चिराग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विचारधाराओं के साथ समझौता करने वाला नेता बताया. उन्होंने कहा कि सत्ता की ललक में वो विचारधाराओं के साथ समझौता कर चुके हैं. एक विशेष पद के लिए वह चक्कर लगा रहे हैं लेकिन अब तक बात नहीं बन पाई है.
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Chirag Paswan News: दिल्ली में राहुल गांधी और राजद अध्यक्ष लालू यादव की मुलाकात से बिहार का राजनीतिक पारा सातवें आसमान पर है. इस मुलाकात पर अब बयानबाजी शुरू हो चुकी है. इसी कड़ी में लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान की प्रतिक्रिया सामने आ चुकी है. चिराग ने लालू-राहुल मुलाकात को लेकर सीएम नीतीश कुमार की जमकर चुटकी ली. चिराग ने कहा कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे थे, लेकिन राजद और कांग्रेस मिलकर उनको दरकिनार कर देगी. उन्होंने कहा कि बेंगलुरु बैठक में उन्हें पोस्टर में जगह तक नहीं मिली.
चिराग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विचारधाराओं के साथ समझौता करने वाला नेता बताया. उन्होंने कहा कि सत्ता की ललक में वो विचारधाराओं के साथ समझौता कर चुके हैं. एक विशेष पद के लिए वह चक्कर लगा रहे हैं लेकिन अब तक बात नहीं बन पाई है. नीतीश पर कटाक्ष करते हुए चिराग ने कहा कि बेंगलुरु बैठक में नीतीश बड़ी उम्मीद लगाकर गए तो थे. विपक्ष के संयोजक की बात तो दूर पोस्टर की तस्वीर तक में जगह नहीं मिल पाई. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब देशभर में अपना वर्चस्व कायम कर रही है और अब तो राहुल गांधी को भी न्यायालय से राहत मिल चुकी है. संभवतः अब राजद के साथ मिलकर कांग्रेस उन्हें दरकिनार कर देगी.
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बीजेपी नेताओं और पत्रकार पर हुए लाठीचार्ज मामले में भी चिराग पासवान ने सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज में आम जनता हो या फिर छात्र, किसान या नौजवान किसी की आवाज नहीं खुल सकती. चिराग ने कहा कि लाठी-डंडे की सरकार उनके खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबा देना चाहती है. बीदेपी कार्यकर्ताओं के साथ जो बर्बरता पुलिस ने दिखाई है यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
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संसद में विपक्ष के हंगामे को लेकर चिराग ने कहा कि संसद में जितनी ज्यादा बहस हो उतना अच्छा है. मणिपुर मामले पर भी बहस करना चाहते थे लेकिन विपक्ष ने हमेशा पेंच फंसा कर रखा कि प्रधानमंत्री जब तक जवाब नहीं देंगे तब तक बहस नहीं होगी. अविश्वास पत्र लाने का सिर्फ एक कारण है कि प्रधानमंत्री को बोलने के लिए बाध्य करना चाहते थे. विपक्ष राजनीति करने के लिए मुद्दों को उठाते तो हैं लेकिन उसके समाधान पर काम नहीं करते.