शहर की स्वच्छता और सौंदर्यीकरण में घरों के टॉयलेट और सुलभ शौचालय काफी महत्वपूर्ण स्थान है. सुलभ शौचालयों की समुचित व्यवस्था होने का असर शहर की सफाई पर भी पड़ता है. लेकिन हजारीबाग में ऐसा नहीं है.
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हजारीबागः झारखंड के हजारीबाग शहर की स्वच्छता और सौंदर्यीकरण में घरों के टॉयलेट और सुलभ शौचालय का काफी महत्वपूर्ण स्थान है. सुलभ शौचालयों की समुचित व्यवस्था होने का असर शहर की सफाई पर भी पड़ती है. लेकिन आबादी बढ़ने के बाद भी शहर में सुलभ शौचालय की संख्या काफी कम है. कुछ सुलभ शौचालय तो कब के बंद हो चुके हैं, जिनका इस्तेमाल अब संभव नहीं.
जिलापरिषद चौक स्थित उपविकास आयुक्त आवास, सरकारी बस स्टैंड, सदर अस्पताल गेट के सामने गांधी मैदान मटवारी सहित कुछ जगहों के सुलभ शौचालय सहित कई अन्य की स्थिति काफी खराब है. गंदगी और बदबू के कारण यहां जाने से लोग परहेज करते हैं. नतीजा जरूरत पड़ने पर शहर में कई लोग सड़क किनारे ही मल-मूत्र त्यागने को विवश है. जिस कारण से शहर में गंदगी फैलती जा रही है.
शौचालय में पानी की टंकी मौजूद नहीं
शहर के कई इलाके में सड़क किनारे आज भी मल मूत्र और गंदगी दिख जाती है. शहर के कई मोहल्ले ऐसे हैं जहां लोग घरों में शौचालय टंकी नहीं बनाए हैं और मल मूत्र को नाली में ही गिरा देते हैं. इसका असर सफाई पर भी पड़ता है. इस स्थिति में हम स्वच्छता रैंकिंग में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद नहीं कर सकते. निगम द्वारा बनाए गए शहर के अधिकतर शौचालयों मे गंदगी का अंबार है. दुःख की बात यह है कि शौचालय के पेन में पेपर कूट सहित कई सामग्री डालकर इसे बर्बाद किया गया है. हजारीबाग की बात की जाए तो पूरा जिला पूर्ण रूप से स्वच्छता के मायने में ओडीएफ घोषित हो गया. हालांकि ऐसा सिर्फ कागजी तौर पर हुआ है.
हद से ज्यादा गंदे सार्वजनिक शौचालय
जमीनी हकीकत में आज भी लोग इसे देखकर मर्माहत हो रहे हैं. इसका कारण यह है कि पेट की गंदगी साफ करने वाला शौचालय खुद गंदगी से जूझ रहा है और इसकी भनक न तो निगम प्रशासन को है और न ही जिला प्रशासन को. ऐसे में इंडियन सोशल एक्टिविष्ट डॉ देवेन्द्र सिंह देव ने कहा कि मटवारी गांधी मैदान में नगर निगम द्वारा बनाये गए सार्वजनिक शौचालय इतने गंदे है. यहां टहलने वाले लोग नाक में रुमाल पकड़ने लगते हैं, जबकि इस मैदान मे माननीय प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री की सभा भी हो चुकी है. कई मंत्रीगण की यहां सभा होती है.
तीन महीने पहले दिया था सफाई का आश्वासन
वहीं जिला परिषद चौक बस स्टैंड एक ऐसी जगह है. जहां लंबी दूरी तय करने वाले महिला पुरूष इस जगह से ही अपनी मंजिल तय करते हैं और सफर करते हैं. यहां बात शौच की ही है. जब महिलाएं टॉयलेट जाती हैं तो गंदगी देखकर बैरन लौट जाती है और इधर-उधर भटकने लगती है. जबकि डीडीसी सह प्रभारी नगर आयुक्त प्रेरणा दिक्षित एवं नगर महापौर रौशनी तिर्की ने लगभग तीन महीने पहले यह आश्वासन दिया था कि एक से दो दिनों के अंदर खासकर महिलाओं के लिए शहर के सभी सार्वजनिक शौचालयों की बेहतर साफ सफाई सुनिश्चित करवाउंगी.
शौचालय को बेहतर तरीके से बनवाने की मांग
डॉ देवेन्द्र सिंह ने जिला प्रशासन से इन जगहों पर बने शौचालय को बेहतर तरीके से बनवाने की मांग की है. डॉ देवेन्द्र ने बताया अगर इस कुव्यवस्था को जल्द ही सुधार नहीं करवाया गया तो जल्द ही वे मुख्यमंत्री से मिलकर इस विषय से उन्हें अवगत कराएंगे. साथ ही डॉ देवेन्द्रव ने यह भी कहा कि यहां वर्तमान में तीन-तीन महवपूर्ण पदों पर डीसी, नगर आयुक्त, उप महापौर सभी महिलाएं हजारीबाग में ही कार्यरत हैं. फिर भी स्वच्छ भारत मिशन का ऐसा हाल है.
शौचालयों में पानी तक की व्यवस्था नहीं
यहां महिलाओं के हित मे इस कार्य को हरहाल में प्रार्थमिकता में शामिल किया जाना चाहिए. गंदगी में पड़े सरकारी शौचालय, बस स्टैंड, सदर अस्पताल गेट के सामने, मटवारी गांधी मैदान सहित कई स्थानों पर शौचालयों में पानी तक की भी व्यवस्था नहीं है. गांव की बात की जांए तो शहर से बेहतर गांव ही है. जहां पहले लोग लोटा पार्टी में शामिल होते थे.
(इनपुट-यादवेंद्र सिंह)
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