Lok Sabha Election 2024: ऐसी सीट जहां अल्पसंख्यक हैं हिंदू, 1952 से अब तक सिर्फ एक बार जीत पाया है हिंदू प्रत्याशी
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Lok Sabha Election 2024: ऐसी सीट जहां अल्पसंख्यक हैं हिंदू, 1952 से अब तक सिर्फ एक बार जीत पाया है हिंदू प्रत्याशी

बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से 4 सीटें सीमांचल की सीमा में पड़ती है. इनमें से कटिहार, अररिया, पूर्णिया और किशानगंज की सीटें आती हैं.

(फाइल फोटो)

Kishanganj Loksabha Seat: बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से 4 सीटें सीमांचल की सीमा में पड़ती है. इनमें से कटिहार, अररिया, पूर्णिया और किशानगंज की सीटें आती हैं. ऐसे में हम आपको आज उस सीट के बारे में बताते हैं जो सीमांचल की मुस्लिम बाहुल्य सीट है और इस सीट पर 1952 के बादे से अब तक एक बार सिर्फ हिंदू प्रत्याशी को जीत हासिल हुई है. 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की लहर चल रही थी तब भी यह सीट भाजपा हार गई थी और तो और इस सीट पर 2019 में भाजपा-जदयू ने जब मिलकर चुनाव लड़ा था तो यही बिहार की वह सीट थी जिसे जदयू के उम्मीदवार को गंवाना पड़ा था. 

देश का यह एक चुनिंदा सीट है जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं और मुस्लिम आबादी बहुत बड़ी है. किशनगंज लोकसभा सीट 1957 में बना और 1967 में इस सीट पर एक और मात्र एक बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की तरफ से हिंदू उम्मीदवार एलएल कपूर ने जीत हासिल की थी. 

किशनगंज में जहां एक तरफ 68 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है वहीं 32 प्रतिशत के करीब आबादी हिंदूओं की है. ऐसे में इस सीट पर पार्टी कोई भी हो उम्मीदवार मुस्लिम ही होता है और उसका दबदबा बना रहता है. इस किशनगंज सीट के बारे में बता दें तो इसका इलाका हरा-भरा और खूबसूरत भी है. एक समय जब यह पूर्णिया का हिस्सा था तो यह वन संपदा से अच्छादित क्षेत्र था यही वजह है कि आज भी यहां हरियाली बरकरार है. इसे पूर्वोत्तर राज्यों का गेटवे भी कहा जाता है. 

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किशनगंज में इतनी हरियाली की वजह से यहां बरसात भी जमकर होती है और इसे बिहार का चेरापूंजी भी कहा जाता है. इसके बारे में बता दें कि यहां सूर्यवंशियों का शासन था और इसे सुरजापुर भी कहा जाता है.इसका इलाका पश्चिम बंगाल से सटा है और यही वजह है कि इसकी सियासी जमीन का सीधा असर वहां भी देखने को मिलता है. 

इस सीट पर 1952 से हो रहे चुनाव में  17 बार में से कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसने दो बार यहां हैट्रिक लगाई है. इस सीट पर दो बार जनता दल ने जीत दर्ज की है. वहीं यह सीट राजद के हिस्से में भी रही है. यह सीट ऐसा है जहां से 1999 में एक बार भाजपा को भी जीत का स्वाद मिल चुका है. भाजपा की तरफ से सैयद शाहनवाज हुसैन इस सीट पर जीत दर्ज कर चुके हैं. हालांकि उसके बाद उन्हें यह सीट अगले चुनाव में गंवानी पड़ी थी. ऐसे में इस बार जब भाजपा को लेकर यह कयास लग रहे हैं कि वह अकेले ही चुनाव लड़ेगी तो इस सीट का समीकरण कैसा होगा यह तो आनेवाला वक्त ही बताएगा. बता दें कि अमित शाह ने अपने भाषण में इस बात का इशारा कर दिया है कि बिहार में सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा अकेली चुनाव लड़ेगी. इस लोकसभा सीट में 6 विधानसभा सीटें शामिल हैं. 

 

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