DNA Analysis: जिंदगी की डोर काटता चाइनीज मांझा! आखिर कब लगेगी इस पर लगाम?
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DNA Analysis: जिंदगी की डोर काटता चाइनीज मांझा! आखिर कब लगेगी इस पर लगाम?

Chinese Manjha Side Effects: दिल्ली में लोगों के लिए घर से बाहर निकलना इन दिनों लोगों के लिए जानलेवा बना हुआ है. पता नहीं, कब-कहां से खतरनाक चाइनीज मांझा आकर उनके शरीर पर लिपट जाए और अंग भंग कर दे. 

DNA Analysis: जिंदगी की डोर काटता चाइनीज मांझा! आखिर कब लगेगी इस पर लगाम?

Chinese Manjha Side Effects: देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. शायद आप भी अपने तरीक़े से इस आजादी की 75वीं सालगिरह को सेलिब्रेट करने की तैयारी कर रहे होंगे. हो सकता है कि आपने अपने मित्रों और परिवार के साथ इस दिन पतंगबाजी का प्लान भी बना लिया होगा. लेकिन अगर आप राजधानी दिल्ली में रहते हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है. आज हम आपको दिल्लीवासियों के एक जानलेवा शौक के बारे में बताते हैं. ये शौक कुछ और नहीं पतंगबाजी का है.

लोगों की जिंदगी लील रहा चाइनीज मांझा

ये शौक जानलेवा इसलिए हो गया है कि क्योंकि आजकल पतंगबाज चाइनीज मांझे (Chinese Manjha) का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये मांझा पतंगों की ही नहीं, लोगों की ज़िन्दगी की डोर भी काट रहा है. रविवार को दिल्ली में अभिनव नाम का लड़का चाइनीज मांझे की चपेट में आकर बुरी तरह घायल हो गया. जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया और अभी भी उसकी हालत गंभीर बनी हुई है.

ये कुछ दिनों के अंदर ऐसी दूसरी घटना है, इससे पहले 25 जुलाई को चाइनीज़ मांझे ने दिल्ली के सुमित रंगा की सांसों की डोर काट दी थी. सुमित बाइक से लौट रहे थे, तभी फ्लाईओवर से गुजरते वक्त मांझा उनकी गर्दन में लिपट गया, मांझे की चपेट में आने से उनकी गरदन में करीब 2 इंच गहरा घाव हो गया... लोग उन्हें फौरन अस्पताल ले गये, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी. पुलिस ने इस मामले में IPC की धारा 304-A यानी गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है.

पशु-पक्षियों की भी जा रही जान

चाइनीज मांझों (Chinese Manjha) की वजह से होने वाला ये कोई पहला हादसा नहीं है, पिछले कुछ वर्षों में आपने ऐसी कई दुर्घटनाओं के बारे में सुना होगा और खबरें भी देखी होंगी. इन घटनाओं में कई लोगों की जानें जा चुकी हैं, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए हैं. चाइनीज मांझा इंसानों के लिए ही नहीं पशु पक्षियों के लिए भी बहुत ही खतरनाक है, और हर वर्ष सैकड़ों पक्षी इसमें उलझकर जान गंवाते रहे हैं, ज़ख्मी होते रहे हैं.

दिल्ली पुलिस की दी गई जानकारी के अनुसार, चाइनीज मांझे (Chinese Manjha) से जुड़े मामलों में अब तक 256 केस दर्ज किए गए हैं, जबकि 31 जुलाई तक 137 लोगों को पर्यावरण संरक्षण एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है. आज भारत समेत दुनिया के कई देशों में पतंगबाज़ी की प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं, पतंग महोत्सव आयोजित किए जाते हैं.

सबसे पहले चीन में उड़ाई गई थी पतंगें

लेकिन पतंग उड़ाने के सबसे पुराने प्रमाण चीन में मिलते हैं. कहा जाता है कि वहां 200 ईसवी पूर्व यानी लगभग ढाई हजार वर्ष पहले एक शख्स ने पहली बार कागज के एक टुकड़े को डोर के सहारे आसमान में उड़ाया था. इसके बाद वहां हान राजवंश के शासनकाल में पतंगों का सैन्य इस्तेमाल भी किया गया. वहां के मिलिट्री कमांडर पतंगों का इस्तेमाल दुश्मन सेना की स्थिति और दूरी का पता लगाने के लिए भी करते थे.

कहा जाता है कि चीन से होते हुए पतंगबाजी भारत भी आ पहुंची. हालांकि भारतीय लोक  कथाओं में भी पतंगबाज़ी का जिक्र  मिलता है और आज ये भारतीय संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है. लेकिन हमारी ये सांस्कृतिक विरासत इस समय चाइनीज मांझे के अटैक से जूझ रही है. 

हाईकोर्ट का पतंगबाजी पर रोक से इनकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने भी पतंगबाजी पर रोक लगाने से जुड़ी एक याचिका को रद्द करते हुए पतंग उड़ाने को सांस्कृतिक गतिविधि बताया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पतंगबाज़ी एक सांस्कृतिक गतिविधि है और इसे रोका नहीं जा सकता. इसकी जगह प्रशासन को चाइनीज सिंथेटिक मांझे पर लगे बैन को ठीक तरह से लागू करवाना होगा.

अब आपके मन में ये सवाल भी जरूर उठ रहा होगा कि आखिर ये मांझा (Chinese Manjha) इतना खतरनाक क्यों होता है और एक पतला सा धागा लोगों की जान कैसे ले सकता है. इसकी वजह ये है कि पतंगबाजी के लिए जो साधारण मांझा इस्तेमाल किया जाता है, वो कॉटन यानी सूती धागे से बना होता है, लेकिन चाइनीज मांझा नायलॉन और दूसरे सिंथेटिक मटीरियल से बना होता है.

