Hemant Cabinet: हेमंत सरकार के नए मंत्रियों में राधाकृष्ण सबसे बुजुर्ग और शिल्पी नेहा तिर्की सबसे युवा चेहरा
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Hemant Cabinet: हेमंत सरकार के नए मंत्रियों में राधाकृष्ण सबसे बुजुर्ग और शिल्पी नेहा तिर्की सबसे युवा चेहरा

Jharkhand Politics: झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार का नया मंत्रिमंडल आकार ले चुका है. जिसमें 11 मंत्रियों में से पांच अपने राजनीतिक करियर में पहली बार मंत्री बने हैं. इनमें मंत्री राधाकृष्ण किशोर उम्र के लिहाज से मंत्रिमंडल में सबसे वरिष्ठ नेता हैं. वहीं, शिल्पी नेहा तिर्की नए कैबिनेट की सबसे युवा चेहरा है. 

 

हेमंत सरकार के नए मंत्रियों में राधाकृष्ण सबसे बुजुर्ग और शिल्पी नेहा तिर्की सबसे युवा चेहरा

Hemant Govt New Cabinet: रांची: झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार का नया मंत्रिमंडल आकार ले चुका है. इस मंत्रिमंडल में अनुभव और नवीनता का समावेश दिखा है. 11 मंत्रियों में से पांच सुदिव्य कुमार सोनू, योगेंद्र प्रसाद, शिल्पी नेहा तिर्की, चमरा लिंडा और संजय प्रसाद यादव अपने राजनीतिक करियर में पहली बार मंत्री बने हैं. कांग्रेस कोटे के मंत्री राधाकृष्ण किशोर (66 वर्ष) उम्र के लिहाज से मंत्रिमंडल में सबसे वरिष्ठ हैं. विधायी अनुभवों के आधार पर भी वह अन्य सभी मंत्रियों से आगे हैं. किशोर पूर्व में झारखंड की अर्जुन मुंडा सरकार में एक बार मंत्री रह चुके हैं. कांग्रेस के टिकट से वर्ष 1980, 1985 और 1995 में छतरपुर विधानसभा सीट से बिहार विधानसभा के लिए चुने गए थे. वह झारखंड अलग राज्य बनने के बाद वर्ष 2005 में जदयू के टिकट से चुनाव लड़े और विधायक बने. इसके बाद उन्होंने जदयू छोड़ बीजेपी का दामन थामा और वर्ष 2014 के चुनाव में एक बार फिर जीत दर्ज की. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में किशोर ने आजसू के टिकट पर भाग्य आजमाया, लेकिन चुनाव हार गए. इस बार उन्होंने इसी क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की है. 

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चाईबासा के झामुमो विधायक दीपक बिरुआ ने वर्ष 2024 में गुरुवार को तीसरी बार मंत्री पद की शपथ ली. पहली बार वह फरवरी में चंपई सोरेन के कैबिनेट में मंत्री बनाए गए थे. दूसरी बार उन्होंने जुलाई में हेमंत सोरेन (3.0) की सरकार में मंत्री की शपथ ली थी. दीपक बिरुआ ने 2009, 2014, 2019 और 2024 में चाईबासा सीट पर लगातार चार बार जीत दर्ज की है. चंपई सोरेन के झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद अब कोल्हान प्रमंडल में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा का सबसे प्रमुख चेहरा माने जा रहे हैं. 

बिशुनपुर विधानसभा सीट से लगातार चौथी बार विधायक चुने गए झामुमो के चमरा लिंडा को भी पहली बार मंत्रिमंडल में बर्थ हासिल हुआ है. लिंडा ने आदिवासी छात्र नेता के तौर पर राजनीति में कदम रखा था. वह 2003 में झारखंड आदिवासी छात्र संघ के अध्यक्ष हुआ करते थे और डोमिसाइल आंदोलन के दौरान उनकी पहचान फायरब्रांड नेता के तौर पर बनी थी. 2009 में वह बिशुनपुर से पहली बार विधायक चुने गए और इसके बाद से इस सीट पर उनका कब्जा बरकरार है. इसी वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में वह झामुमो से बगावत कर लोहरदगा सीट से निर्दलीय मैदान में उतर आए थे. तब, झामुमो ने उन्हें निलंबित कर दिया था. विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उनका निलंबन समाप्त हुआ और इसके बाद अब उन्हें मंत्री पद से नवाजा गया है.

