इस विधेयक की धारा 195 (1) डी में लिखा है कि भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता या सुरक्षा को खतरे में डालने वाली झूठी या भ्रामक जानकारी कोई देता है या प्रकाशित करता है, उसे तीन साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जाएगा.
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Bharatiya Nyaya Sanhita Bill 2023: देश में बीते कुछ वर्षों में फेक न्यूज फैलाने की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है. फर्जी खबरों के कारण ही कई जगहों पर दंगे और हिंसक घटनाएं देखने को मिल चुकी हैं. मणिपुर भी फेक न्यूज के कारण धधक रहा है. मोदी सरकार अब फेक न्यूज के खिलाफ सख्त हो चुकी है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (11 जुलाई) को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 पेश किया. इसमें फेक न्यूज को लेकर भी सजा का प्रावधान किया गया है. इस विधेयक की धारा 195 के तहत एक प्रावधान है जो भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालने वाली 'फर्जी खबर या भ्रामक जानकारी' फैलाने वालों से संबंधित है. ऐसा करने वालों को 3 साल तक की कैद की सजा दी जाएगी.
इस विधेयक को समीक्षा के लिए स्थायी समिति को भेजा गया है. इस विधेयक की धारा 195 (1) डी में लिखा है कि भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता या सुरक्षा को खतरे में डालने वाली झूठी या भ्रामक जानकारी कोई देता है या प्रकाशित करता है, उसे तीन साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जाएगा. यह अनुभाग नए प्रस्तावित बिल के अध्याय 11 के तहत 'सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराधों' के तहत 'राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक आरोपों, दावों' के तहत शामिल है. 'राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले आरोप, दावे' से संबंधित प्रावधान भारतीय दंड संहिता की धारा 153बी के तहत थी.
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विधेयक पेश करते समय अमित शाह ने कहा कि तीन विधेयक- भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 और भारतीय सुरक्षा विधेयक, 2023- गुलामी के सभी लक्षणों को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में उल्लिखित प्रतिज्ञा को पूरा करते हैं. यह विधेयक अंग्रेजों द्वारा बनाए गए भारतीय दंड संहिता, 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, (1898), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को खत्म कर देगा.
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गृहमंत्री ने कहा कि खत्म होने वाले ये तीनों कानून अंग्रेज़ी शासन को मज़बूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे. उनका उद्देश्य दंड देने का था, न की न्याय देने का. संसद में पेश किए गए तीन नए कानून की आत्मा भारतीय नागरिकों को संविधान में दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करना, इनका उद्देश्य दंड देना नहीं बल्कि न्याय देना होगा. भारतीय आत्मा के साथ बनाए गए इन तीन कानूनों से हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा.