Noida Rave Party Case: बताया जा रहा है कि यूपी सरकार को एक उच्चस्तरीय समिति ने सांपों को पकड़ने, उनका जहर निकालने और व्यापार करने का लाइसेंस देने संबंधी अपनी सिफारिशें भेजी हैं जिसके बाद नियमों में बड़ा बदलाव हो सकता है.
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UP NEWS: नोएडा की एक रेव पार्टी में कथित तौर पर सांपों के जहर का अनाधिकृत इस्तेमाल होने का मामला सामने आने के बाद अब यूपी सरकार एक्टिव हो गई है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक उच्चस्तरीय समिति ने यह सिफारिश की सांपों को पकड़ने, उनका जहर निकालने और व्यापार करने का लाइसेंस अब सिर्फ सरकारी संस्थानों को ही दिया जाए. बता दें नोएडा के चर्चत रेव पार्टी मामले से में 'बिग बॉस OTT 2' विनर एल्विश यादव का भी नाम आया है. वह मामले के 6 आरोपियों में से एक हैं और नोएडा पुलिस उनसे पूछताछ कर चुकी है. हालांकि एल्विश ने खुद को बेकसूर बताया है. पुलिस मामले के पांच अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है.
मौजूदा नियम क्या है?
फिलहाल प्रदेश के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव वर्तमान में सांप पकड़ने, उसका जहर निकालने और परिवहन की परमिशन देते हैं. यह अनुमति निजी क्षेत्र को भी दी जाती है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा प्रक्रिया की जांच के लिए मुख्य वन संरक्षक नीरज कुमार व एसएन मिश्रा, उप मुख्य वन जीव प्रतिपालक तौफीक अहमद और लखनऊ चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डॉ. उत्कर्ष शुक्ला की समिति बनाई गई थी. इस समिति ने शासन को रिपोर्ट भेज दी है.
यह हैं समिति की सिफारिशें
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सर्प विषदोहन के लिए रखे जाने वाले सांपों के पिजड़ों की डिजाइन केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, नई दिल्ली के अनुरूप होनी चाहिए. फिलहाल प्राधिकरण की ओर से इसके टेस्टिंग की कोई व्यवस्था नहीं है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सांप के जहर की कीमत बहुत अधिक है इसलिए इनकी वैध खरीद-फरोख्त सुनिश्चित होनी चाहिए. निजी केंद्रों के शुरू हो जाने के बाद यह सुनिश्चित करना आसान नहीं है. प्राइवेट सर्प विषदोहन केंद्रों पर लगातार निगरानी रखना भी एक मुश्किल काम है.
समिति ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि सांपों का जहर निकालने में ऐसी विधि अपनानी चाहिए, जिससे कम से कम सांपों से अधिक से अधिक जहर मिल सके. इसके लिए वैज्ञानिक तौर-तरीके अपनाना जरूरी है.
समिति ने सर्प विषदोहन का काम राजकीय परिसरों में राज्य सरकार की संस्थाओं- प्राणि उद्यानों, वन विभाग के क्षेत्रीय प्रभागों, राजकीय पशु-चिकित्सा महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में करने की सिफारिश की है.
सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट इन सिफारिशों का परिक्षण किया जा रहा है. माना जा रहा है कि नोएडा की रेव पार्टी का मामला सामने आने के बाज इन सिफारिशों को मानने संभावना काफी ज्यादा है.