Bulldozer Justice: घर ढहा देना फैशन हो गया है! 'बुलडोजर जस्टिस' पर चला MP हाई कोर्ट का 'रोलर', पीड़ित को मुआवजा
Advertisement
trendingNow12106389

Bulldozer Justice: घर ढहा देना फैशन हो गया है! 'बुलडोजर जस्टिस' पर चला MP हाई कोर्ट का 'रोलर', पीड़ित को मुआवजा

MP High Court On Bulldozer Justice: बिल्डिंग परमिशन में कमियां गिनाते हुए उज्जैन नगर निगम ने कुछ घर ढहा दिए थे. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दो याचिकाकर्ताओं को 1-1 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश देने हुए कहा कि ऐसा करना 'फैशनेबल' हो गया है.

Bulldozer Justice: घर ढहा देना फैशन हो गया है! 'बुलडोजर जस्टिस' पर चला MP हाई कोर्ट का 'रोलर', पीड़ित को मुआवजा

Madhya Pradesh HC On Bulldozer Justice: 'स्थानीय प्रशासन के लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किए बिना किसी भी घर को ध्वस्त करना अब फैशन बन गया है.' बुलडोजर न्‍याय के ट्रेंड पर मध्‍य प्रदेश हाई कोर्ट (MP HC) ने बेहद सख्त लहजे में टिप्पणी की है. HC की इंदौर बेंच ने उज्जैन नगर निगम (UMC) से दो याचिकाकर्ताओं को एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने को कहा है. इन दोनों के घरों को UMC ने कथित रूप से बिल्डिंग परमिशंस में कमियां बताकर ढहा दिया था. जस्टिस विवेक रूसिया ने आदेश में कहा कि 'तोड़फोड़ अंतिम उपाय होना चाहिए.' अदालत ने कहा कि किसी को भी प्रॉपर परमिशन के बिना या नियमों का पालन किए बिना घर बनाने का अधिकार नहीं है, लेकिन विध्वंस को 'अंतिम उपाय' माना जाना चाहिए। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि विध्वंस की कार्रवाई से सब कुछ सही करने का चांस मिलना चाहिए.

हाई कोर्ट ने यह फैसला राधा लांगरी की याचिका पर सुनाया. लांगरी ने अपील में कहा था कि उनके घरों (हाउस नंबर 466 और 467) को अवैध तरीके से ढहाया गया लिहाजा UMC उन्‍हें मुआवजा दे. जस्टिस रूसिया की अदालत ने पाया कि 13 दिसंबर, 2023 को बिना किसी नोटिस या लांगरी को सुनवाई का मौका दिए बिना दोनों घर ढहा दिए गए. विध्वंस के बाद लांगरी ने हाई कोर्ट का रुख किया. अदालत ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को अवैध करार देते हुए दोषी सिविक अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया.

'घर को ध्वस्त करना और अखबार में छापना फैशन बन गया है'

जस्टिस विवेक रूसिया ने बिना उचित प्रक्रिया के पालन के, घरों को ढहाने के ट्रेंड की आलोचना की. उन्‍होंने कहा, "इस अदालत ने बार-बार देखा है, स्थानीय प्रशासन और स्थानीय निकायों के लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किए बिना कार्यवाही करके किसी भी घर को ध्वस्त करना और उसे अखबार में प्रकाशित करना अब फैशन बन गया है. ऐसा लगता है कि इस मामले में भी याचिकाकर्ताओं के परिवार के सदस्यों में से एक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था और तोड़फोड़ को अंजाम दिया गया था."

'तोड़फोड़ आखिरी रास्ता हो, पहला नहीं'

HC के निर्देश पर उज्जैन के नगर आयुक्त ने जांच की. उन्‍होंने बताया कि घर के लिए जरूरी परमिशंस नहीं ली गई थीं. हालांकि, सिविल अधिकारियों के मौके पर बनाए गए पंचनामा से मालूम होता है कि नोटिस पिछले मालिक को दिए गए थे, वर्तमान वाले को नहीं. रूसिया ने मौके पर जाकर सत्यापन के बिना तैयार किए गए 'मनगढ़ंत' पंचनामे के आधार पर "विध्वंस की कठोर कार्रवाई" की आलोचना की.

अदालत ने जब देखा कि याचिकाकर्ता ने घर खरीदे थे, खुली जमीन नहीं तो इस बात पर जोर दिया कि विध्वंस के बजाय रेगुलराइजेशन की संभावनाएं तलाशी जानी चाहिए थीं. कोर्ट ने कहा, '"तोड़फोड़ आखिरी रास्ता होना चाहिए, वह भी मालिक को घर को नियमित कराने का उचित अवसर देने के बाद."

Trending news