Chandra Shekhar: तेवर में तल्खी और मिजाज में नरमी, कहानी देश के ऐसे प्रधानमंत्री की जिनकी सरकार 136 दिन ही चली
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Chandra Shekhar: तेवर में तल्खी और मिजाज में नरमी, कहानी देश के ऐसे प्रधानमंत्री की जिनकी सरकार 136 दिन ही चली

Chandra Shekhar Death Anniversary: उत्तर प्रदेश के बलिया के चंद्रशेखर देश के 9वें प्रधानमंत्री थे. उन्होंने 10 नवंबर 1990 से 6 मार्च 1991 तक 136 दिनों तक इस पद पर कार्यभार संभाला.

Chandra Shekhar: तेवर में तल्खी और मिजाज में नरमी, कहानी देश के ऐसे प्रधानमंत्री की जिनकी सरकार 136 दिन ही चली

Chandra Shekhar Death Anniversary: उत्तर प्रदेश के बलिया के चंद्रशेखर देश के 9वें प्रधानमंत्री थे. उन्होंने 10 नवंबर 1990 से 6 मार्च 1991 तक 136 दिनों तक इस पद पर कार्यभार संभाला. चंद्रशेखर का जन्म 1 अप्रैल 1927 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में प्राप्त की. वे छात्र राजनीति में सक्रिय थे और 1947 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए. उनकी राजनीति के किस्से आज भी चर्चाओं में जिंदा हैं. चंद्रशेखर तल्ख तेवर के नेता थे लेकिन मिजाज उनका नर्म ही रहता था.

मोरारजी देसाई सरकार में खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री

1962 में चंद्रशेखर को उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुना गया. उन्होंने 1967 से 1977 तक राज्य के मंत्री के रूप में कार्य किया. इस दौरान उन्होंने विभिन्न विभागों को संभाला. 1977 में, वे जनता पार्टी में शामिल हुए और मोरारजी देसाई सरकार में खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री बने.

चंद्रशेखर का बागी तेवर

चंद्रशेखर के बागी तेवर का जिक्र आज भी होता रहता है. उन्होंने कांग्रेस में रहते हुए इंदिरा गांधी का विरोध किया था. सन 1977 में जब देश में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी की घोषणा की तो चंद्रशेखर ने कांग्रेस से मुंह मोड़ लिया था. इमरजेंसी लगने के बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. इमरजेंसी के दौरान चंद्रशेखर को भी जेल में डाल दिया गया. उन्होंने तब इंदिरा गांधी का खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया था. उन्हें इंदिरा के मुखर विरोधियों में से एक के रूप में पहचाना जाने लगा.

युवा तुर्क के नाम से मशहूर..

उनकी समाजवादी विचारधारा आज भी याद की जाती है. उनको बोलने का अंदाज और बागी तेवर विरोधियों को चुप करा देता था. उनके सामने कोई बोलने की हिम्मत नहीं जुटाता था. उनके इसी तेवर और बेबाकी से बोलने के अंदाज ने उन्हें युवा तुर्क के नाम से मशहूर कर दिया. उन्होंने सामाजाकि बदलाव लाने के लिए खूब परिश्रम किया. राजनीति हो या जन आंदोलन चंद्रशेखर की आवाज हर जगह एक जैसी बुलंदी से सुनाई पड़ती रही.

..देश के प्रधानमंत्री बने

1988 में चंद्रशेखर को राष्ट्रीय जनता दल का अध्यक्ष चुना गया. 1990 में वी.पी. सिंह सरकार के गिरने के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी के समर्थन से अल्पमत सरकार बनाई और देश के प्रधानमंत्री बने. हालांकि, उनकी सरकार 136 दिनों के बाद गिर गई. उनकी सरकार तब गिरी जब कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर 8 जुलाई 2007 में अपनी मृत्यु तक संसद सदस्य बने रहे. चंद्रशेखर को एक साहसी और सच्चे नेता के रूप में जाना जाता था. उन्हें उनकी ईमानदारी, सादगी और गरीबों के प्रति समर्पण के लिए याद किया जाता है. वह आज भी पूरे भारत में एक प्रेरणादायक व्यक्ति के रूप में याद किए जाते हैं.

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