Gujarat Election 2022: गुजरात इलेक्शन को लेकर क्या कहती है नवसारी की जनता? चुनावी यात्रा में खुलकर बोले लोग
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Gujarat Election 2022: गुजरात इलेक्शन को लेकर क्या कहती है नवसारी की जनता? चुनावी यात्रा में खुलकर बोले लोग

Gujarat Election 2022: गुजरात के विधानसभा चुनावों को लेकर Zee News की चुनावी यात्रा जारी है. इस सिलसिले में हमारी टीम ने भुज जिले के कोने-कोने में जाकर लोगों से उनका रुझान जानने की कोशिश की.

गुजरात विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज गई है...

Navsari assembly seat election 2022: केंद्रीय चुनाव आयोग (EC) की ओर से गुजरात की चुनावी तारीख का ऐलान करने के पहले से ज़ी न्यूज़ की चुनावी यात्रा शुरू हो चुकी है. इस सिलसिले में हमारी टीम गुजरात के नवसारी (Navsari) पहुंची. जहां मौजूद लोगों ने विधानसभा चुनाव को लेकर खुलकर बात की. इसी सफर में ज़ी न्यूज़ संवाददाता जब नवसारी से करीब 40 KM की दूरी पर मौजूद वासदा तालुका पहुंचे, तो वहां पर कैसा माहौल था आइए जानते हैं.

नवसारी की जनता का मूड

यहां पर बने एक आदिवासी रेस्टोरेंट में मौजूद लोगों से जब नवसारी की जनता का मूड जानने की कोशिश की गई तो महिलाओं से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने अपनी राय रखी. वहीं इस रेस्टोरेंट की बात करें तो इसे कुछ आदिवासी महिलाओं ने अपनी बचत के पैसों को जोड़कर एक NGO की मदद से शुरू किया था. हमने यहां खाना खाने वालों और बनाने वालों दोनों से चुनावी चर्चा की. यहां पर आए कुछ लोग तो 20 किमी दूर धर्मपुर से आये थे. इन लोगो ने बताया कि भले ही बीजेपी (BJP) को यहां की सत्ता में लंबा वक्त बीत चुका हो इसके बावजूद यहां सत्ता विरोधी लहर नहीं है.

'आप का असर नहीं'

यहां मौजूद लोगों के मुताबिक इंटीरियर इलाकों में रोड की कुछ समस्या जरूर है लेकिन बाकी गुजरात मे बहुत विकास हुआ है. उन्होंने ये भी कहा, 'केजरीवाल फ्री बिजली देने की बात कर रहे हैं लेकिन आखिर वो बोझ भी तो जनता पर ही पड़ेगा.' यहां हुई चर्चा में ये नजर आया कि इस इलाके में केजरीवाल या उनकी आम आदमी पार्टी (AAP) का कोई खास असर नही है.

दक्षिण गुजरात के नवसारी इलाके के लोग को-ऑपरेटिव सोसाइटी को अपने जीवन का बड़ा हिस्सा मानते हैं. इस इलाके के लोगों से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि इस इलाके में एक एजुकेशन सोसाइटी है जो साल 1945 से काम कर रही है. इस वक्त यहां 2200 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. इस गांव मे किसानों के लिए बनाई गई सोसाइटी ही यहां के सामाजिक तानेबाने को बुनने का काम करती है. इस सोसाइटी से करीब 8 गांव जुड़े हैं. ये सोसाइटी किसान की सारी फसल खरीद लेती है और इनका 75% पैसा भी इन्हें अगले दिन मिल जाता है. बकाया का 25% पैसा सरप्लस मुनाफे के साथ अगस्त महीने तक दिया जाता है.

किसानों की राय

इस चुनावी मौसम में जब हमनें जब यहां के किसानों से बात की तो उन्होंने बताया कि खेती के लिहाज से तो पिछला साल बेहद खराब साबित हुआ है. सरकार से थोड़ा बहुत मुआवजा मिला है. आम के पेड़ में 60% से ज़्यादा नुकसान हर साल हो रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में सड़क और पानी व्यवस्था बहुत अच्छी है लेकिन महंगाई बहुत बढ़ गयी है. बिजली की भी समस्या है. सिर्फ 8 घंटे बिजली मिलती है. कभी बिजली दिन में मिलती है तो कभी रात में आती है. ऐसे में इसका फायदा किसानों को नहीं होता है. कुछ किसान बताते हैं कि आज मजदूरी मंहगी हो गयी है. मौसम में बदलाव लगातार किसानों की चिंता का सबब बना हुआ है. इसका असर फसलों पर पड़ रहा है. कुछ लोगो के मुताबिक अभी तक कोई भी नेता उनके पास नहीं आया है. 

फ्री बिजली की उम्मीद

आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के बिजली फ्री देने के मुद्दे पर एक किसान ने कहा कि दिल्ली मे किया है तो यहां भी फ्री और ज्यादा देर तक बिजली मिलने की उम्मीद है. वहीं दूसरे किसानों का कहना है कि सरकार फ्री में कुछ न दे. किसानों को भी टैक्स देना पड़ता है. खाद से लेकर इलेक्ट्रिसिटी ट्रांजिट लॉस भी किसानों से ही वसूला जाता है. किसान कहते है कि मोदी जी जो कृषि कानून ला रहे थे वो सही थे. यहां के किसान बीजेपी के पक्ष में दिखे. कई चुनौतियों के बावजूद स्थानीय किसानों ने कहा उनका वोट तो विकास के नाम पर ही जाएगा. 

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