Andhra Pradesh Politics: आंध्रप्रदेश में 'बदले की राजनीति' का ट्रेलर, चुनावी साल में सत्ता पक्ष की राजनीतिक चाल!
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Andhra Pradesh Politics: आंध्रप्रदेश में 'बदले की राजनीति' का ट्रेलर, चुनावी साल में सत्ता पक्ष की राजनीतिक चाल!

Chandrababu Naidu Arrest: 8 सितंबर को चंद्रबाबू नायडू, आंध्रप्रदेश के नंद्याल के बनगनपल्ली में जनसभा के लिए पहुंचे थे. जनसभा को संबोधित करने के बाद जब वो अपनी वैनिटी वैन में आराम कर रहे थे, तब अचानक आंध्रप्रदेश CID की टीम उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पहुंच गई.

Andhra Pradesh Politics: आंध्रप्रदेश में 'बदले की राजनीति' का ट्रेलर, चुनावी साल में सत्ता पक्ष की राजनीतिक चाल!

Chandrababu Naidu Arrest: 8 सितंबर को चंद्रबाबू नायडू, आंध्रप्रदेश के नंद्याल के बनगनपल्ली में जनसभा के लिए पहुंचे थे. जनसभा को संबोधित करने के बाद जब वो अपनी वैनिटी वैन में आराम कर रहे थे, तब अचानक आंध्रप्रदेश CID की टीम उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पहुंच गई. गिरफ्तारी के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जिसके बाद उन्हें राजामुंदरी जेल भेज दिया गया.

जिस मामले में चंद्रबाबू का नायडू को गिरफ्तार किया गया है, वो मामला वर्ष 2014 का है, जब चंद्रबाबू नायडू,ने राज्य में सरकार बनाने के बाद, युवाओं के Skill development के लिए Skill development Corporation नाम से एक विशेष योजना शुरू की थी. इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने कई प्राइवेट कंपनियों के साथ MoU साइन किए थे.

करीब साढ़े 3 हजार करोड़ रुपये की इस योजना में 10 प्रतिशत निवेश राज्य सरकार को जबकि 90 प्रतिशत निवेश प्राइवेट कंपनियों को करना था. नायडू पर आरोप है कि उन्होंने इस योजना की घोषणा के कुछ समय बाद ही, सरकारी खजाने से 371 करोड़ रुपये जारी कर दिए. जबकि तब तक प्राइवेट कंपनियों ने कोई निवेश नहीं किया था. CID के मुताबिक 371 में से 130 करोड़ रुपये, इस योजना पर खर्च हुए, जबकि 241 करोड़ रुपये 5 शेल कंपनियों में भेज दिए गए.

CID का आरोप है कि इन 5 कंपनियों को जो पैसा दिया गया, वो पैसा हवाला के जरिए चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकेश के पास चला गया. चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी की टाइमिंग को लेकर तरह तरह की बातें हो रही हैं. प्रदेश में अभी केवल दो पार्टियों के बीच ही सत्ता की मुख्य लड़ाई है. जिसमें एक है राज्य के सीएम जगन मोहन रेड्डी की YSR CONGRESS और दूसरी है चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी. CID की इस कार्रवाई को राजनीतिक रूप से सत्ता पक्ष की विपक्ष को कमजोर करने की साजिश के तौर पर देखा जा रहा है.

चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तार के बाद से ही टीडीपी समर्थकों ने हंगामा शुरू कर दिया था. आज आंध्रप्रदेश इस मुद्दे को लेकर बंद बुलाया गया था. इस दौरान कई टीडीपी नेताओं को नजरबंद भी किया गया. टीडीपी के नेता इस गिरफ्तारी और कार्रवाई को राजनीतिक से प्रेरित क्यों कह रहे हैं, इसकी वजह हम आपको बताते हैं.

दरअसल वर्ष 2014 में राज्य का विभाजन, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना नाम के दो राज्यों में हो गया था. ये विभाजन वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही किया गया था. उस समय UPA का शासन, केंद्र में भी था और राज्य में भी. जगन मोहन रेड्डी के स्वर्गीय पिता, YSR रेड्डी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने आंध्रप्रदेश विधानसभा में लगातार दो कार्यकाल 2004 और 2009 में शानदार जीत दर्ज की थी.

