Bilkis Bano Case: 'अब मैं दोबारा से सांस ले सकती हूं...', सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद बोलीं बिलकिस बानो
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Bilkis Bano Case: 'अब मैं दोबारा से सांस ले सकती हूं...', सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद बोलीं बिलकिस बानो

Supreme Court on Bilkis Bano: गोधरा में 2002 में ट्रेन अग्निकांड के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के दौरान बिलकिस बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं. उनके साथ गैंगरेप किया गया और तीन साल की बेटी समेत परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी. 

Bilkis Bano Case: 'अब मैं दोबारा से सांस ले सकती हूं...', सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद बोलीं बिलकिस बानो

Supreme Court Bilkis Bano: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिलकिस बानो गैंगरेप और उनके परिवार के 7 लोगों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया. कोर्ट ने गुजरात सरकार पर अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और दोषियों को दो हफ्ते के अंदर जेल भेजने का आदेश दिया. 

कोर्ट के इस फैसले पर बिलकिस बानो ने संतोष जताया. उन्होंने अपनी वकील शोभा गुप्ता के जरिए जारी बयान में कहा, 'आज वास्तव में मेरे लिए नया साल है. मेरी आंखों में खुशियों के आंसू हैं. मैं पिछले डेढ़ साल में पहली बार मुस्कराई हूं. मैंने अपने बच्चों को गले लगाया. ऐसा लग रहा है कि मेरे सीने से पहाड़ जैसा पत्थर हटा लिया गया है और मैं दोबारा से सांस ले सकती हूं.'

रिश्तेदारों ने जलाए पटाखे

कोर्ट के फैसले के बाद बानो के कुछ रिश्तेदारों ने दाहोद जिले के देवगढ़ बारिया शहर में पटाखे जलाए. इस मामले के एक गवाह ने फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि बानो को आज न्याय मिला. मामले के गवाहों में से एक अब्दुल रजाक मंसूरी ने कहा, 'मैं इस मामले में एक गवाह हूं. इन 11 दोषियों को महाराष्ट्र की एक अदालत ने सजा सुनाई थी. उन्हें रिहा करने का गुजरात सरकार का फैसला गलत था. इसलिए हमने उसे अदालत में चुनौती दी थी.'

गोधरा में 2002 में ट्रेन अग्निकांड के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के दौरान बिलकिस बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं. उनके साथ गैंगरेप किया गया और तीन साल की बेटी समेत परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी. गुजरात सरकार ने इस मामले के सभी 11 दोषियों को सजा में छूट देकर 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया था. 

कोर्ट ने क्या कहा अपने फैसले में

फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हम गुजरात सरकार की शक्तियों का दुरुपयोग करने के आधार पर सजा में छूट के आदेश को रद्द करते हैं. 251 पन्नों से अधिक का फैसला सुनाते हुए कहा कि गुजरात सरकार सजा में छ्रट का आदेश देने के लिए उचित सरकार नहीं है. कोर्ट ने साफ किया कि जिस राज्य में किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, उसे ही दोषियों की सजा में छूट संबंधी याचिका पर निर्णय लेने का अधिकार होता है. दोषियों पर महाराष्ट्र में मुकदमा चलाया गया था

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