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चतरा: मोक्षदायिनी नदी फल्गु (निरंजना) को पुनर्जीवित करने को लेकर जिला प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है. इसके तहत नदी के सुख जाने के कारण और पुनर्जीवित करने के उपाय के साथ-साथ इसके उदगम स्थल को विकसित करने का खाका तैयार किया जा रहा है.
इसकी शुरुआत चतरा में डीएमएफटी प्रशिक्षण भवन में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला से किया गया है. जिसमें बतौर मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ से आए टेक्नीशियन हैं. इनके द्वारा उपस्थित जनप्रतिनिधि और अन्य विभाग के उपस्थित अधिकारियों व कर्मियों को प्रोजेक्टर के माध्यम से नदी को पुनर्जीवित करने के उपाय बताए गए.
इस मौके पर उपस्थित परियोजना पदाधिकारी अनुजा राणा ने बताया कि कार्यशाला के समापन के बाद सभी तकनीकी पदाधिकारियों की टीम उदगम स्थल पर जाकर क्षेत्र का निरीक्षण करेगी और मृतप्राय हो चुके फल्गु उर्फ निरंजना नदी को पुनर्जीवित करने के लिए सभी तरह के छोटे बड़े संभावनाओं को तलाशेंगे.
गौरतलब है कि इससे पहले फल्गु को प्रदूषण मुक्त को लेकर बुडको द्वारा नाला (सीवरेज) प्राक्कलन तैयार किया गया था. इस नदी में दंडीबाग नाला, मनसरवा नाला, नदारागंज नाला, मलहटोली नाला, पितामहेश्वर नाला, बाटम नाला, सीढि़या घाट नाला, किरानी घाट नाला, पंचायती अखाड़ा नाला, मोरिया घाट नाला एवं रामशिला नाला गिर रहा था.
बताते चलें कि यह वही फल्गु नदी जहां पर माता सीता ने राजा दशरथ को पिंडदान किया था. और पिंडदान के बाद माता ने क्रोधित होकर नदी को पानी विहीन हो जाने का श्राप दिया था. इसी लिए इस नदी को अंत सलिला भी कहा जाता है.
गौरतलब है कि फल्गु नदी चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड के सबानो पंचायत के बेलगड्डा गांव से निकलती है और गया स्थित विष्णुपद मंदिर के समीप जाकर समाप्त हो जाती है. आपको बता दें कि ये वही फल्गु (निरंजना ) नदी जहां गया में पहुंचकर प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में लोग अपने अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं.