Delhi News: दिल्ली के बुराड़ी के झरोदा और तिमारपुर के संगम विहार में सैकड़ों परिवार रहते हैं. इसकी वजह से यहां रह रहे लोगों के ऊपर कोर्ट के आदेश की तलवार लटकने लगी. जब लोग परेशान हो गए तो भाजपा और कांग्रेस के लोगों ने जनता की भय की भट्टी पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना शुरू कर दिया. इस दौरान लोगों को खूब डराया और भड़काया गया.
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Delhi News: आम आदमी पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस द्वारा झरौदा व संगम विहार के लोगों को गुमराह कर दिल्ली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कराने के पीछे की साजिश का खुलासा करते हुए उसे आड़े हाथ लिया. AAP विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि भाजपा-कांग्रेस की गंदी राजनीति अंततः असफल हो गई. कोर्ट ने घर तोड़ने पर फरवरी तक रोक लगा दिया है. उन्होंने इस मामले की विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि 1995 से बुराड़ी व तिमारपुर की खसरा नंबर 6 की जमीन पर मुकदमा चल रहा है. इस पर एक व्यक्ति ने मालिकाना हक जताते हुए कोर्ट में केस किया था. कोर्ट में ये तथ्य पेश नहीं किया गया कि यहां 400 से ज्यादा परिवार भी रह रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इसलिए कोर्ट ने उस व्यक्ति को मालिकाना हक देने का आदेश दे दिया. इसके बाद भाजपा और कांग्रेस ने यहां रह रहे लोगों को ये कहकर भड़काने की कोशिश की कि दिल्ली सरकार उनके घरों को तोड़ने जा रही है, जबकि सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है. कोर्ट के ऑर्डर के खिलाफ याचिका दायर हुई और लोगों को अपना पक्ष रखा। इसके बाद कोर्ट ने फरवरी तक स्टे दे दिया है.
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आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं तिमारपुर के विधायक दिलीप पांडेय और बुराड़ी के विधायक संझीव झा ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता को संबोधित किया. विधायक दिलीप पांडेय ने कहा कि कुछ दिन पहले बुराड़ी और तिमारपुर के बीच में मौजूद दिल्ली रिंग रोड को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया था. उस प्रदर्शन के पीछे कहानी ये है कि जमीन के एक बड़े टुकड़े पर अपना मालिकाना हक जताते हुए एक व्यक्ति ने 1995 में कोर्ट में केस दाखिल किया था.
कोर्ट ने कहा कि आपके पास जमीन के कागज हैं तो जमीन आपके पास होनी चाहिए. इसके चार साल बाद जमीन पर मालिकाना हक न मिलने की स्थिति में उस व्यक्ति ने अवमानना याचिका दाखिल कर दी. फिर महकमें के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने उस व्यक्ति को जमीन का मालिकाना हक देने की बात कही। कोर्ट ने कुछ हफ्ते पहले ही संबंधित सभी विभागों को यह आदेश दिया था कि जिस जमीन पर मुकदमा दायर किया गया, वह खसरा नंबर 6 में आता है.
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उन्होंने आगे कहा कि यह पूरा क्षेत्र बुराड़ी के झरोदा और तिमारपुर के संगम विहार में पड़ता है. जब यह सब कुछ कोर्ट में चल रहा था, जमीन के इस बड़े भाग पर सैकड़ो परिवार बसकर रहने लगे थे. लगभग 400 से भी ज्यादा परिवार वहां पर लगभग 30-35 सालों से रह रहे थे और कोर्ट में यह तथ्य रखा ही नहीं गया. इसकी वजह से यहां रह रहे लोगों के ऊपर कोर्ट के आदेश की तलवार लटकने लगी. जब लोग परेशान हो गए और हमेशा की तरह भाजपा और कांग्रेस के लोगों ने जनता की भय की भट्टी पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना शुरू कर दिया. इस दौरान लोगों को खूब डराया और भड़काया गया.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की कोर्ट के इस फैसले में कोई भूमिका नहीं है, जिस सरकार ने दिल्ली में पहली बार कच्ची कॉलोनी में नाली, सीवर, सड़क का काम कराया, ऐसी सरकार के खिलाफ भाजपा और कांग्रेस के लोगों ने डरी हुई जनता को यह कहकर भड़काने की कोशिश की कि दिल्ली सरकार आप लोगों के घरों को तोड़ने जा रही है. फिर भी लोगों ने अपना भरोसा बनाए रखा, हमारे संपर्क में आए और हमने उन्हें समझाया कि समस्या कोर्ट से पैदा हुई है. इसलिए समाधान भी कोर्ट से ही मिलेगा.
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उन्होंने कहा कि जो समझदार लोग थे, जिन्हें इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी थी, ऐसे तमाम लोग इकट्ठा हुए और कोर्ट गए. कोर्ट में उस ऑर्डर के खिलाफ याचिका दायर हुई. नागरिकों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका देते हुए कोर्ट ने फरवरी के आखिरी तक स्टे आर्डर दिया है. हाई कोर्ट से निकले इस स्टे आर्डर के बाद उस इलाके में रह रहे हजारों लोगों के चेहरे पर अब खुशी है.
(इनपुटः बलराम पांडे)