Success Story: किसान ने गाय का दूध बेचकर बनाया ₹1 करोड़ का बंगला, नाम रखा ‘गोधन निवास’
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Success Story: किसान ने गाय का दूध बेचकर बनाया ₹1 करोड़ का बंगला, नाम रखा ‘गोधन निवास’

Cow's Milk: महाराष्ट्र के प्रकाश इम्दे का व्यवसाय गांव के लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है.  दूसरे राज्यों से भी लोग प्रकाश इम्दे के फार्म को देखने और सीखने के लिए सांगोला आते हैं.  

प्रतीकात्मक फोटो

Dairy Farming Business: महाराष्ट्र के सोलापुर के एक किसान ने गाय का दूध बेचकर कमाए पैसे से 1 करोड़ रुपये का बंगला बनाया है. प्रकाश इम्दे की सफलता की कहानी एक गाय से शुरू हुई और अब वह 150 से अधिक गायों के साथ एक डेयरी फार्म चलाते हैं.

प्रकाश, जिन्हें स्थानीय लोग प्यार से बापू कहते हैं, दिन के काम की शुरुआत पहली गाय - लक्ष्मी - की तस्वीर की पूजा करके करते हैं. उन्होंने अपने बंगला बनाया, उसका नाम ‘गोधन निवास’  रखा है.

1998 में बेचना शुरू किया दूध और गोबर
प्रकाश ने चार एकड़ पुश्तैनी जमीन से अपने काम की शुरुआत की थी. हालांकि जो ज़मीन उन्हें विरासत में मिली वह सूखी थी और उस पर खेती करना असंभव था. इसलिए उन्होंने खेती छोड़ दी और 1998 में गाय का दूध और गोबर बेचने का व्यवसाय शुरू किया.  शुरुआत में वह अपने गांव के निवासियों को दूध बेचते थे.

1000 लीटर प्रतिदिन दूध का उत्पादन
केवल एक गाय पर निर्भर व्यवसाय से, वह अब 150 से अधिक गायों के साथ एक डेयरी फार्म चलाते हैं.  फार्म वर्तमान में प्रतिदिन 1,000 लीटर दूध का उत्पादन करता है.  प्रकाश का पूरा परिवार इस बिजनेस में पूरा तरह से उनका साथ देता है - गायों का दूध निकालने से लेकर, उन्हें खाना खिलाने और उनके रखरखाव तक.

प्रकाश ने अपनी गाय का एक बछड़ा भी कभी नहीं बेचा है. 2006 में लक्ष्मी की मृत्यु के बाद, उन्होंने इसकी वंशावली को बढ़ाना जारी रखा और मवेशियों की उसी वंशावली से फार्म चलाते हैं.

गायों को प्रतिदिन चार से पांच टन हरे चारे की आवश्यकता होती है.  प्रकाश खेत में जितना संभव हो उतना उगाते हैं और बाकी बाहरी स्रोतों से खरीदते हैं. उनका व्यवसाय गांव के लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है.  दूसरे राज्यों से भी लोग प्रकाश इमदे के फार्म को देखने और सीखने के लिए सांगोला आते हैं.  

प्रकाश की सालों की मेहनत अब 1 करोड़ रुपये के बंगले में तब्दील हो गई है.  बंगले के ऊपर एक गाय और दूध मथनी की एक मूर्ति खड़ी है, जो सभी को याद दिलाती है कि इमारत कैसे बनी.

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