CJI D Y Chandrachud: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने रिटायरमेंट के मौके पर एक इंटरव्यू में कहा कि 'यह कहना कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण 10 वर्षों तक लागू रहने वाला था, तथ्यात्मक रूप से गलत है.'
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CJI Chandrachud News: 25 सालों के शानदार न्यायिक करियर के बाद, जिनमें से आठ साल सुप्रीम कोर्ट में रहे, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ रविवार (10 नवंबर) को रिटायर हो गए. वकील उन्हें न्यायपालिका का रॉकस्टार कहते हैं. रिटायरमेंट के बाद एक इंटरव्यू में, निवर्तमान चीफ जस्टिस से पूछा गया कि क्या आरक्षण हमेशा के लिए जारी रहना चाहिए. इस पर उन्होंने कहा कि 'यह समानता का एक ऐसा मॉडल है जिसे आजमाया और परखा गया है और भारत में यह कारगर रहा है.' उन्होंने वह गलतफहमी भी दूर की कि संविधान निर्माताओं ने अनुसूचित जातियों (SCs) और अनुसूचित जनजातियों (STs) के आरक्षण का प्रावधान 10 साल के लिए किया था.
10 साल के लिए आरक्षण का सच
निवर्तमान सीजेआई चंद्रचूड़ ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा, 'संविधान के अनुच्छेद 334 में कहा गया है कि लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण 10 वर्षों में समाप्त हो जाना चाहिए. इस प्रावधान में कई बार संशोधन किया गया, जिसके अनुसार अब यह 80 वर्षों में समाप्त हो जाएगा. इस प्रकार, समय सीमा केवल विधानमंडल में आरक्षण के लिए निर्धारित की गई थी, न कि शैक्षणिक संस्थानों और सेवाओं में आरक्षण के लिए.'
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'संवैधानिक दृष्टिकोण से, समय सीमा में संशोधन केवल तभी असंवैधानिक है जब मूल और असंशोधित प्रावधान ने एक बुनियादी विशेषता का चरित्र प्राप्त कर लिया हो. अवसर की समानता की अवधारणा शाश्वत है. यह संविधान की मूल विशेषताओं में से एक है. आरक्षण अवसर की समानता सुनिश्चित करने का एक साधन है. आप इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि सकारात्मक कार्रवाई के साधन के रूप में आरक्षण ने वास्तविक समानता को बढ़ावा दिया है. यह समानता का एक ऐसा मॉडल है जिसे आजमाया और परखा गया है, और जिसने भारत में काम किया है.'
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विदाई समारोह में पिता का वह किस्सा
रिटायरमेंट से पहले, 8 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने सीजेआई के लिए विदाई समारोह आयोजित किया. इस दौरान, जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने पिता से मिले एक फ्लैट का किस्सा सुनाया. बकौल जस्टिस चंद्रचूड़, 'उन्होंने (मेरे पिता ने) पुणे में यह छोटा सा फ्लैट खरीदा था. मैंने उनसे पूछा, आखिर आप पुणे में फ्लैट क्यों खरीद रहे हैं? हम कब जाकर वहां रहेंगे? उन्होंने कहा, मुझे पता है कि मैं वहां कभी नहीं रहूंगा. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि मैं तुम्हारे साथ कब तक रहूंगा, लेकिन एक काम करो, जज के तौर पर अपने कार्यकाल के आखिरी दिन तक इस फ्लैट को अपने पास रखो. मैंने कहा, ऐसा क्यों? उन्होंने कहा, अगर तुम्हें लगे कि तुमने नैतिक ईमानदारी या बौद्धिक ईमानदारी से कभी समझौता किया है, तो मैं तुम्हें बताना चाहता हूं कि तुम्हारे सिर पर छत है. एक वकील या एक जज के तौर पर कभी भी समझौता मन करना क्योंकि आपके पास अपना कोई घर नहीं है...'
#WATCH | While addressing his farewell function, Chief Justice of India DY Chandrachud says "He (my father) bought this small flat in Pune. I asked him, why on earth are you buying a flat in Pune? When are we going to go and stay there? He said, I know I'm never going to stay… pic.twitter.com/6nqbSH7HKk
— ANI (@ANI) November 8, 2024
नाम के साथ मां ने सीख भी दी
उसी कार्यक्रम में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'जब मैं बड़ा हो रहा था तो मेरी मां ने मुझसे कहा था कि मैंने तुम्हारा नाम धनंजय रखा है. लेकिन तुम्हारे 'धनंजय' में 'धन' भौतिक संपदा नहीं है. मैं चाहती हूं कि तुम ज्ञान अर्जित करो...'