Anand Mohan Singh: आनंद मोहन को यूं ही रिहा नहीं कर रही नीतीश सरकार, जानें इसके पीछे क्या है मकसद
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Anand Mohan Singh: आनंद मोहन को यूं ही रिहा नहीं कर रही नीतीश सरकार, जानें इसके पीछे क्या है मकसद

बिहार में राजपूत समाज की 6 फीसदी से ज्यादा आबादी है. इस समाज के लोग कई सीटों पर हार-जीत का फैसला करते हैं.  मौजूदा दौर में इसे बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है. 

Anand Mohan Singh: आनंद मोहन को यूं ही रिहा नहीं कर रही नीतीश सरकार, जानें इसके पीछे क्या है मकसद

Bihar Politics: बिहार के बाहुबली आनंद मोहन के लिए सोमवार (24 अप्रैल) का दिन काफी खुशी देने वाला रहा. सोमवार को ही एक ओर उनके विधायक बेटे चेतन मोहन सिंह की सगाई हुई, तो शाम को उनकी रिहाई का आदेश आ गया. बता दें कि आनंद मोहन अभी तक गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में जेल में सजा काट रहे थे. बेटे की शादी में शामिल होने के लिए वह पैरोल पर बाहर आए थे. 

आनंद मोहन की रिहाई के लिए सुशासन बाबू की सरकार ने जेल मैन्युअल के नियमों में ही बदलाव कर दिया. इसके पीछे भी बड़ा सियासी कारण बताया जा रहा है. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि राजपूतों का वोट पाने के लिए नीतीश कुमार ने ये खेला किया है. माना जा रहा है कि राजपूत वोटरों को मनाने के लिए ये कवायद की जा रही है.   

जदयू से नाराज थे राजपूत?

दरअसल, 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए नीतीश कुमार पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं. बिहार में राजपूत समाज की 6 फीसदी से ज्यादा आबादी है. इस समाज के लोग कई सीटों पर हार-जीत का फैसला करते हैं.  मौजूदा दौर में इसे बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे भी यही संकेत देते हैं. उस वक्त जदयू कोटे से खड़े दो ही राजपूत उम्मीदवार चुनाव में जीत पाए थे. वहीं बीजेपी के 6 राजपूत उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई थी. 

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राजपूत वोटरों को साधने का प्रयास

राजद के सिर्फ 6 राजपूत नेताओं को जीत मिली थी. अब आनंद मोहन के सहारे दोनों क्षेत्रीय पार्टियां राजपूत वोटरों को साधने का प्रयास कर रही हैं. आनंद मोहन की रिहाई की पटकथा इस साल के शुरुआत में लिखी जाने लगी थी. इसी साल जनवरी में जदयू की ओर से महाराणा प्रताप स्मृति समारोह का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में आनंद मोहन की रिहाई के नारे लगे थे. जिस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि उनकी पत्नी से पूछ लीजिएगा कि हम क्या कोशिश कर रहे हैं?

आनंद मोहन की रिहाई से फायदा?

पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई से ज्यादा इसके क्रेडिट की मारामारी है. पिछले करीब 7-8 महीने से उनकी रिहाई की मांग उठ रही थी, लेकिन हो नहीं पा रहा. नीतीश जब बीजेपी से निकल कर महागठबंधन के साथ आए तो उन्होंने इस पर काम शुरू किया. आनंद मोहन की रिहाई से बीजेपी के गढ़ कोसी-मिथिलांचल और राज्य में पार्टी के आधार वोटरों में से राजपूत वोटरों पर प्रभाव पड़ सकता है.

कोई दल नहीं कर रहा है विरोध

राजनीतिक मजबूरी के चलते बिहार में किसी भी दल के अंदर इतनी ताकत नहीं है कि वह अनंत सिंह की रिहाई का विरोध कर सके. बीजेपी तो एक कदम और आगे निकल गई. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सरकार पर गलत तरीके से आनंद मोहन को जेल में रखने का आरोप लगाया. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को आनंद मोहन से माफी मांगनी चाहिए. इससे पहले सुशील मोदी भी आनंद मोहन की रिहाई की मांग कर चुके थे. 

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