मुकेश सहनी का संजय जायसवाल पर पलटवार, कहा- 'जिनके घर खुद शीशे के होते हैं वह दूसरे पर पत्थर नहीं चलाते'
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मुकेश सहनी का संजय जायसवाल पर पलटवार, कहा- 'जिनके घर खुद शीशे के होते हैं वह दूसरे पर पत्थर नहीं चलाते'

वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने शुक्रवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल द्वारा सोशल मीडिया पर किए जा रहे पोस्ट पर पलटवार करते हुए कहा कि जिनके घर खुद शीशे के होते हैं. वह दूसरे पर पत्थर नहीं चलाते है.

(फाइल फोटो)

पटना: विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल द्वारा सोशल मीडिया पर किए जा रहे पोस्ट पर पलटवार करते हुए कहा कि जिनके घर खुद शीशे के होते हैं. वह दूसरे पर पत्थर नहीं चलाते है. उन्होंने कहा कि अगर राजनीति में आकर समाज सेवा करना खोखा बटोरना है, तो यह गलती मैं अपने समाज की तरक्की के लिए बार-बार करूंगा. 

सहनी ने सवालिया लहजे में कही ये बात
उन्होंने आगे सवालिया लहजे में कहा कि आखिर संजय जायसवाल को यह भी बताना चाहिए कि वे चिकित्सक का पेशा छोड़कर पहले राजद में और अब भाजपा में क्यों आए है. उन्होंने कहा कि भाजपा को यह भी बताना चाहिए कि आखिर एनडीए के साथी उन्हें छोड़कर क्यों चले जा रहे हैं. उन्होंने भाजपा पर पलटवार करते हुए निशाने पर लेते हुए कहा कि कभी चिराग कभी ओवैसी और कभी बसपा बैसाखी के सहारे चुनाव लड़ने वाले दूसरे पर कीचड़ उछालते हैं तो हंसी आती है. 

उन्होंने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि भाजपा पैसा देकर विधायक खरीद सकती हैं, लेकिन अभी तक वो टकसाल नहीं बना जो ’सन ऑफ मल्लाह’ को खरीद सकते हैं और ये सच आप और आपके आका सब जानते हैं. उन्होंने आगे चुनौती देते हुए कहा कि भाजपा कुछ भी कर ले, लेकिन कुढ़नी विधानसभा में जरूर धूल चटाऊंगा.

'भाजपा ने तोड़ा हमारा विधायक'
मुकेश सहनी ने आगे भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा आखिर कुढ़नी में वीआईपी के प्रत्याशी उतारने से इतना डर क्यों रही है. आप राजनीतिक दलों ने नाव चलाने वाला समझकर अब तक मल्लाहों- निषादों को ठगा था, उनके विकास के लिए ही मुंबई की आराम की जिंदगी छोड़कर बिहार में सेवा करने पहुंचे हैं. अब आपको परेशानी हो रही है. सरकार में रहने के बावजूद भाजपा ने उनके चार विधायकों को तोड़ा और अगर वहां भाजपा होती तो सरकार में रहने के लिए हर समझौता कर लेती, लेकिन भाजपा को मालूम होना चाहिए. वीआईपी की प्राथमिकता ही सत्ता नहीं संघर्ष है. उन्होंने कहा कि भाजपा को यह भी बताना चाहिए कि वीआईपी को एनडीए में जाने के लिए भाजपा ने कितना खोखा दिए थे?

उन्होंने भाजपा को नसीहत देते हुए कहा कि आपने जिस तरह राजनीति में पैसा का खेल खेल रहे हैं, वह आपको मुबारक हो. वीआईपी गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों के अधिकार की लड़ाई लड़ने आई है और यही पार्टी की प्राथमिकता भी है. 
इनपुट-विकास चौधरी 

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