कोटा की एक नदी में मगरमच्छ मर रहे हैं. चंद्रलोई नदी में पिछले कुछ दिनों में चार क्रोकोडाइल्स की मौत हो चुकी है. जहर का शक जताया जा रहा है. एक्सपर्ट गंभीर प्रदूषण की भी बात कर रहे हैं. जांच चल रही है.
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राजस्थान के कोटा जिले से गुजरती चंद्रलोई नदी में पिछले दो दिनों में चार मगरमच्छों की मौत से वन्यजीव कार्यकर्ताओं की चिंता बढ़ गई है. उन्होंने इन मौतों के लिए नदी में उच्च स्तर के प्रदूषण को कारण बताया है. अधिकारियों ने बताया कि मगरमच्छों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1-सी में सूचीबद्ध किया गया है.
#Kota: बीते 4 दिनों में 3 मगरमच्छों के मिल चुके है शव#LatestNews #RajasthanNews #RajasthanWithZee pic.twitter.com/WfWojOHvYB
— ZEE Rajasthan (@zeerajasthan_) December 4, 2024
पशु चिकित्सकों ने 15 वर्षीय एक मादा मगरमच्छ की मौत के पीछे संदिग्ध जहर को जिम्मेदार ठहराया है. बुधवार को यहां उसका पोस्टमार्टम किया गया. उन्होंने बताया कि मादा मगरमच्छ के शरीर पर किसी भी आंतरिक या शारीरिक चोट या बीमारी का कोई संकेत नहीं मिला.
अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को चंद्रशेल मठ के पास रामखेड़ी गांव में चंबल नदी की सहायक नदी से लगभग सात फुट लंबी मादा मगरमच्छ के अवशेष को बरामद किया गया था. अधिकारियों ने बताया कि शनिवार और रविवार को इसी स्थान पर तीन अन्य मगरमच्छों के अवशेष पाए गए थे, जिनमें से दो की उम्र 10 और एक की उम्र नौ साल थी.
वैसे, डीएफओ का साफ तौर पर कहना है कि संदिग्ध जहर मौतों का कारण नहीं हो सकता क्योंकि नदी में सैकड़ों मगरमच्छ हैं. उन्होंने कहा कि अगर नदी के पानी में कोई बड़ी समस्या होती तो हताहतों की संख्या बढ़ सकती थी.
उन्होंने बताया है कि एहतियात के तौर पर वन विभाग की एक टीम 24 घंटे क्षेत्र में गश्त कर रही है और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रदूषकों की जांच के लिए नदी से पानी के नमूने इकट्ठा करने को कहा गया है. वन्यजीव कार्यकर्ता बृजेश विजयवर्गीय ने कहा है कि नदी में मगरमच्छों की बड़ी आबादी रहती है और इसे प्रदूषण मुक्त किया जाना चाहिए. कुछ एक्सपर्ट ने इसे क्रोकोडाइल पार्क के तौर पर विकसित करने की भी सलाह दी है. (एजेंसी इनपुट के साथ)