आपराधिक साजिश को कामयाब बनाने के लिए आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों ने भारत के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियों केलिए बड़े पैमाने पर नए सदस्यों की भर्ती की. इसमें पाकिस्तान स्थित सहयोगियों के साथ-साथ स्लीपर सेल ने भी उनकी मदद की.
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दिल्ली की एक अदालत (Delhi court) ने बैन हो चुके आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (IM) के सह-संस्थापक यासीन भटकल और मोहम्मद दानिश अंसारी समेत उसके कई अन्य गुर्गों के खिलाफ 2012 में भारत में युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के मामले में आरोप तय करने का आदेश जारी किया है.
एडिशनल सेशन कोर्ट के जज शैलेंद्र मलिक ने सुनवाई के दौरान कहा कि आरोपियों के खिलाफ सुनवाई के लिए पर्याप्त सबूत हैं. 31 मार्च को जारी आदेश में कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए आपराधिक साजिश रची.
यह पाया गया कि आपराधिक साजिश को कामयाब बनाने के लिए आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों ने भारत के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियों केलिए बड़े पैमाने पर नए सदस्यों की भर्ती की. इसमें पाकिस्तान स्थित सहयोगियों के साथ-साथ स्लीपर सेल ने भी उनकी मदद की.
इनका मकसद भारत में प्रमुख स्थानों, विशेषकर दिल्ली में बम विस्फोटों द्वारा आतंकी संगठन के मनसूबे को अंजाम तक पहुंचाना था. एनआईए ने अदालत को बताया कि इंडियन मुजाहिदीन के गुर्गों और उसके संगठनों को आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए हवाला चैनलों के माध्यम से विदेशों से नियमित तौर पर पैसा पहुंच रहा था.
एजेंसी ने कोर्ट से कहा कि आरोपी बाबरी मस्जिद, गुजरात दंगों और मुसलमानों पर अन्य कथित अत्याचारों की बातों को दोहराते थे ताकि मुस्लिम युवा आतंकवादी गतिविधियों के लिए तैयार हो सकें. ये अपने संगठनों में युवाओं की भर्ती करके उनके दिमाग को कट्टरपंथी बनाने की साजिश रचते थे.
अदालत ने यासीन भटकल, दानिश अंसारी, मोहम्मद आफताब आलम, इमरान खान, सैयद, ओबैद उर रहमान, असदुल्लाह अख्तर, उज्जैर अहमद, मोहम्मद तहसीन अख्तर, हैदर अली और जिया उर रहमान के खिलाफ आरोप तय किए. हालांकि, सबूत के अभाव में कोर्ट ने मंजर इमाम, आरिज खान और अब्दुल वाहिद सिद्दीबप्पा को आरोप मुक्त कर दिया.