बॉर्डर पर बेलगाम हुए तो भारत सिखाएगा सबक.. चीन-पाकिस्तान की तरफ हमेशा तनी रहेंगी देसी मिसाइलें!
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बॉर्डर पर बेलगाम हुए तो भारत सिखाएगा सबक.. चीन-पाकिस्तान की तरफ हमेशा तनी रहेंगी देसी मिसाइलें!

China Pakistan Borders: पाकिस्तान और चीन के सीमा क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए भारत ने देसी प्लान तैयार किया है. भारतीय सेना.. चीन, पाकिस्तान सीमाओं के लिए 6800 करोड़ रुपये की देसी कंधे से दागी जाने वाली मिसाइल प्रोजेक्ट पर काम कर रही है.

बॉर्डर पर बेलगाम हुए तो भारत सिखाएगा सबक.. चीन-पाकिस्तान की तरफ हमेशा तनी रहेंगी देसी मिसाइलें!

China Pakistan Borders: पाकिस्तान और चीन के सीमा क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए भारत ने देसी प्लान तैयार किया है. भारतीय सेना.. चीन, पाकिस्तान सीमाओं के लिए 6800 करोड़ रुपये की देसी कंधे से दागी जाने वाली मिसाइल प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. सीमाई क्षेत्रों में हवाई खतरों से निपटने के लिए भारत इस योजना पर तेजी से काम कर रहा है.

सीमा पर भारत की बड़ी तैयारी

चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर हवाई खतरों से निपटने के लिए कंधे से दागी जाने वाली मिसाइलों की कमी के बीच यह फैसला लिया गया. भारतीय सेना स्वदेशी रूप से बहुत कम दूरी के एयर डिफेंस सिस्टम को डेवलप करने के लिए 6,800 करोड़ रुपये से अधिक के दो प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. मेक इन इंडिया के तहत सेना 500 से अधिक लॉन्चर और लगभग 3000 मिसाइलों को विकसित करने और खरीदने की योजना पर काम कर रही है.

दुश्मनों को लगेगी मिर्ची

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना की के पास VSHORAD (VShorAD यानी वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम) मिसाइलें हैं. वहीं, Igla 1M VSHORAD मिसाइल प्रणाली को 1989 में शामिल किया गया था. और 2013 में इसके डी-इंडक्शन की योजना बनाई गई थी. वर्तमान में, 4800 करोड़ रुपये की एक परियोजना है जिसमें हैदराबाद में मुख्यालय वाली एक सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई और एक निजी क्षेत्र की पुणे स्थित फर्म को VSHORADS पर आधारित लेजर बीम विकसित करने के लिए लगाया गया है, जिसका उपयोग सीमाओं की रक्षा के लिए सेनाओं द्वारा किया जाएगा. जो कि सीमा पर दुश्मन के ड्रोन, लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टरों से सुरक्षा प्रदान करेगा.

1200 घातक मिसाइलें

उन्होंने कहा कि यह परियोजना भारतीय सेना और वायु सेना को आपूर्ति के लिए 200 लॉन्चर और 1200 मिसाइलें विकसित करने के लिए होगी. इस परियोजना में अग्रणी भारतीय सेना है जो इन मिसाइलों की सबसे बड़ी उपयोगकर्ता है. इनमें से 700 मिसाइलें सेना और शेष भारतीय वायुसेना को मिलने की संभावना है.

डीआरडीओ अलग प्रोजेक्ट पर कर रहा काम

दूसरी तरफ डीआरडीओ लेजर बीम राइडिंग VSHORADS के प्रोडक्शन के लिए अदानी डिफेंस और आई-कॉम के साथ काम कर रहा है. अधिकारियों ने कहा कि डीआरडीओ ने तिपाई पर आधारित प्रणाली का परीक्षण किया है और अब उन्हें कंधे से दागे जाने वाली हथियार प्रणाली बनाने के लिए इस प्रणाली को छोटा करने की उम्मीद है.

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