चंपई अपने आप गए या मजबूरी में जाना पड़ा! 'कोल्‍हान के टाइगर' को किसने कह दिया 'चूहा'?
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चंपई अपने आप गए या मजबूरी में जाना पड़ा! 'कोल्‍हान के टाइगर' को किसने कह दिया 'चूहा'?

Champai Soren and Hemant Soren: मीडिया में जो खबरें सूत्रों के हवाले से छनकर आ रही हैं वो तो ये कह रही हैं कि चंपई अपने आप से नहीं गए हैं, उन्‍होंने कुर्सी बचाने की कोशिश भी की थी लेकिन जेएमएम के पूरी तरह से हेमंत के पीछे खड़े हो जाने के कारण उनको मजबूरी में पद छोड़ना पड़ा. 

चंपई अपने आप गए या मजबूरी में जाना पड़ा! 'कोल्‍हान के टाइगर' को किसने कह दिया 'चूहा'?

चंपई सोरेन ने झारखंड के नए मुख्‍यमंत्री के वास्‍ते इस्‍तीफा दे दिया. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता हेमंत सोरेन पांच महीने बाद एक बार फिर सीएम बनने जा रहे हैं. चंपई का कुर्सी छोड़ने का ऐलान क्‍या उतना ही सहज है जितना उनका कुर्सी पर आगमन था? या पर्दे के पीछे कुछ और ही कहानी है. मीडिया में जो खबरें सूत्रों के हवाले से छनकर आ रही हैं वो तो ये कह रही हैं कि चंपई अपने आप से नहीं गए हैं, उन्‍होंने कुर्सी बचाने की कोशिश भी की थी लेकिन जेएमएम के पूरी तरह से हेमंत के पीछे खड़े हो जाने के कारण उनको मजबूरी में पद छोड़ना पड़ा. कहा तो ये भी जा रहा है कि उन्‍होंने अपना तर्क रखा था कि अगले चंद महीनों में ही चुनाव है और ऐसे ऐन मौके पर उनका झारखंड के मुख्‍यमंत्री के रूप से हटना सही संदेश नहीं देगा. उन्‍होंने ये भी कहा था कि हेमंत केवल जमानत पर बाहर आए हैं और उनके नेतृत्‍व करने की स्थिति में सरकार को फिर से अस्थिर करने की कोशिश हो सकती है. चंपई ने खुद के जन नेता होने की बात भी कही. हेमंत को अपना बेटा-बहू मानने की बात भी कही लेकिन जेएमएम और गठबंधन के सहयोगियों के समक्ष उनकी दलील नहीं चली. 

हेमंत की वापसी क्‍यों?
1. जेएमएम, राजद और कांग्रेस का सत्‍तारूढ़ गठबंधन ये मानता है कि 2019 में चुनाव हेमंत सोरेन के नेतृत्‍व में लड़ा और जीता गया था. लिहाजा अगले 2-3 महीनों के भीतर जब फिर से चुनाव होने जा रहे हैं तो ऐसे वक्‍त में यदि नेतृत्‍व हेमंत सोरेन के पास रहेगा तो बेहतर रहेगा. उनके नेतृत्‍व में ही चुनाव में जाना सही रहेगा. 
2. चंपई यदि पद पर बने रहेंगे तो जेएमएम का वोटबैंक और पार्टी नेतृत्‍व को लेकर कंफ्यूज हो सकता है. यानी ये भ्रम उत्‍पन्‍न हो सकता है कि आखिर जेएमएम की कमान किसके पास है? चंपई या हेमंत के पास?
आम जनता के बीच इस गलतफहमी को दूर करने के लिए ये जरूरी है कि पार्टी और सरकार की कमान हेमंत सोरेन के पास हो. 
3. हेमंत के टॉप पर रहने से जेएमएम, राजद और कांग्रेस गठबंधन भी मजबूत दिखेगा और कहीं कोई शंका पैदा नहीं होगी. चुनाव में एकजुटता से विपक्ष का मुकाबला किया जा सकेगा.

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चंपई का क्‍या होगा?
1. सूत्रों का ये कहना है कि नई हेमंत सोरेन सरकार में उनको फिर से पहले की तरह मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि ये देखने वाली बात होगी कि क्‍या वो वास्‍तव में इस तरह के किसी ऑफर को स्‍वीकार करेंगे? 
2. पार्टी उनको लेकर बेहद ऐहतियात बरतेगी क्‍योंकि वो कोल्‍हान क्षेत्र से आते हैं. आदिवासी बहुल उस इलाके में 14 सीटें हैं. लिहाजा चंपई सोरेन को नाराज करने का जोखिम पार्टी नहीं लेना चाहेगी. 

भाजपा ने क्‍या कहा
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एक पोस्ट में कहा, 'झारखंड में चंपई सोरेन युग खत्म हो गया है. परिवारवादी पार्टी में परिवार के बाहर के लोगों का कोई राजनीतिक भविष्य नहीं है. मैं चाहता हूं कि मुख्यमंत्री भगवान बिरसा मुंडा से प्रेरणा लें और भ्रष्ट हेमंत सोरेन जी के खिलाफ खड़े हो जाएं.'

भाजपा की झारखंड इकाई के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि शिबू सोरेन के परिवार के बाहर के आदिवासी झामुमो में केवल अस्थायी चेहरे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि यह परिवार अपनी आवश्यकताओं के अनुसार लोगों का उपयोग करने में विश्वास रखता है. 

मरांडी ने आरोप लगाया कि पांच महीने पहले भाई-भतीजावाद से ऊपर उठकर नया मुख्यमंत्री चुनने की बात करने वाले झामुमो का असली चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया है. उन्होंने कहा कि ''कोल्हान का टाइगर'' कहे जाने वाले चंपई सोरेन को चूहा बना दिया गया है.

विधानसभा का गणित
झारखंड मंत्रिपरिषद में 12 मंत्री हो सकते हैं, लेकिन वर्तमान में 10 मंत्री हैं. लोकसभा चुनाव के बाद, राज्य में झामुमो-नीत गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 45 रह गई है, जिनमें झामुमो के 27, राजद का एक और कांग्रेस के 17 विधायक शामिल हैं.

झामुमो के दो विधायक-नलिन सोरेन और जोबा माझी अब सांसद हैं, जबकि जामा से विधायक सीता सोरेन ने भाजपा के टिकट पर आम चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया था. झामुमो ने बिशुनपुर से विधायक चमरा लिंडा और बोरियो से विधायक लोबिन हेम्ब्रम को पार्टी से निष्कासित कर दिया था, लेकिन उन्होंने अभी तक विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है.

इसी तरह, विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या घटकर 24 रह गई है, क्योंकि उसके दो विधायक- ढुलू महतो (बाघमारा) और मनीष जायसवाल (हजारीबाग) ने लोकसभा चुनाव लड़ा था और वे अब सांसद हैं. भाजपा ने चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस में शामिल होने वाले मांडू सीट से विधायक जयप्रकाश भाई पटेल को निष्कासित कर दिया है.

झारखंड की 81-सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 76 सदस्य हैं. राज्य में इस साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव भी प्रस्तावित है.

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