राज्य के विभाजन के समय ये सोचा गया था कि इससे कांग्रेस को लाभ होगा. लेकिन आंध्रप्रदेश से तेलंगाना के अलग होने पर, कांग्रेस को केवल नुकसान ही हुआ. आंध्रप्रदेश के लोग इस विभाजन से नाराज थे, इसका खामियाज़ा कांग्रेस ने हार के साथ भुगता. वहीं YSR रेड्डी के निधन के बाद उनके बेटे जगन मोहन रेड्डी ने अपनी एक अलग पार्टी YSR CONGRESS बना ली. तेलंगाना के लोग विभाजन के समर्थन में थे, वहां इसका पूरा फायदा चंद्रशेखर राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति को मिला, कांग्रेस को नहीं. वर्ष 2014 में आंध्रप्रदेश के गुस्से का फायदा, चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगु देशम पार्टी को मिला. वो मुख्यमंत्री बनाए गए और जगन मोहन रेड्डी, विपक्ष के नेता बने. कांग्रेस पार्टी को मिलने वाला सारा वोट, YSR CONGRESS को चला गया. एक तरह से आंध्रप्रदेश से कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई.

वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 38.7 प्रतिशत था. लेकिन वर्ष 2014 में राज्य के विभाजन के बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 2.8 प्रतिशत हो गया था. यानी उन्हें 35.9 प्रतिशत वोट शेयर का नुकसान हुआ, वहीं कांग्रेस ही अलग होकर बनी YSR Congres का वोट शेयर 44.4 प्रतिशत था. यही नहीं इसके बाद अगले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का वोट शेयर पिछले चुनाव से घटकर 1.2 प्रतिशत रह गया, जबकि YSR CONGRESS का वोट शेयर बढ़कर 49.9 प्रतिशत हो गया.

इससे पता चलता है कि कांग्रेस यहां पर जनाधार खोती गई, और YSR CONGRESS का जनाधार बढ़ता गया. अब आंध्रप्रदेश की राजनीति में केवल दो ही पार्टियां मुख्य रूप से रह गई, जिसमें एक YSR CONGRESS है और दूसरी TDP. एक तरह आने वाले विधानसभा चुनावों में सत्ताधारी YSR CONGRESS की टक्कर चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी से है. घोटाले के आरोप में चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी से राज्य में चुनावी प्रतियोगिता को खत्म करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

कुछ समय पहले चंद्रबाबू नायडू ने अनंतपुर की एक रैली में ये बात कही थी कि बदले की राजनीति के तहत उन्हें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है. उन्होंने इसके लिए जहन मोहन रेड्डी पर आरोप लगाए थे. वर्ष 2019 में चंद्रबाबू नायडू ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले NDA छोड़ दिया था. उन्होंने राज्य में अकेले दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. करीब 37 वर्ष बाद TDP ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया था. हालांकि ये TDP को महंगा साबित हुआ था. 175 सीटों की विधानसभा में TDP को सिर्फ 23 सीटें मिली थीं.

हालांकि 2019 में भी TDP ने अपने दम पर लगभग 40 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था. आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की सरकार के खिलाफ Anti Incumbency भी है, जिसका फायदा चंद्रबाबू को मिल सकता था. माना ये जा रहा था कि 4 से 5 प्रतिशत वोट अगर चंद्रबाबू नायडू की पार्टी को और मिल जाते, और इसके साथ ही गठबंधन करने वाली पार्टी को कुछ सीटें हासिल हो जातीं, तो TDP एक बार फिर सत्ता में लौट सकती थी. लेकिन गठबंधन से पहले ही चंद्रबाबू नायडू को घोटाले के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. कोई भी पार्टी अब इनके साथ गठबंधन करने से पहले सोच विचार जरूर करेगी. इसीलिए इस कार्रवाई को एक राजनीतिक चाल कहा जा रहा है.

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