ग्राहकों ने चीनी सामान से किया तौबा, पढ़िए देश की सबसे बड़ी थोक मार्केट की ग्राउंड रिपोर्ट
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ग्राहकों ने चीनी सामान से किया तौबा, पढ़िए देश की सबसे बड़ी थोक मार्केट की ग्राउंड रिपोर्ट

लोग चीनी सामान के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं. इसका सीधा असर भारत के उन बाजारों पर देखने को मिल रहा है जहां पर सबसे ज्यादा सामान चीन से आयात होता है. 

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: देशभर में चीन के खिलाफ हो रहे विरोध का असर बाजारों पर दिखने लगा है. चीन से आयात होने वाला समान जैसे खिलौने, लाइट, इलेक्ट्रॉनिक आइटम यहां तक की दवाइयों की बिक्री घट गई है. लोग दुकानदारों से चीनी सामान की बजाय भारतीय सामान की मांग कर रहे हैं. चीन से आयात रोकने के लिए कितना तैयार है भारत? देश के सबसे बड़े थोक मार्केट की ग्राउंड रिपोर्ट

देश में चीन के खिलाफ आक्रोश का माहौल है. लोग चीनी सामान के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं. इसका सीधा असर भारत के उन बाजारों पर देखने को मिल रहा है जहां पर सबसे ज्यादा सामान चीन से आयात होता है. सदर बाजार में घर में इस्तेमाल होने वाले समान से लेकर, बच्चों की पढ़ाई और खिलौने तक भारी मात्रा में चीन से आयात होते हैं. लॉकडाउन से पहले 350-400 कंटेनर समान प्रति माह सदर बाजार में उतरते थे. लेकिन अब कोरोना काल में चीन से आने वाले कंटेनरों की संख्या घटकर 20-25 प्रति माह रह गई है.

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सदर बाजार ट्रेडर एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि भारतीय उत्पाद भी चीन के ऊपर निर्भर हैं अगर कोई समान भारत में बन भी रहा है तो उसका कुछ न कुछ हिस्सा चीन से जरूर आ रहा है. 2 महीने में चीन से आनेवाले सामन में बहुत कमी है. बाजार में धंधा अभी काफी मंदा है. 200 करोड़ प्रतिदिन से घटकर 4-5 करोड़ प्रतिदिन व्यपार हो रहा है. लेकिन बाजार में आनेवाला ग्राहक चीन के समान का बहिष्कार करने के मूड में दिख रहा है.

खिलौने के अलावा दवाइयों के लिए भी भारत काफी हद तक चीन पर निर्भर है. ज्यादातर दवाइयों का उत्पादन भारत में ही होता है लेकिन इसके लिए रॉ मटेरियल चीन से आता है. व्यापारियों की मानें तो इसका रॉ मटेरियल भी भारत में ही तैयर किया जा सकता है लेकिन इसके लिए सरकार को कुछ नीतियों में बदलाव लाना होगा.

खिलौने और दवाइयों के बाद चीन से भारी संख्या में आयात होते हैं इलेक्ट्रिक आइटम. इलेक्ट्रॉनिक सामान का व्यापार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि अब तक लाइटिंग इंडस्ट्री में हम पूरी तरह से चीन पर निर्भर थे. अब कुछ कस्टमर ऐसे आ रहे हैं जो कह रहे हैं हमे इंडियन सामान चहिए. अगर कस्टमर डिमांड ही इंडियन करेगा तो आने वाले समय मे हम यहां ही बनाएंगे.

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