Haryana Election 2024: बीजेपी ने इस बार गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजीत सिंह के करीबी माने जाने वाले मुकेश शर्मा को टिकट दिया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि वैश्य समाज की अनदेखी से नाराज कार्यकर्ता मुकेश शर्मा के प्रचार अभियान को मंद कर सकते हैं.
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Naveen Goyal Nomination: हरियाणा के वोटर 5 अक्टूबर को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए गुरुग्राम में बीजेपी के लिए राह आसान होते नहीं दिख रही. बीजेपी ने पिछले 10 वर्षों से यहां अपनी पकड़ मजबूत कर रखी है, लेकिन इस बार पार्टी प्रत्याशी की घोषणा होते ही बीजेपी कार्यकर्ताओं में असंतोष घर कर गया. पिछले दो विधानसभा चुनाव में बीजेपी वैश्य समुदाय के लोगों को टिकट दे रही थी, लेकिन इस बार उन्हें नजरअंदाज कर ब्राह्मण समाज के मुकेश शर्मा को उम्मीदवार बनाना बीजेपी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
इस बार कांग्रेस ने पंजाबी समाज के मोहित ग्रोवर को टिकट दिया है. वहीं टिकट न मिलने से नाराज नवीन गोयल ने 5 सितंबर को भारतीय जनता पार्टी से रिश्ता तोड़ लिया और बतौर निर्दलीय प्रत्याशी नामांकन पत्र भर दिया. ऐसे में इस बार का चुनाव त्रिकोणीय हो सकता है.
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गुरुवार को नवीन गोयल ने गुरुग्राम के जेल काम्प्लेक्स ग्राउंड में एक बड़ी रैली आयोजित कर नामांकन दाखिल किया. इससे पहले साइबर सिटी के बाजारों में समर्थकों के साथ पैदल यात्रा भी निकाली. इस दौरान ब्राह्मण समुदाय का एक बड़ा वर्ग उनके साथ खड़ा दिखाई दिया. साथ ही 36 बिरादरी के प्रतिनिधि भी साथ दिखाई दिए.
बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करने का किया वादा
दरअसल गुरुग्राम के लोग काफी समय से जलभराव, पानी की कमी, पॉलूशन, बिजली कटौती, खराब सड़कों और कानून व्यवस्था से दो चार हो रहे हैं. इन समस्याओं से बीजेपी के लिए उपजा असंतोष वोटिंग वाले दिन व्यापक असर डाल सकता है. नामांकन पत्र भरने से पहले नवीन गोयल ने कहा कि उनके लिए राजनीति सत्ता-सुख भोगने का माध्यम नहीं बल्कि गुरुग्राम को देश की नंबर वन विधानसभा बनाना उनका लक्ष्य है.
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स्वच्छता के मामले में जिस तरह इंदौर का नाम लिया जाता है, उसकी जगह गुरुग्राम को लाना हमारा टारगेट है. गुरुग्राम में जलभराव जैसी समस्या न हो इसके लिए भी हमें काम करना है. उन्होंने कहा, भले ही मेरे पास किसी पार्टी का सिंबल नहीं, लेकिन अगर गुरुग्राम की जनता उन्हें भारी मतों से जीत दिलाती है तो फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसकी सरकार बन रही है और किसकी नहीं.
10 साल से वैश्य समाज कर रहा प्रतिनिधित्व
दरअसल 2014 में बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़कर वैश्य समाज के उमेश अग्रवाल विधानसभा पहुंचे थे. इसके बाद 2019 में पार्टी ने उम्मीदवार का चेहरा बदला और सुधीर सिंगला को प्रत्याशी बनाया. लोगों ने उन्हें भी अपना भरपूर समर्थन दिया और वह भी चुनाव जीत गए, लेकिन इस बार गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजीत सिंह के करीबी माने जाने वाले मुकेश शर्मा को पार्टी ने टिकट थमा दिया. इधर वैश्य समाज की ओर से नवीन गोयल ही चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
पूर्व विधायक उमेश अग्रवाल चुनाव लड़ने से पहले ही इनकार कर चुके हैं. नवीन गोयल करीब 11 साल से गुरुग्राम के लोगों के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं. काफी लोग उनके काम से प्रभावित हैं. इसके अलावा रैली में उन्हें मिला ब्राह्मण समाज का समर्थन भाजपा उम्मीदवार के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है. टिकट वितरण में वैश्य समाज की अनदेखी से नाराज बीजेपी कार्यकर्ता बैक डोर से विपक्षी उम्मीदवारों का समर्थन कर सकते हैं.