Earth Day: इस इंडियन कंपनी ने सेट किया हर साल 5 मिलियन टन CO2 एमिसन में कटौती का टारगेट
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Earth Day: इस इंडियन कंपनी ने सेट किया हर साल 5 मिलियन टन CO2 एमिसन में कटौती का टारगेट

Earth Day: पृथ्वी पर रहने वाले तमाम जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों को बचाने और दुनिया भर में पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लक्ष्य के साथ 22 अप्रैल के दिन ‘पृथ्वी दिवस’ यानी ‘अर्थ डे’ मनाने की शुरुआत की गई थी. आज अर्थ डे के मौके पर तमाम मुहिम की चर्चा हो रही है. इस क्रम में इंडियन कंपनी गुडइनफ एनर्जी की चर्चा भी जोरों पर है.

Earth Day: इस इंडियन कंपनी ने सेट किया हर साल 5 मिलियन टन CO2 एमिसन में कटौती का टारगेट

Earth Day: पृथ्वी पर रहने वाले तमाम जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों को बचाने और दुनिया भर में पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लक्ष्य के साथ 22 अप्रैल के दिन ‘पृथ्वी दिवस’ यानी ‘अर्थ डे’ मनाने की शुरुआत की गई थी. आज अर्थ डे के मौके पर तमाम मुहिम की चर्चा हो रही है. इस क्रम में इंडियन कंपनी गुडइनफ एनर्जी की चर्चा भी जोरों पर है.

बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली निर्माता गुडइनफ एनर्जी (Battery energy storage systems maker GoodEnough) ने सोमवार को पृथ्वी दिवस 2024 के अवसर पर सालाना 5 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन में कटौती करने की योजना की घोषणा की. इससे पहले मार्च में, गुडइनफ एनर्जी ने 2026 तक जम्मू और कश्मीर में 20 GWh प्रति वर्ष क्षमता वाले संयंत्र में 450 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना की घोषणा की थी.

कंपनी ने कहा कि जैसा कि दुनिया पृथ्वी दिवस 2024 मना रही है, गुडइनफ एनर्जी कार्बन-सघन उद्योगों के कारण पर्यावरणीय खतरों में खतरनाक वृद्धि को संबोधित करते हुए, सालाना 5 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन को कम करना चाहती है. कार्बन-सघन उद्योगों की सघनता और बैकअप पावर के लिए डीजल जनरेटर पर बढ़ती निर्भरता ने CO2 उत्सर्जन को बढ़ा दिया है. जिससे पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है.

गुडइनफ एनर्जी के संस्थापक आकाश कौशिक ने कहा, "स्वच्छ, विश्वसनीय और किफायती बिजली की बढ़ती आवश्यकता के साथ, बिजली उद्योग महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रहा है. हमारी बीईएसएस गीगाफैक्ट्री भारत के नेट-जीरो लक्ष्य को प्राप्त करने और उच्च स्तर के उद्योगों का समर्थन करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करती है." उन्होंने कहा, इस पहल का महत्व डीजल जनरेटर के उपयोग के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने की क्षमता में निहित है, जो प्रति लीटर डीजल की खपत में औसतन 3 किलोग्राम CO2 पैदा करता है.

बता दें कि साल 1970 में शुरू की गई इस परंपरा को दुनिया ने खुले दिल से अपनाया. आज लगभग पूरी दुनिया में प्रति वर्ष पृथ्वी दिवस के मौके पर धरा की धानी चूनर को बनाए रखने और हर तरह के जीव-जंतुओं को पृथ्वी पर उनके हिस्से का स्थान और अधिकार देने का संकल्प लिया जाता है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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