DNA: नेपाल टू दिल्ली.. कांपी धरती, क्या सबसे बड़ा भूकंप आने वाला है?
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DNA: नेपाल टू दिल्ली.. कांपी धरती, क्या सबसे बड़ा भूकंप आने वाला है?

Earthquake DNA Analysis: धरती जब हिलती है तो खौफ का दायरा बहुत बड़ा होता है. मंगलवार को यही खौफ नेपाल से लेकर दिल्ली और भारत के कई हिस्से में दिखाई दिया. जब मंगलवार की दोपहर भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए.

DNA: नेपाल टू दिल्ली.. कांपी धरती, क्या सबसे बड़ा भूकंप आने वाला है?

Earthquake DNA Analysis: धरती जब हिलती है तो खौफ का दायरा बहुत बड़ा होता है. मंगलवार को यही खौफ नेपाल से लेकर दिल्ली और भारत के कई हिस्से में दिखाई दिया. जब मंगलवार की दोपहर भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए. भूकंप आते ही लोग अपने घरों से बाहर निकल आए. लोग अपने मोबाइल पर भूकंप की तीव्रता का पता कर रहे थे. इस भूकंप का केंद्र नेपाल था और इसकी तीव्रता 6.2 थी. खतरा इसलिए बड़ा था क्योंकि नेपाल में भूकंप का केंद्र धरती से सिर्फ 5 किलोमीटर नीचे था. इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि खतरा कितना बड़ा था.

नेपाल में भूकंप का पहला झटका मंगलवार की दोपहर 2 बजकर 25 मिनट पर आया. इसकी तीव्रता 4.6 थी. ये भूकंप 10 किलोमीटर की गहराई में था. इसके बाद भूकंप का दूसरा झटका दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर आया. इस भूकंप की तीव्रता 6.2 थी. ये भूकंप धरती में सिर्फ 5 किलोमीटर की गहराई में था. नेपाल में धरती हिलते ही लोगों को वर्ष 2015 की तबाही नजर आ गई. जब 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था, उस वक्त विनाशकारी भूकंप में 9,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 23,000 से ज्यादा घायल हुए थे. नेपाल में उस वक्त बिल्डिंगें मलबे का ढेर बन गई थी. चारों तरफ चीख पुकार मच गई थी. मंगलवार को जो भूकंप नेपाल में आया है उसने एक बार फिर वर्ष 2015 की दर्दनाक यादें ताज़ा कर दीं.

आपने यह ध्यान जरूर दिया होगा कि जब भी भूकंप के केंद्र की बात होती है तो उसमें ये बताया जाता है कि भूकंप जमीन के कितने नीचे आया है. जैसे नेपाल में आए इस भूकंप का केंद्र जमीन से सिर्फ 5 किलोमीटर नीचे था. सिस्मोलॉजी में भूकंप को 2 श्रेणी में बांटा जाता है. पहला है- Shallow यानी सतही और दूसरा है- Deep यानी गहरा. दुनिया में कहीं भी भूकंप आए, उन्हें इन्हीं दो श्रेणियों में रखा जाता है. Shallow यानी सतही भूकंप, ऐसे भूकंप होते हैं जिनका केंद्र जमीन के 70 किलोमीटर नीचे तक माना जाता है. यानी जिन भूकंपों का केंद्र जमीन के 70 किलोमीटर तक होता है, वो सतही भूकंप हैं. इस भूकंप की तीव्रता बहुत तेज़ होती है, धरती बहुत ज़ोर से हिलती है. इसमें भूकंप के झटके कम दूरी तक महसूस किए जाते हैं.

भूकंप की दूसरी श्रेणी है Deep यानी गहरा. ये ऐसे भूकंप होते हैं जिनका केंद्र, जमीन के 70 किलोमीटर से ज्यादा नीचे होता है. इसका मतलब ये है कि ये भूकंप Deep यानी गहराई वाली श्रेणी में आता है. इस श्रेणी में आने वाले भूकंपों की तीव्रता, पृथ्वी की सतह पर कम महसूस होती है. इस तरह के भूकंप पृथ्वी के बड़े क्षेत्र में महसूस किए जाते हैं. हमने आपको भूकंप की दोनों श्रेणियों के बारे में सरल शब्दों में समझाया. अब सोचिए नेपाल में जो भूकंप आया है उसका केंद्र धरती से सिर्फ 5 किलोमीटर नीचे था. यानि तबाही बहुत बड़ी हो सकती थी.

नेपाल में आए भूकंप की दहशत भारत में भी दिखी. कई बड़े एक्सपर्ट पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि भारत में भी 7.8 से ऊपर की तीव्रता का भूकंप कभी भी आ सकता है. अब आपको बताते हैं कैसे हिमालय और हिंदकुश का रेंज भारत में बड़े भूकंप की संभावना को जन्म देता है. दुनिया के कुछ बड़े भूकंप हिमालय के आसपास आए हैं. नेपाल का 2015 में 7.8 तीव्रता का भूकंप हो या 2005 में PoK के मुजफ्फराबाद में 7.6 तीव्रता का भूकंप. इसी तरह 1905 में कांगड़ा में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था. इन सभी भूकंप की तीव्रता काफी ज्यादा थी. वैसे हिमालय रेंज में अब तक का सबसे बड़ा भूकंप 6 जून 1505 को आया था. उसके बाद से अभी तक उस तीव्रता का भूकंप नहीं आया है. 

