West Champaran News: बिहार के पश्चिम चंपारण से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने सत्ता और व्यवस्था की लापरवाही को उजागर कर दिया. शासन-प्रशासन की अनदेखी के कारण यहां एक परिवार भूखे पेट सोने के मजबूर हो रहा है. दरअसल, पश्चिम चंपारण बेतिया के योगापट्टी प्रखंड के बगही पुरैना पंचायत के वार्ड नंबर 3 में एक ऐसा परिवार है, जो गरीबी का दंश झेलने को मजबूर है. यह स्टोरी बगही गांव निवासी महंत महतो की है जो दाने-दाने को मोहताज हैं. महंत महतो अपनी पत्नी शिवपति देवी और दो पोता-पोती के साथ गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं. इनके पास ना अपनी जमीन है ना ही सरकारी योजनाओं का लाभ है. पूरा परिवार किसी दिन खाना खाता है और किसी दिन भूखे ही सो जाता है. व्यवस्था ने इन्हें आज तक राशन कार्ड भी मुहैया नहीं कराया है. भीख मांग कर दोनों बुजुर्ग अपने पोता-पोती की परिवारिश कर रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक, 10 वर्ष पहले महंत महतो की बहू का मौत हो गई थी और बेटा मंटू महतो कहीं चला गया, जो आज तक लौटकर नहीं आया. जिसके बाद बुजुर्ग दंपति सड़क किनारे एक झोपड़ी बनाकर अपने पोता-पोती का भरण-पोषण कर रहे हैं. राशन कार्ड बनवाने के लिए बुजुर्ग जनप्रतिनिधियों से लेकर सरकारी दफ्तरों तक के चक्कर काट चुका है, लेकिन पिछले 10 वर्षों से इनको राशन कार्ड तक नहीं मिल पाया है. यह परिवार पूरी तरह से भूमिहीन है इन्हें सरकारी योजना के तहत 5 डिसमिल जमीन भी नहीं मिल पा रहा है.
महंत महतो का कहना है कि राशन कार्ड बनवाने के लिए जहां जाते हैं. वहां अधिकारी और नेता हमें भगा देते हैं. उन्होंने कहा कि चार पेट के खाना कहां से लाएं, अब यह समझ में नहीं आ रहा है. शरीर में अब ताकत भी नहीं है कि मजदूरी कर सकें. अब ऐसा लग रहा है कि भूखे पेट आत्महत्या कर लेनी पड़ेगी, लेकिन आत्महत्या भी कैसे करें? दो पोता-पोती का मुंह देखकर हर रोज गांव में भीख मांगने निकल पड़ते हैं. मिलता है तो खाना खिला देते हैं नहीं मिलता है तो भूखे पेट सो जाते हैं.