशों के बीच संबंध एक नए चरण में प्रवेश कर चुके हैं.’
2020 में सुर्खियों में रहा था मामला
नेपाली प्रधानमंत्री ने इस दौरे में भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के संकेत दिए हैं. कालापानी को लेकर लंबे समय से तनातनी का दौर चल रहा था. जानकारों का मानना है कि जल्द ही इस विवाद का स्थाई समाधान हो सकता है. दोनों देश इस विवाद को सुलझाने के लिए जमीन की अदला-बदली कर सकते हैं. आपको याद होगा कि साल 2020 में नेपाल ने अपने नक्शे में कालापानी, लिपुलेख दर्रे और लिंपियाधूरा को शामिल किया था. माना जा रहा था कि नेपाल ने ये नक्शा चीन की शय पर प्रकाशित किया था, जिसके बाद ये विवाद चरम पर पहुंचने के साथ दोनों देशों की सुर्खियों में आ गया था.
क्या है कालापानी विवाद?
उत्तराखंड का कालापानी इलाका का क्षेत्रफल 372 वर्ग किलोमीटर है. इस इलाके पर आईटीबीपी का कंट्रोल है. तीन गांव और तीन हजार आबादी वाले इस क्षेत्र में लिपुलेख दर्रे से व्यापार होता है. साल 2020 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचूला से जोड़ने वाली एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क का उद्घाटन किया था. जिस पर नेपाल ने विरोध जताया था. भारत के साथ ऐतिहासिक रिश्ते होने के बावजूद नेपाल ने नया नक्शा पेश किया, जिसमें उसने कालापानी को अपने हिस्से के रूप में दिखाया. विवाद को सुलझाने के लिए भारत सरकार ने 1980 में एक कमेटी बनाई लेकिन वो भी कोई समाधान नहीं निकाल सकी. 1997 में भारत और नेपाल ने एक संयुक्त टीम को उस विवादित स्थान पर भेजने का फैसला किया, लेकिन ये बात भी आगे नहीं बढ़ सकी.