लेकिन एक बात और है उस समय भूकंप को मापने का कोई तरीका नहीं था इसलिए उसकी सटीक तीव्रता का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. लेकिन जो नुकसान हुआ था उसके आधार पर उसकी तीव्रता का केवल अनुमान लगाया जाता है. बरसों से आ रहे भूकंप के आधार पर वैज्ञानिकों ने पूरे भारत को अलग-अलग zone में बांटा है. और इसमें उन हिस्सों को जो हिमालय के आसपास हैं उसे सबसे ज्यादा sensitive बताया गया है. भूकंपीय zone के मुताबिक देश का करीब 59 प्रतिशत हिस्सा मध्यम या गंभीर भूकंप की चपेट में आ सकता है. यही सबसे बड़ी चिंता की बात है. 

zone 5 भूकंप के लिहाज से सबसे ज्यादा सक्रिय और सबसे खतरनाक है. इस zone में कश्मीर, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व भारतीय क्षेत्र, कच्छ का रण और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह आते है. इस हिस्से में बड़े और विनाशकारी भूकंपों की आशंका लगातार बनी रहती है. 26 जनवरी 2001 को गुजरात के भुज में भी भारी भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 7.7 थी. zone 4 में जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, गंगा के मैदानों के कुछ हिस्से, उत्तरी पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तर बंगाल जैसे क्षेत्र आते हैं. दिल्ली भी zone 4 में है. ये जोन भी भूकंप के लिहाज से बेहद खतरनाक है और इसमें आए भूकंप से काफी ज्यादा नुकसान होने का खतरा होता है. राजधानी दिल्ली भी zone 4 में ही है.

zone 3 में भूकंप का खतरा मध्यम स्तर का माना जाता है. इस जोन में चेन्नई, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता और भुवनेश्वर जैसे कई शहर हैं, जबकि zone 2 में भूकंप का खतरा उससे भी कम होता है. इसमें भूकंप से कम नुकसान का जोखिम होता है. त्रिची, बुलंदशहर, मुरादाबाद, गोरखपुर जैसे शहर इस zone में मौजूद हैं. zone 1 का जिक्र इसलिए नहीं होता क्योंकि इस zone में भूकंप की संभावना नहीं के बराबर होती है. इससे आपको समझ आ गया होगा कि कैसे भारत का एक बड़ा हिस्सा भूकंप के बड़े खतरे से घिरा हुआ है और इसलिए आने वाले भूकंप को लेकर चेतावनी दी जा रही है. जानकार मानते हैं कि भूकंप भले ही हिमालय की वजह से आए लेकिन इसका असर हिमालय के आसपास और दिल्ली जैसे हिस्सों में बहुत ज्यादा हो सकता है. 

भूकंप की तीव्रता से ये नहीं तय किया जा सकता है, कि उससे तबाही कितनी होगी. भूकंप का केंद्र और जिन इलाके में झटके महसूस किए गए, वहां की मिट्टी और वहां की आबादी से भी तय होता है कि तबाही कितनी बड़ी है. देखा जाए तो दुनिया में हर साल 20 हजार से ज्यादा भूकंप आते हैं. ये वो भूकंप है जिनको रिक्टर स्केल पर मापा जा सकता है. कई भूकंप तो ऐसे होते हैं जिनका पता भी नहीं चलता है.  

-0 से 1.9 तीव्रता केवल seismograph से ही पता चलती है.
-2 से 2.9 richter scale पर हल्का कंपन होता है, जिसका पता भी नहीं चलता.
-3 से 3.9 richter scale पर व्यक्ति को कंपन महसूस होता है. 
-4 से 4.9 richter scale पर खिड़कियों के शीशे चटक सकते हैं, दीवारों पर टंगी चीजें गिर सकती हैं.
-5 से 5.9 richter scale पर घर का फर्नीचर भी हिल सकता है. 
-6 से 6.9 richter scale पर इमारतों की नींव दरक सकती है. 
-7 से 7.9 richter scaleपर इमारतें गिरने का खतरा रहता है.
-8 से 8.9 richter scale पर इमारतों समेत मजबूत कंस्ट्रक्शन भी गिर सकता है. 
-9 और उससे ज्यादा richter scale पर बड़ी तबाही आ सकती है.

इसी वर्ष तुर्किए में 7.8 तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसकी वजह से इमारते गिर गई थी. भारी तबाही हुई थी. इसी तरह का खतरा भारत के लिए भी एक्सपर्ट जता चुके हैं. वर्ष 2020 में Wadia Institute of Himalayan Geology ने माना था कि दिल्ली में एक बड़ा भूकंप कभी भी आ सकता है. MCD और भू वैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में अगर 7.8 तीव्रता वाला भूकंप आया तो यहां की 80 फीसदी इमारतें गिर सकती हैं. दिल्ली शहर seismic zone 4 में आता है, इस जोन में आने का मतलब यही है कि यहां पर भूकंप आने का खतरा काफी ज्यादा है. बड़ा भूकंप आने पर यमुना के आसपास बसे इलाकों में बड़ी तबाही हो सकती है.

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