कटिहार में कृषि योग्य भूमि कटाव के कारण नदी में हो रही लुप्त, किसानों ने दी चेतावनी
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कटिहार में कृषि योग्य भूमि कटाव के कारण नदी में हो रही लुप्त, किसानों ने दी चेतावनी

कटिहार में करोड़ों खर्च करने के बाद भी कटाव लगातार जारी है. जिसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हर साल बिहार में बाढ़ के कारण सैकड़ों परिवार प्रभावित होते हैं. हालांकि गंगा का जलस्तर नीचे होने के बाद कटाव जारी है. जिसके कारण कृषि योग्य जमीन भी तबाह हो रही है.

(फाइल फोटो)

Katihar: बिहार के कटिहार में करोड़ों खर्च करने के बाद भी कटाव लगातार जारी है. जिसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हर साल बिहार में बाढ़ के कारण सैकड़ों परिवार प्रभावित होते हैं. हालांकि गंगा का जलस्तर नीचे होने के बाद कटाव जारी है. जिसके कारण कृषि योग्य जमीन भी तबाह हो रही है. इन हालातों के चलते लोग अपने घरों और जमीनों को छोड़कर पलायन करने को मजबूर हैं. 

विभाग को दिए गए निर्देश
दरअसल हर साल बिहार में बाढ़ आने के कारण हजारों परिवार प्रभावित होते हैं. बाढ़ के बाद नदियों के जलस्तर में कमी आ गई है. जिसके कारण ज्यादातर इलाकों में कटाव शुरू हो गया है. वहीं, मनिहार के एसडीएम कुमार सिद्धार्थ कुमार ने बताया कि जिला मुख्यालय में भयावह स्थिति है.  संबंधित विभाग को भी इस बारे में जानकारी देते हुए आवश्यक कदम उठाए जाने के लिए निर्देश दिए गए हैं. 

किसानों ने की आत्महत्या की बात
मनिहारी सिंगल टोला से केवाला घाट दरियापुर तक गंगा नदी किनारे के बड़े भूभाग का कटाव की तेजी से हो रहा है. जिसके कारण वहां पर बसे गांव के हजारों लोग भयभीत हैं. इसके अलावा लोग प्रशासन की सुस्त व्यवस्था पर सवाल उठा रहे है. वहीं, किसानों की कृषि योग्य भूमि कटाव में लुप्त हो रही है. जिसके कारण किसान बेहद परेशान हैं. साथ ही किसानों ने लुप्त हो रही है जमीन को लेकर सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. कटाव रोकने लिए करोड़ों की राशि खर्चकर की गई है. लेकिन उसके बाद भी धरातल पर कारगर साबित नहीं हो पाया है. जलस्तर कम होने से एक बार फिर कटाव शुरू हो जाने से गांधी टोला ,सिंगल टोला, बाघमारा के लोग आत्महत्या की बात कह रहे है. 

पलायन को मजबूर किसान
मनिहारी अनुमंडल का बड़ा भाग हर साल बाढ़ के कारण कटाव की स्थिति से जूझता है. बिहार में दशकों से गंगा में बाढ़ आ रही है. जिसके बाद कटाव के कारण इस क्षेत्र का हजारों एकड़ कृषि योग्य भूमि गंगा मे समा रही है. कृषि पर आधारित लोगों के खेत और घर नदी में समा रहे हैं. इन हालातों के चलते किसान मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं और रोजगार की तलाश मे पीड़ित परिवारों अपने इलाकों और घरों को छोड़कर पलायन करने को मजबूर है. कटाव के कारण पैदा हुए हालातों के चलते लोग दूसरे स्थानों पर जाकर रहने को मजबूर हो रहे हैं. इससे उनके जीवन में अस्थिरिता की स्थिति पैदा हो रही है. 

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