गिरिडीह से दूसरी बार झामुमो के विधायक चुने गए सुदिव्य कुमार सोनू पहली बार मंत्री बने हैं. उन्होंने 2019 और 2024 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी निर्भय शाहाबादी को परास्त किया. इसके पहले वह वर्ष 2009 और 2014 में भी इस सीट से चुनाव लड़ चुके थे, लेकिन पराजित हो गए थे. विधायक के रूप में पिछले कार्यकाल में विधानसभा की कार्यवाही में झामुमो की ओर से सबसे मुखर चेहरे के तौर पर उनकी पहचान बनी थी. वह हेमंत सोरेन के साथ-साथ कल्पना सोरेन के विश्वासपात्र माने जाते हैं.

संथाल जनजाति से ताल्लुक रखने वाले घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन दूसरी बार मंत्री बनाए गए हैं. उन्होंने वर्ष 2005 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन पराजित हो गए थे. वे 2009 में पहली बार झामुमो के टिकट पर विधायक चुने गए. 2014 के चुनाव में उन्हें एक बार फिर पराजय का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 2019 और 2024 के चुनाव में उन्होंने लगातार दो बार जीत दर्ज की. वह इसी साल जुलाई में हेमंत सोरेन के कैबिनेट में पहली बार मंत्री बनाए गए थे.

कैबिनेट में राजद कोटे के एकमात्र मंत्री के रूप में शामिल संजय प्रसाद यादव ने इस बार गोड्डा विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है. इसके पहले वह वर्ष 2009 में भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं. 2005, 2014 और 2019 के चुनाव में उन्हें इस सीट पर पराजय का सामना करना पड़ा था. संजय प्रसाद यादव झारखंड प्रदेश राजद के महासचिव भी हैं और वह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एवं पार्टी के नेता तेजस्वी यादव के करीबी माने जाते हैं.

इरफान अंसारी दूसरी बार मंत्री बनाए गए हैं. उन्होंने जामताड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लगातार तीन बार वर्ष 2014, 2019 और 2024 में जीत दर्ज की है. इरफान अंसारी गोड्डा के पूर्व सांसद फुरकान अंसारी के पुत्र हैं. उन्हें राजनीति विरासत में हासिल हुई है. एमबीबीएस की डिग्री वाले इरफान अंसारी अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. मधुपुर के झामुमो विधायक हफीजुल हसन अंसारी ने वर्ष 2021 से 2024 के बीच चौथी बार मंत्री पद की शपथ ली है. हफीजुल हसन को भी राजनीति विरासत में हासिल हुई है. उनके पिता हाजी हुसैन अंसारी मधुपुर सीट से विधायक और हेमंत सोरेन की सरकार में मंत्री थे. उनके निधन के बाद 2021 में हुए उपचुनाव में वह पहली बार विधानसभा पहुंचे. हालांकि, विधायक चुने जाने के पहले ही हेमंत सोरेन ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया था.

महागामा की कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने पांच महीने के अंदर दूसरी बार मंत्री पद की शपथ ली है. दीपिका भी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आती हैं. उनके पिता अरुण पांडेय और मां प्रतिभा पांडेय रांची में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में शामिल थे. वह महागामा सीट से विधायक और बिहार की सरकार में मंत्री रहे अवध बिहारी सिंह की पुत्रवधू हैं. दीपिका पांडेय को राहुल गांधी के करीबी नेताओं में गिना जाता है.

गोमिया के झामुमो विधायक योगेंद्र प्रसाद पहली बार मंत्री बनाए गए हैं. वह गोमिया सीट से पहली बार 2014 में विधायक चुने गए थे. उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी के साथ की थी, लेकिन बाद में वह झामुमो में शामिल हो गए. रामगढ़ जिले के मुरुबंदा गांव के रहने वाले योगेंद्र प्रसाद इसके पहले राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं.

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रांची की मांडर विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज करने वाली शिल्पी नेहा तिर्की नए कैबिनेट की सबसे युवा चेहरा है. उन्होंने मांडर सीट से दूसरी बार जीत दर्ज की है. इस सीट से उनके पिता बंधु तिर्की विधायक हुआ करते थे. आय से अधिक संपत्ति के मामले में बंधु तिर्की को अदालत से सजा हो गई और उनकी विधायिकी चली गई. इसके बाद इस सीट पर 2022 में हुए उपचुनाव में वह विधायक चुनी गई थीं. मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मार्केटिंग कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा हासिल करने के बाद वह कॉरपोरेट कंपनी में नौकरी कर रही थीं. पिता की विधायकी जाने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा.

इनपुट - आईएएनएस

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