पुणे के चापेकर बंधुओं की वो दिलेरी, जब उन्होंने जुल्मी अंग्रेज अफसर को मार दी थी गोली
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पुणे के चापेकर बंधुओं की वो दिलेरी, जब उन्होंने जुल्मी अंग्रेज अफसर को मार दी थी गोली

Chapekar Brothers: दामोदर हरि चापेकर, बालकृष्ण हरि चापेकर और वासुदेव हरि चापेकर, ये तीनों सगे भाई जिन्हें चापेकर बंधु के नाम से जाना जाता है. इन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती क्रांति का जनक कहा जाता है. इन्होंने अपना जीवन बलिदान कर दिया.

पुणे के चापेकर बंधुओं की वो दिलेरी, जब उन्होंने जुल्मी अंग्रेज अफसर को मार दी थी गोली

Indian Freedom Struggle: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हजारों लाखों क्रांतिकारियों ने अपना खून दिया और समय-समय पर उनकी गाथाएं भी सामने आती रहती हैं. इसी कड़ी में 22 जून की तारीख की एक कहानी है जो रोंगटे खड़ी कर देने वाली है. लोग जब भी इस कहानी को पढ़ते हैं, पुणे के चापेकर बंधुओं को क्रांतिकारी सलाम ठोकते हैं. इन तीन भाइयों ने मिलकर 1857 में उस अंग्रेज अफसर को मौत के घाट उतार दिया था जो पुणे के आसपास फैले प्लेग रोग को मिटाने के लिए लोगों को ही खत्म करने की ठान ली थी.

स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती क्रांतिकारी

दामोदर हरि चापेकर, बालकृष्ण हरि चापेकर और वासुदेव हरि चापेकर - ये तीनों सगे भाई, जिन्हें चापेकर बंधु के नाम से जाना जाता है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती क्रांतिकारियों में गिने जाते हैं. दामोदर हरि चापेकर का जन्म 25 दिसंबर 1867 को हुआ था. बालकृष्ण हरि चापेकर का जन्म 6 जनवरी 1869 को हुआ था. वासुदेव हरि चापेकर का जन्म 25 जून 1876 को हुआ था. तीनों का जन्म पुणे जिले के चिंचवाड़ नामक स्थान पर हुआ था.

वॉल्टर चार्ल्स रैंड को गोली मार दी

1897 में, भारत में प्लेग फैलने पर अंग्रेज सरकार ने क्रूर तरीकों से इसका प्रबंधन करने का प्रयास किया. इन अमानवीय उपायों से क्रोधित होकर चापेकर बंधुओं ने ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया. 22 जून 1897 को, दामोदर हरि चापेकर ने पुणे के प्लेग कमिश्नर, वॉल्टर चार्ल्स रैंड और उनके सहयोगी लेफ्टिनेंट आयर्सट को गोली मार दी.

फांसी दे दी गई थी

यह घटना भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र विरोध का पहली बड़ी घटना थी. दामोदर हरि चापेकर को घटनास्थल पर ही गोली मार दी गई थी. बालकृष्ण हरि चापेकर और वासुदेव हरि चापेकर को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें फांसी दे दी गई.

चापेकर बंधुओं ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सशस्त्र क्रांति की शुरुआत की. उनका बलिदान युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने के लिए प्रेरित किया. चापेकर बंधुओं को भारत के शुरुआती क्रांतिकारी नायकों में से एक माना जाता है.

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