Cracks: सिंहद्वार का निर्माण 17वीं सदी में बद्रीनाथ मंदिर के मौजूदा परिसर के साथ ही हुआ था.फिलहाल बद्रीनाथ मंदिर सिंह द्वार में आई दरार को सही करने का काम किया जा रहा है. नई दरार के आने से इनकार किया गया है.
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Badrinath Temple: उत्तराखंड में दरारों का सिलसिला जारी है. जोशीमठ के बाद अब दरार खत्म करने की काम बद्रीनाथ मंदिर में भी शुरू कर दिया गया है. असल में उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्वप्रसिद्ध बदरीनाथ मंदिर के सिंहद्वार में पिछले सालों में आई हल्की दरारों की मरम्मत का कार्य चल रहा है. श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने गुरूवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में स्पष्ट किया कि मंदिर के सिंह द्वार में कोई नई दरार नहीं देखी गयी है और ना ही मंदिर क्षेत्र में भू-धंसाव हो रहा है.
दरअसल, बीकेटीसी ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) द्वारा मंदिर के सिंहद्वार में पहले से आयी हल्की दरारों का मरम्मत कार्य किया जा रहा है और वर्तमान में वहां कोई नयी दरार नहीं देखी गयी है. बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने 2022 में राज्य सरकार को पत्र लिखकर बदरीनाथ मंदिर के सिंहद्वार पर हल्की दरारों के विषय में अवगत कराया था जिस पर कार्रवाई करते हुए उसने एएसआई से इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा.
इसी क्रम में पिछले साल जुलाई में एएसआई ने मरम्मत की कार्य योजना तैयार की और अक्टूबर में सिंहद्वार की दरारों पर ग्लास टायल्स लगा दी गईं ताकि यह पता लग सके कि दरारें कितनी चौड़ी हो रही हैं. हालांकि, इन दरारों में कोई खास बदलाव नहीं दिखा, जिसके बाद इस साल नौ अगस्त को एएसआई ने मरम्मत कार्य शुरू किया है.
बताया गया कि मरम्मत के पहले चरण में सिंह द्वार के दायीं ओर ट्रीटमेंट कार्य किया जा चुका है जबकि बायीं ओर की दरारों पर काम अभी होना है. फिलहाल बद्रीनाथ मंदिर सिंह द्वार में आई दरार को सही करने का काम किया जा रहा है. मंदिर समिति ने किसी भी नई दरार के आने से इनकार किया है. बता दें कि सिंहद्वार का निर्माण 17वीं सदी में बद्रीनाथ मंदिर के मौजूदा परिसर के साथ ही हुआ था. इसके दोनों तरफ कई देवी-देवताओं की मूर्तियां लगी हुई हैं. इनपुट-एजेंसी