मांझे पर की जाती है कई तरह की कोटिंग

इस मांझे पर कांच, लोहे के पाउडर और कई तरह के दूसरे केमिकल्स की कोटिंग की जाती है. इस वजह से ये मांझा और भी ज्यादा धारदार और घातक हो जाता है. साधारण मांझे की जगह चाइनीज मांझा (Chinese Manjha) स्ट्रेचेबल होता है, यानी ये टूटने की जगह खिंचता चलता जाता है. यही नहीं चाइनीज मांझे में धातुओं का पाउडर  इस्तेमाल होने की वजह से ये इलेक्ट्रिसिटी का कंडक्टर होता है, यानी इससे होकर करंट बह सकता है और इसलिए इससे करंट लगने का भी खतरा रहता है.

लेकिन इसके खतरों से परिचित होने के बावजूद भी आज बाज़ार में इसकी बहुत ज्यादा मांग है, क्योंकि जब लोग पतंग उड़ाते हैं तो वो चाहते हैं कि उनकी पतंग न कटे और वो दूसरों की ज्यादा ज्यादा से पतंगें काट सकें. ऐसे में वो पतंग उड़ाने के लिए चाइनीज मांझे का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन चाइनीज मांझे के प्रति उनका ये प्रेम आम लोगों की जिन्दगी पर भारी पड़ रहा है. 

एनजीटी लगा चुका है चीनी मांझे पर बैन

आपको शायद पता नहीं होगा कि वर्ष 2017 में एनजीटी यानी National Green Tribunal ने दिल्ली में इस मांझे पर पूरी तरह बैन लगा दिया था. 
 दिल्ली पर्यावरण विभाग के तहत 10 जनवरी 2017 को एर नोटिफिकेशन जारी किया गया था. जिसके अनुसार दिल्ली में पतंग उड़ाने के लिए नायलॉन, प्लास्टिक और किसी भी प्रकार के सिंथेटिक मटीरियल से तैयार मांझों पर पूरी तरह बैन है. इसके अलावा पतंग उड़ाने के लिए कांच, धातु या दूसरी धारदार चीजों से तैयार मांझों पर भी रोक लगाई जा चुकी है.

नियमों के अनुसार पतंग उड़ाने के लिए कॉटन यानी सूती धागे से बने मांझों का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इनमें भी किसी तरह के कांच या धारदार चीजों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. इन नियमों के उल्लंघन पर कड़ी सज़ा का प्रावधान है. अगर कोई ऐसा करता पाया जाता है तो उसे 5 वर्ष तक की जेल की सजा के साथ एक लाख रुपये तक का ज़ुर्माना भी लगाया जा सकता है.

चोरी-छिपे खूब फलफूल रहा मांझे का बिजनेस

इतने कड़े नियम होने के बावजूद आज राजधानी दिल्ली में चाइनीज मांझे (Chinese Manjha) का कारोबार खूब फलफूल रहा है. कारोबारी कानून की धज्जियां उड़ा कर लोगों को ये जानलेवा मांझा बेच रहे हैं और खरीदने वालों की भी कोई कमी नहीं है. पुलिस को चकमा देने के लिए मांझा व्यापारी हाइटेक तरीके अपना रहे हैं. वो इसके लिए फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं. कोई भी इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए इन कारोबारियों तक पहुंच कर मांझा खरीद सकता है.

यानी पेंच लड़ाने और काटने का ये जानलेवा शौक, दिल्ली वासियों की जान पर भारी पड़ रहा है. इसी रविवार को दिल्ली के एक इलाके में चाइनीज़ मांझे की चपेट में आने से अभिनव नाम के लड़के का गला कट गया. अभिनव बाइक से आ रहा था, तभी मांझा उनके गले में उलझ गया. हादसे के बाद अभिनव को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उसकी हालत अभी भी नाजुक बनी है.

विद्यावती आज भी सिहर उठती हैं

61 वर्ष की विद्यावती आज भी उस हादसे को याद करके सिहर उठती हैं. करीब दो महीने पहले जब वो स्कूटी से गुज़र रही थीं, तभी इस मांझे ने उनका गला भी रेत दिया था. वक्त पर अस्पताल पहुंचने की वजह से उनकी जान तो बचा ली गई. लेकिन उस हादसे के निशान आज भी उनकी गर्दन पर साफ़ नज़र आते हैं

54 साल की उषा राजन दफ्तर से घर जाने के लिए सड़क पार कर रही थीं, तभी उनके पैर में एक धागा लिपट गया. वो धागा चाइनीज़ मांझा था और उषा जब तक उसे हटातीं, वो उनकी नसों को ही नहीं मांसपेशियों तक को काट चुका था. करीब 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन उषा आज भी वील चेयर पर ही हैं.

ये मांझा (Chinese Manjha) इतना खतरनाक होता है कि अगर रफ़्तार से चल रहा कोई इंसान इसकी चपेट आ जाए तो ये सिर्फ़ त्वचा या नसों को ही नहीं उसकी मांसपेशियों को काटते हुए हड्डियों तक पहुँच  सकता है. डॉक्टरों का कहना है कि बैन के बावजूद चाइनीज़ मांझे के शिकार लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. हर महीने चार से पांच मरीज आ रहे हैं. 

हालांकि सही वक्त पर सही इलाज मिलने की वजह से उषा और विद्यावती की जान बचा ली गई. लेकिन सुमित जैसे कई लोग इतने खुशकिस्मत नहीं थे. चाइनीज़ मांझे ने उनकी जिन्दगी की डोर हमेशा के लिए काट दी. 

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